३. समवुत्तिनिद्देस-ततियपरिच्छेद
४६. त्या’ चे तनुमज्झा।
गायत्ती।
४७. कुमार ललिता ज्स्गा।
उण्हिका।
४८. चित्रपदा यदि भा गा।
४९. मो मो गो गो विज्जुम्माला।
५०. भा त, ल, गा माणवकं।
५१. ग्ला समानिका र,जा च।
५२. पमाणिका ज, रा ल, गा।
अनुट्ठुभा।
५३. रा न,सा यदि हलमुखी।
५४. भुजग सुसु सटा ना मो।
ब्रहती।
५५. म्साज्गा सुद्धविराजितं मतं।
५६. म्ना यो गो यदि पणवो ख्यातो।
५७. म्भा स,गयुत्ता रुम्मवती सा।
५८. ञेय्या मत्ता म, भ, स, गयुत्ता।
५९. चम्पकमाला चे भ, म, सा गो [इदं नामन्तरञापनत्थमेव पुन वुत्तं (टी॰)]।
६०. न, र, ज, गेहि सा मनोरमा।
६१. उब्भासकं तं चे तो म, रा ल्च।
६२. तो जा गरुना’य’मुपट्ठिता।
पन्ति।
६३. इन्दादिका ता वजिरा ज, गा गो।
६४. उपादिका सा’व ज,ता ज,गा गो।
६५.
अनन्तरो’दीरित लक्खणा चे, (उपेन्दवजिर)
पादा विमिस्सा उपजातियो ता। (इन्दवजिर)
एवं किल’ञ्ञासुपि मिस्सितासु, (इन्दवजिर)
वदन्ति जातिस्विद’ मेव नामं॥ (उपेन्दवजिर)
६६. न, ज, ज, ल, गा गदिता सुमुखी।
६७. दोधक मिच्छति चे भ,भ,भा गा।
६८. वेद,स्सेहि,ध्ता त्गगा,सालिनी सा।
६९. वातोम्मी सा, यति सा म्भा त, गा गो।
७०. भा त, न, गा गो’सु, रस सिरी सा।
७१. रो न, रा इह रथोद्धता ल, गा।
७२. स्वागते’ति र, न, भा गरुका द्वे।
७३. न,न,र,लहु,गरूहि भद्दिका।
तिट्ठुभा।
७४. वदन्ति वंसट्ठमि’दं ज, ता ज, रा।
७५. सा इन्दवंसा खलु यत्थ ता ज,रा।
७६. इध तोटक मम्बुधि,सेहि मितं।
७७. दुतविलम्बित माह न, भा भ,रा।
७८. वसु युग विरती ना,म्या’ पुटो’यं।
७९. न, य, सहिता न्या’ कुसुमविचित्ता।
८०. भुजङ्ग’प्पयातं भवे वेद, येहि।
८१. न, भ, ज, रेहि भवति’प्पियंवदा।
८२. वुत्ता सुधीहि ललिता त, भा ज, रा।
८३. पमितक्खरा स, ज, स,सेहु’दिता।
८४. न,न,भ,र,सहिता’भिहितु’ज्जला।
८५. पञ्च’स्स’च्छिन्ना, वेस्सदेवी म,मा या।
८६. भवति हि तामरसं न, ज, जा यो।
८७. ‘कमला’ति ञेय्या स,य,सेहि यो चे।
जगती।
८८. म्ना ज्रा गो, तिदसयति’प्पहस्सिणी सा।
८९. चतु,ग्गहे,हि’ह रुचिरा, ज,भा स्ज,गा।
अतिजगती।
९०. न,न,र,स,लहु,गा,सरेहि’पराजिता।
९१. न,न,भ,न,ल,गि’ति,प्पहरणकलिका।
९२. वुत्ता वसन्ततिलका त,भ,जा ज,गा गो।
सक्करी।
९३. द्विहत हय लहु र’थ गि’ति ससिकला।
९४. वसु,हय,यति रि’ह,मणिगुणनिकरो।
९५. न,न,म,य,य,युता’यं,मालिनी भोगि’सीहि।
९६. भवति न,जा,भ,जा रसहिता पभद्दकं।
अतिसक्करी।
९७. न,ज,भ,ज,रा सदा भवति वाणिनी ग, युत्ता।
अट्ठि।
९८. य, मा नो सो भल्गा, रस, हरविरामा सिखरणी।
९९. रस, युगि, सितो, नो सो म्रा स्ला, ग्य’दा हरिणी तदा।
१००. मन्दक्कन्ता, म,भ,न,त,त,गा, गो युगु,त्व,स्सकेहि।
अच्चट्ठि।
१०१. मो तो नो यो या, कुसुमितलता, वेल्लिता’ क्खु,त्वि,सीहि।
धुति।
१०२. रसु,त्व,स्सेहि य्मा, न,स,र,र,गरू, मेघविप्फुज्जिता सा।
१०३. अक्कस्सेहि यति म्स,जास,त,त,गा, सद्दूलविक्कीळितं।
अतिधुति।
१०४. वुत्त मीदिसं तु नामतो र,जा र,जा र,जा गरू,लहू च।
कति।
१०५. म्रा भ्ना यो यो’त्र येन,त्ति,मुनि, यतियुता, सन्धरा कित्तिता’यं।
पकति।
१०६. ओ न,र,ना र,ना च थ गरू दस,क्क,विरमञ्हि भद्दक’मिदं।
आकति।
इति वुत्तोदये छन्दसि समवुत्तिनिद्देसो नाम
ततियो परिच्छेदो।