२. दुतियवग्गो
(१०) १. परूपहारकथा
३०७. अत्थि अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? आमन्ता। अत्थि अरहतो रागो कामरागो कामरागपरियुट्ठानं कामरागसंयोजनं कामोघो कामयोगो कामच्छन्दनीवरणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
नत्थि अरहतो रागो कामरागो कामरागपरियुट्ठानं कामरागसंयोजनं कामोघो कामयोगो कामच्छन्दनीवरणन्ति? आमन्ता। हञ्चि नत्थि अरहतो रागो कामरागो कामरागपरियुट्ठानं कामरागसंयोजनं कामोघो कामयोगो कामच्छन्दनीवरणं, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठी’’ति।
अत्थि पुथुज्जनस्स असुचि सुक्कविस्सट्ठि, अत्थि तस्स रागो कामरागो कामरागपरियुट्ठानं कामरागसंयोजनं कामोघो कामयोगो कामच्छन्दनीवरणन्ति? आमन्ता। अत्थि अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठि, अत्थि तस्स रागो कामरागो कामरागपरियुट्ठानं…पे॰… कामच्छन्दनीवरणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
अत्थि अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठि, नत्थि तस्स रागो कामरागो कामरागपरियुट्ठानं…पे॰… कामच्छन्दनीवरणन्ति? आमन्ता। अत्थि पुथुज्जनस्स असुचि सुक्कविस्सट्ठि, नत्थि तस्स रागो कामरागो कामरागपरियुट्ठानं…पे॰… कामच्छन्दनीवरणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
अत्थि अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? आमन्ता। केनट्ठेनाति? हन्द हि मारकायिका देवता अरहतो असुचिं सुक्कविस्सट्ठिं उपसंहरन्तीति।
मारकायिका देवता अरहतो असुचिं सुक्कविस्सट्ठिं उपसंहरन्तीति? आमन्ता। अत्थि मारकायिकानं देवतानं असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
नत्थि मारकायिकानं देवतानं असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? आमन्ता। हञ्चि नत्थि मारकायिकानं देवतानं असुचि सुक्कविस्सट्ठि, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘मारकायिका देवता अरहतो असुचिं सुक्कविस्सट्ठिं उपसंहरन्ती’’ति।
मारकायिका देवता अरहतो असुचिं सुक्कविस्सट्ठिं उपसंहरन्तीति? आमन्ता। मारकायिका देवता अत्तनो असुचिं सुक्कविस्सट्ठिं उपसंहरन्ति, अञ्ञेसं असुचिं सुक्कविस्सट्ठिं उपसंहरन्ति, तस्स असुचिं सुक्कविस्सट्ठिं उपसंहरन्तीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
मारकायिका देवता नेव अत्तनो न अञ्ञेसं न तस्स असुचिं सुक्कविस्सट्ठिं उपसंहरन्तीति? आमन्ता। हञ्चि मारकायिका देवता नेव अत्तनो न अञ्ञेसं न तस्स असुचिं सुक्कविस्सट्ठिं उपसंहरन्ति, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘मारकायिका देवता अरहतो असुचिं सुक्कविस्सट्ठिं उपसंहरन्ती’’ति।
मारकायिका देवता अरहतो असुचिं सुक्कविस्सट्ठिं उपसंहरन्तीति ? आमन्ता। लोमकूपेहि उपसंहरन्तीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
३०८. मारकायिका देवता अरहतो असुचिं सुक्कविस्सट्ठिं उपसंहरन्तीति? आमन्ता। किं कारणाति? हन्द हि विमतिं गाहयिस्सामाति। अत्थि अरहतो विमतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
अत्थि अरहतो विमतीति? आमन्ता। अत्थि अरहतो सत्थरि विमति, धम्मे विमति, सङ्घे विमति, सिक्खाय विमति, पुब्बन्ते विमति, अपरन्ते विमति, पुब्बन्तापरन्ते विमति, इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु विमतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
नत्थि अरहतो सत्थरि विमति, धम्मे विमति, सङ्घे विमति, सिक्खाय विमति, पुब्बन्ते विमति, अपरन्ते विमति , पुब्बन्तापरन्ते विमति, इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु विमतीति? आमन्ता। हञ्चि नत्थि अरहतो सत्थरि विमति…पे॰… इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु विमति, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो विमती’’ति।
अत्थि पुथुज्जनस्स विमति, अत्थि तस्स सत्थरि विमति…पे॰… इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु विमतीति? आमन्ता। अत्थि अरहतो विमति, अत्थि तस्स सत्थरि विमति…पे॰… इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु विमतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
अत्थि अरहतो विमति, नत्थि तस्स सत्थरि विमति…पे॰… इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु विमतीति? आमन्ता। अत्थि पुथुज्जनस्स विमति, नत्थि तस्स सत्थरि विमति…पे॰… इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु विमतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
अत्थि अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? आमन्ता। अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठि किस्स निस्सन्दोति? असितपीतखायितसायितस्स निस्सन्दोति। अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठि असितपीतखायितसायितस्स निस्सन्दोति? आमन्ता। ये केचि असन्ति पिवन्ति खादन्ति सायन्ति, सब्बेसंयेव अत्थि असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
ये केचि असन्ति पिवन्ति खादन्ति सायन्ति, सब्बेसंयेव अत्थि असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? आमन्ता। दारका असन्ति पिवन्ति खादन्ति सायन्ति, अत्थि दारकानं असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? न हेवं वत्तब्बे।
पण्डका असन्ति पिवन्ति खादन्ति सायन्ति, अत्थि पण्डकानं असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
देवा असन्ति पिवन्ति खादन्ति सायन्ति, अत्थि देवतानं असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
३०९. अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठि असितपीतखायितसायितस्स निस्सन्दोति? आमन्ता। अत्थि तस्स आसयोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
अरहतो उच्चारपस्सावो असितपीतखायितसायितस्स निस्सन्दो, अत्थि तस्स आसयोति ? आमन्ता। अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठि असितपीतखायितसायितस्स निस्सन्दो, अत्थि तस्स आसयोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठि असितपीतखायितसायितस्स निस्सन्दो, नत्थि तस्स आसयोति? आमन्ता। अरहतो उच्चारपस्सावो असितपीतखायितसायितस्स निस्सन्दो, नत्थि तस्स आसयोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
३१०. अत्थि अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? आमन्ता। अरहा मेथुनं धम्मं पटिसेवेय्य, मेथुनं उप्पादेय्य [मेथुनं धम्मं उप्पादेय्य (सी॰ स्या॰)], पुत्तसम्बाधसयनं अज्झावसेय्य, कासिकचन्दनं पच्चनुभवेय्य, मालागन्धविलेपनं धारेय्य, जातरूपरजतं सादियेय्याति? न हेवं वत्तब्बे।
अत्थि पुथुज्जनस्स असुचि सुक्कविस्सट्ठि, पुथुज्जनो मेथुनं धम्मं पटिसेवेय्य, मेथुनं उप्पादेय्य, पुत्तसम्बाधसयनं अज्झावसेय्य, कासिकचन्दनं पच्चनुभवेय्य, मालागन्धविलेपनं धारेय्य, जातरूपरजतं सादियेय्याति? आमन्ता। अत्थि अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठि, अरहा मेथुनं धम्मं पटिसेवेय्य, मेथुनं उप्पादेय्य, पुत्तसम्बाधसयनं अज्झावसेय्य, कासिकचन्दनं पच्चनुभवेय्य, मालागन्धविलेपनं धारेय्य, जातरूपरजतं सादियेय्याति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
अत्थि अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठि, न च अरहा मेथुनं धम्मं पटिसेवेय्य, मेथुनं उप्पादेय्य, पुत्तसम्बाधसयनं अज्झावसेय्य, कासिकचन्दनं पच्चनुभवेय्य, मालागन्धविलेपनं धारेय्य, जातरूपरजतं सादियेय्याति? आमन्ता। अत्थि पुथुज्जनस्स असुचि सुक्कविस्सट्ठि, न च पुथुज्जनो मेथुनं धम्मं पटिसेवेय्य, मेथुनं उप्पादेय्य , पुत्तसम्बाधसयनं अज्झावसेय्य, कासिकचन्दनं पच्चनुभवेय्य, मालागन्धविलेपनं धारेय्य, जातरूपरजतं सादियेय्याति? न हेवं वत्तब्बे।
अत्थि अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? आमन्ता। ननु अरहतो रागो पहीनो उच्छिन्नमूलो तालावत्थुकतो अनभावङ्कतो आयतिं अनुप्पादधम्मोति? आमन्ता। हञ्चि अरहतो रागो पहीनो उच्छिन्नमूलो तालावत्थुकतो अनभावङ्कतो आयतिं अनुप्पादधम्मो, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठी’’ति।
अत्थि अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? आमन्ता। ननु अरहतो दोसो पहीनो…पे॰… मोहो पहीनो… मानो पहीनो… दिट्ठि पहीना… विचिकिच्छा पहीना… थिनं पहीनं… उद्धच्चं पहीनं… अहिरिकं पहीनं…पे॰… अनोत्तप्पं पहीनं उच्छिन्नमूलं तालावत्थुकतं अनभावङ्कतं आयतिं अनुप्पादधम्मन्ति? आमन्ता। हञ्चि अरहतो अनोत्तप्पं पहीनं उच्छिन्नमूलं तालावत्थुकतं अनभावङ्कतं आयतिं अनुप्पादधम्मं, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठी’’ति।
३११. अत्थि अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? आमन्ता। ननु अरहतो रागप्पहानाय मग्गो भावितोति? आमन्ता। हञ्चि अरहतो रागप्पहानाय मग्गो भावितो, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठी’’ति।
अत्थि अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? आमन्ता। ननु अरहतो रागप्पहानाय सतिपट्ठाना भाविता…पे॰… सम्मप्पधाना भाविता… इद्धिपादा भाविता… इन्द्रिया भाविता… बला भाविता…पे॰… बोज्झङ्गा भाविताति? आमन्ता। हञ्चि अरहतो रागप्पहानाय बोज्झङ्गा भाविता, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठी’’ति।
अत्थि अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? आमन्ता। ननु अरहतो दोसप्पहानाय…पे॰… मोहप्पहानाय…पे॰… अनोत्तप्पपहानाय मग्गो भावितो…पे॰… बोज्झङ्गा भाविताति? आमन्ता। हञ्चि अरहतो अनोत्तप्पपहानाय बोज्झङ्गा भाविता, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठी’’ति।
अत्थि अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? आमन्ता। ननु अरहा वीतरागो वीतदोसो वीतमोहो कतकरणीयो ओहितभारो अनुप्पत्तसदत्थो परिक्खीणभवसंयोजनो सम्मदञ्ञाविमुत्तो उक्खित्तपलिघो सङ्किण्णपरिखो अब्बूळ्हेसिको निरग्गळो अरियो पन्नद्धजो पन्नभारो विसञ्ञुत्तो सुविजितविजयो, दुक्खं तस्स परिञ्ञातं, समुदयो पहीनो, निरोधो सच्छिकतो, मग्गो भावितो, अभिञ्ञेय्यं अभिञ्ञातं, परिञ्ञेय्यं परिञ्ञातं, पहातब्बं पहीनं, भावेतब्बं भावितं, सच्छिकातब्बं सच्छिकतन्ति? आमन्ता। हञ्चि अरहा वीतरागो वीतदोसो वीतमोहो कतकरणीयो…पे॰… सच्छिकातब्बं सच्छिकतं , नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठी’’ति।
३१२. अत्थि अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? सधम्मकुसलस्स अरहतो अत्थि असुचि सुक्कविस्सट्ठि, परधम्मकुसलस्स अरहतो नत्थि असुचि सुक्कविस्सट्ठीति। सधम्मकुसलस्स अरहतो अत्थि असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? आमन्ता। परधम्मकुसलस्स अरहतो अत्थि असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
परधम्मकुसलस्स अरहतो नत्थि असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? आमन्ता। सधम्मकुसलस्स अरहतो नत्थि असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
सधम्मकुसलस्स अरहतो रागो पहीनो, अत्थि तस्स असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? आमन्ता। परधम्मकुसलस्स अरहतो रागो पहीनो, अत्थि तस्स असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
सधम्मकुसलस्स अरहतो दोसो पहीनो…पे॰… मोहो पहीनो…पे॰… अनोत्तप्पं पहीनं, अत्थि तस्स असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? आमन्ता। परधम्मकुसलस्स अरहतो अनोत्तप्पं पहीनं, अत्थि तस्स असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
सधम्मकुसलस्स अरहतो रागप्पहानाय मग्गो भावितो…पे॰… बोज्झङ्गा भाविता…पे॰… दोसप्पहानाय…पे॰… मोहप्पहानाय…पे॰… अनोत्तप्पपहानाय मग्गो भावितो…पे॰… बोज्झङ्गा भाविता, अत्थि तस्स असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? आमन्ता । परधम्मकुसलस्स अरहतो अनोत्तप्पपहानाय बोज्झङ्गा भाविता, अत्थि तस्स असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
सधम्मकुसलो अरहा वीतरागो वीतदोसो वीतमोहो…पे॰… सच्छिकातब्बं सच्छिकतं, अत्थि तस्स असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? आमन्ता। परधम्मकुसलो अरहा वीतरागो वीतदोसो वीतमोहो…पे॰… सच्छिकातब्बं सच्छिकतं, अत्थि तस्स असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
परधम्मकुसलस्स अरहतो रागो पहीनो, नत्थि तस्स असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? आमन्ता। सधम्मकुसलस्स अरहतो रागो पहीनो, नत्थि तस्स असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
परधम्मकुसलस्स अरहतो दोसो पहीनो…पे॰… मोहो पहीनो…पे॰… अनोत्तप्पं पहीनं, नत्थि तस्स असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? आमन्ता। सधम्मकुसलस्स अरहतो अनोत्तप्पं पहीनं, नत्थि तस्स असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
परधम्मकुसलस्स अरहतो रागप्पहानाय मग्गो भावितो…पे॰… बोज्झङ्गा भाविता…पे॰… दोसप्पहानाय…पे॰… मोहप्पहानाय…पे॰… अनोत्तप्पपहानाय मग्गो भावितो…पे॰… बोज्झङ्गा भाविता, नत्थि तस्स असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? आमन्ता। सधम्मकुसलस्स अरहतो अनोत्तप्पपहानाय बोज्झङ्गा भाविता, नत्थि तस्स असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
परधम्मकुसलो अरहा वीतरागो वीतदोसो वीतमोहो…पे॰… सच्छिकातब्बं सच्छिकतं, नत्थि तस्स असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? आमन्ता। सधम्मकुसलो अरहा वीतरागो वीतदोसो वीतमोहो…पे॰… सच्छिकातब्बं सच्छिकतं, नत्थि तस्स असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
३१३. अत्थि अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठीति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘ये ते [ये केचि (सी॰)], भिक्खवे, भिक्खू पुथुज्जना सीलसम्पन्ना सता सम्पजाना निद्दं ओक्कमन्ति, तेसं असुचि न मुच्चति। येपि ते, भिक्खवे, बाहिरका इसयो कामेसु वीतरागा, तेसम्पि असुचि न मुच्चति। अट्ठानमेतं, भिक्खवे, अनवकासो यं अरहतो असुचि मुच्चेय्या’’ति [महाव॰ ३५३ अत्थतो समानं; अ॰ नि॰ ५.२१० पस्सितब्बं]। अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘अत्थि अरहतो असुचि सुक्कविस्सट्ठी’’ति।
न वत्तब्बं – ‘‘अत्थि अरहतो परूपहारो’’ति? आमन्ता। ननु अरहतो चीवरपिण्डपातसेनासनगिलानपच्चयभेसज्जपरिक्खारं परे उपसंहरेय्युन्ति? आमन्ता। हञ्चि अरहतो चीवरपिण्डपातसेनासनगिलानपच्चयभेसज्जपरिक्खारं परे उपसंहरेय्युं, तेन वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो परूपहारो’’ति।
अरहतो चीवरपिण्डपातसेनासनगिलानपच्चयभेसज्जपरिक्खारं परे उपसंहरेय्युन्ति, अत्थि अरहतो परूपहारोति? आमन्ता। अरहतो सोतापत्तिफलं वा सकदागामिफलं वा अनागामिफलं वा अरहत्तं वा परे उपसंहरेय्युन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
परूपहारकथा निट्ठिता।
२. दुतियवग्गो
(११) २. अञ्ञाणकथा
३१४. अत्थि अरहतो अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। अत्थि अरहतो अविज्जा अविज्जोघो अविज्जायोगो अविज्जानुसयो अविज्जापरियुट्ठानं अविज्जासंयोजनं अविज्जानीवरणन्ति? न हेवं वत्तब्बे। नत्थि अरहतो अविज्जा अविज्जोघो अविज्जायोगो अविज्जानुसयो अविज्जापरियुट्ठानं अविज्जासंयोजनं अविज्जानीवरणन्ति? आमन्ता। हञ्चि नत्थि अरहतो अविज्जा अविज्जोघो अविज्जायोगो अविज्जानुसयो अविज्जापरियुट्ठानं अविज्जासंयोजनं अविज्जानीवरणं, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो अञ्ञाण’’न्ति।
अत्थि पुथुज्जनस्स अञ्ञाणं, अत्थि तस्स अविज्जा अविज्जोघो अविज्जायोगो अविज्जानुसयो अविज्जापरियुट्ठानं अविज्जासंयोजनं अविज्जानीवरणन्ति? आमन्ता। अत्थि अरहतो अञ्ञाणं, अत्थि तस्स अविज्जा अविज्जोघो अविज्जायोगो अविज्जानुसयो अविज्जापरियुट्ठानं अविज्जासंयोजनं अविज्जानीवरणन्ति? न हेवं वत्तब्बे।
अत्थि अरहतो अञ्ञाणं, नत्थि तस्स अविज्जा अविज्जोघो अविज्जायोगो अविज्जानुसयो अविज्जापरियुट्ठानं अविज्जासंयोजनं अविज्जानीवरणन्ति ? आमन्ता। अत्थि पुथुज्जनस्स अञ्ञाणं , नत्थि तस्स अविज्जा अविज्जोघो अविज्जायोगो अविज्जानुसयो अविज्जापरियुट्ठानं अविज्जासंयोजनं अविज्जानीवरणन्ति? न हेवं वत्तब्बे।
अत्थि अरहतो अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। अरहा अञ्ञाणपकतो पाणं हनेय्य, अदिन्नं आदियेय्य, मुसा भणेय्य, पिसुणं भणेय्य, फरुसं भणेय्य, सम्फं पलपेय्य, सन्धिं छिन्देय्य, निल्लोपं हरेय्य, एकागारियं करेय्य, परिपन्थे तिट्ठेय्य, परदारं गच्छेय्य, गामघातं करेय्य, निगमघातं करेय्याति? न हेवं वत्तब्बे।
अत्थि पुथुज्जनस्स अञ्ञाणं, पुथुज्जनो अञ्ञाणपकतो पाणं हनेय्य, अदिन्नं आदियेय्य, मुसा भणेय्य…पे॰… गामघातं करेय्य, निगमघातं करेय्याति? आमन्ता। अत्थि अरहतो अञ्ञाणं, अरहा अञ्ञाणपकतो पाणं हनेय्य, अदिन्नं आदियेय्य…पे॰… गामघातं करेय्य, निगमघातं करेय्याति? न हेवं वत्तब्बे।
अत्थि अरहतो अञ्ञाणं, न च अरहा अञ्ञाणपकतो पाणं हनेय्य, अदिन्नं आदियेय्य…पे॰… गामघातं करेय्य, निगमघातं करेय्याति? आमन्ता। अत्थि पुथुज्जनस्स अञ्ञाणं, न च पुथुज्जनो अञ्ञाणपकतो पाणं हनेय्य, अदिन्नं आदियेय्य…पे॰… गामघातं करेय्य, निगमघातं करेय्याति? न हेवं वत्तब्बे।
अत्थि अरहतो अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। अत्थि अरहतो सत्थरि अञ्ञाणं, धम्मे अञ्ञाणं, सङ्घे अञ्ञाणं, सिक्खाय अञ्ञाणं, पुब्बन्ते अञ्ञाणं, अपरन्ते अञ्ञाणं, पुब्बन्तापरन्ते अञ्ञाणं, इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु अञ्ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे।
नत्थि अरहतो सत्थरि अञ्ञाणं, धम्मे अञ्ञाणं, सङ्घे अञ्ञाणं, सिक्खाय अञ्ञाणं, पुब्बन्ते अञ्ञाणं, अपरन्ते अञ्ञाणं, पुब्बन्तापरन्ते अञ्ञाणं, इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। हञ्चि नत्थि अरहतो सत्थरि अञ्ञाणं, धम्मे अञ्ञाणं, सङ्घे अञ्ञाणं…पे॰… इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु अञ्ञाणं, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो अञ्ञाण’’न्ति।
अत्थि पुथुज्जनस्स अञ्ञाणं, अत्थि तस्स सत्थरि अञ्ञाणं, धम्मे अञ्ञाणं, सङ्घे अञ्ञाणं…पे॰… इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु अञ्ञाणन्ति ? आमन्ता। अत्थि अरहतो अञ्ञाणं, अत्थि तस्स सत्थरि अञ्ञाणं, धम्मे अञ्ञाणं, सङ्घे अञ्ञाणं…पे॰… इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु अञ्ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे।
अत्थि अरहतो अञ्ञाणं, नत्थि तस्स सत्थरि अञ्ञाणं, धम्मे अञ्ञाणं, सङ्घे अञ्ञाणं…पे॰… इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। अत्थि पुथुज्जनस्स अञ्ञाणं, नत्थि तस्स सत्थरि अञ्ञाणं, धम्मे अञ्ञाणं, सङ्घे अञ्ञाणं…पे॰… इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु अञ्ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे।
३१५. अत्थि अरहतो अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। ननु अरहतो रागो पहीनो उच्छिन्नमूलो तालावत्थुकतो अनभावङ्कतो आयतिं अनुप्पादधम्मोति? आमन्ता। हञ्चि अरहतो रागो पहीनो उच्छिन्नमूलो तालावत्थुकतो अनभावङ्कतो आयतिं अनुप्पादधम्मो, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो अञ्ञाण’’न्ति।
अत्थि अरहतो अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। ननु अरहतो दोसो पहीनो…पे॰… मोहो पहीनो…पे॰… अनोत्तप्पं पहीनं उच्छिन्नमूलं तालावत्थुकतं अनभावङ्कतं आयतिं अनुप्पादधम्मन्ति? आमन्ता। हञ्चि अरहतो अनोत्तप्पं पहीनं उच्छिन्नमूलं तालावत्थुकतं अनभावङ्कतं आयतिं अनुप्पादधम्मं, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो अञ्ञाण’’न्ति।
अत्थि अरहतो अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। ननु अरहतो रागप्पहानाय मग्गो भावितो…पे॰… बोज्झङ्गा भाविताति? आमन्ता। हञ्चि अरहतो रागप्पहानाय बोज्झङ्गा भाविता, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो अञ्ञाण’’न्ति।
अत्थि अरहतो अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। ननु अरहतो दोसप्पहानाय…पे॰… मोहप्पहानाय…पे॰… अनोत्तप्पपहानाय मग्गो भावितो …पे॰… बोज्झङ्गा भाविताति? आमन्ता । हञ्चि अरहतो अनोत्तप्पपहानाय बोज्झङ्गा भाविता, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो अञ्ञाण’’न्ति।
अत्थि अरहतो अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। ननु अरहा वीतरागो वीतदोसो वीतमोहो…पे॰… सच्छिकातब्बं सच्छिकतन्ति? आमन्ता। हञ्चि अरहा वीतरागो…पे॰… सच्छिकातब्बं सच्छिकतं, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो अञ्ञाण’’न्ति।
३१६. अत्थि अरहतो अञ्ञाणन्ति? सधम्मकुसलस्स अरहतो अत्थि अञ्ञाणं, परधम्मकुसलस्स अरहतो नत्थि अञ्ञाणन्ति। सधम्मकुसलस्स अरहतो अत्थि अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। परधम्मकुसलस्स अरहतो अत्थि अञ्ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
परधम्मकुसलस्स अरहतो नत्थि अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। सधम्मकुसलस्स अरहतो नत्थि अञ्ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
सधम्मकुसलस्स अरहतो रागो पहीनो, अत्थि तस्स अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। परधम्मकुसलस्स अरहतो रागो पहीनो, अत्थि तस्स अञ्ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
सधम्मकुसलस्स अरहतो दोसो पहीनो…पे॰… मोहो पहीनो…पे॰… अनोत्तप्पं पहीनं, अत्थि तस्स अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। परधम्मकुसलस्स अरहतो अनोत्तप्पं पहीनं, अत्थि तस्स अञ्ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
सधम्मकुसलस्स अरहतो रागप्पहानाय मग्गो भावितो…पे॰… बोज्झङ्गा भाविता, अत्थि तस्स अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। परधम्मकुसलस्स अरहतो रागप्पहानाय बोज्झङ्गा भाविता, अत्थि तस्स अञ्ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
सधम्मकुसलस्स अरहतो दोसप्पहानाय…पे॰… मोहप्पहानाय…पे॰… अनोत्तप्पपहानाय मग्गो भावितो…पे॰… बोज्झङ्गा भाविता, अत्थि तस्स अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। परधम्मकुसलस्स अरहतो अनोत्तप्पपहानाय बोज्झङ्गा भाविता, अत्थि तस्स अञ्ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
सधम्मकुसलो अरहा वीतरागो वीतदोसो वीतमोहो…पे॰… सच्छिकातब्बं सच्छिकतं, अत्थि तस्स अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। परधम्मकुसलो अरहा वीतरागो वीतदोसो वीतमोहो…पे॰… सच्छिकातब्बं सच्छिकतं, अत्थि तस्स अञ्ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
परधम्मकुसलस्स अरहतो रागो पहीनो, नत्थि तस्स अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। सधम्मकुसलस्स अरहतो रागो पहीनो, नत्थि तस्स अञ्ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
परधम्मकुसलस्स अरहतो दोसो पहीनो…पे॰… मोहो पहीनो…पे॰… अनोत्तप्पं पहीनं, नत्थि तस्स अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। सधम्मकुसलस्स अरहतो अनोत्तप्पं पहीनं, नत्थि तस्स अञ्ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
परधम्मकुसलस्स अरहतो रागप्पहानाय मग्गो भावितो…पे॰… बोज्झङ्गा भाविता…पे॰… दोसप्पहानाय मोहप्पहानाय…पे॰… अनोत्तप्पपहानाय मग्गो भावितो…पे॰… बोज्झङ्गा भाविता, नत्थि तस्स अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। सधम्मकुसलस्स अरहतो अनोत्तप्पपहानाय बोज्झङ्गा भाविता, नत्थि तस्स अञ्ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
परधम्मकुसलो अरहा वीतरागो वीतदोसो वीतमोहो…पे॰… सच्छिकातब्बं सच्छिकतं, नत्थि तस्स अञ्ञाणन्ति? आमन्ता । सधम्मकुसलो अरहा वीतरागो वीतदोसो वीतमोहो …पे॰… सच्छिकातब्बं सच्छिकतं, नत्थि तस्स अञ्ञाणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
३१७. अत्थि अरहतो अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘जानतोहं [जानताहं (सी॰), जानत्वाहं (स्या॰ पी॰ क॰)], भिक्खवे, पस्सतो आसवानं खयं वदामि, नो अजानतो नो अपस्सतो। किञ्च, भिक्खवे, जानतो किं पस्सतो आसवानं खयो होति? ‘इति रूपं, इति रूपस्स समुदयो, इति रूपस्स अत्थङ्गमो, इति वेदना…पे॰… इति सञ्ञा… इति सङ्खारा… इति विञ्ञाणं, इति विञ्ञाणस्स समुदयो, इति विञ्ञाणस्स अत्थङ्गमो’ति – एवं खो, भिक्खवे, जानतो एवं पस्सतो आसवानं खयो होती’’ति [सं॰ नि॰ ३.१०१; इतिवु॰ १०२; सं॰ नि॰ ५.१०९५]। अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘अत्थि अरहतो अञ्ञाण’’न्ति।
अत्थि अरहतो अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘जानतोहं, भिक्खवे, पस्सतो आसवानं खयं वदामि, नो अजानतो नो अपस्सतो। किञ्च, भिक्खवे, जानतो किं पस्सतो आसवानं खयो होति? ‘इदं दुक्ख’न्ति – भिक्खवे, जानतो पस्सतो आसवानं खयो होति, ‘अयं दुक्खसमुदयो’ति – जानतो पस्सतो आसवानं खयो होति, ‘अयं दुक्खनिरोधो’ति – जानतो पस्सतो आसवानं खयो होति, ‘अयं दुक्खनिरोधगामिनी पटिपदा’ति – जानतो पस्सतो आसवानं खयो होति। एवं खो, भिक्खवे, जानतो एवं पस्सतो आसवानं खयो होती’’ति [सं॰ नि॰ ५.१०९५]। अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘अत्थि अरहतो अञ्ञाण’’न्ति।
अत्थि अरहतो अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘सब्बं, भिक्खवे, अनभिजानं अपरिजानं अविराजयं अप्पजहं अभब्बो दुक्खक्खयाय, सब्बञ्च खो, भिक्खवे, अभिजानं परिजानं विराजयं पजहं भब्बो दुक्खक्खयाया’’ति [सं॰ नि॰ ४.२६; इतिवु॰ ७ इतिवुत्तकेपि]! अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘अत्थि अरहतो अञ्ञाण’’न्ति।
अत्थि अरहतो अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता –
‘‘सहावस्स दस्सनसम्पदाय,
तयस्सु धम्मा जहिता भवन्ति।
सक्कायदिट्ठी विचिकिच्छितञ्च,
सीलब्बतं वापि यदत्थि किञ्चि।
चतूहपायेहि च विप्पमुत्तो,
छच्चाभिठानानि अभब्ब कातु’’न्ति॥
अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘अत्थि अरहतो अञ्ञाण’’न्ति।
अत्थि अरहतो अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘यस्मिं, भिक्खवे, समये अरियसावकस्स विरजं वीतमलं धम्मचक्खुं उदपादि – ‘यं किञ्चि समुदयधम्मं सब्बं तं निरोधधम्म’न्ति, सह दस्सनुप्पादा, भिक्खवे, अरियसावकस्स तीणि संयोजनानि पहीयन्ति – सक्कायदिट्ठि, विचिकिच्छा, सीलब्बतपरामासो’’ति। अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘अत्थि अरहतो अञ्ञाण’’न्ति।
न वत्तब्बं – ‘‘अत्थि अरहतो अञ्ञाण’’न्ति? आमन्ता। ननु अरहा इत्थिपुरिसानं नामगोत्तं न जानेय्य, मग्गामग्गं न जानेय्य, तिणकट्ठवनप्पतीनं नामं न जानेय्याति? आमन्ता। हञ्चि अरहा इत्थिपुरिसानं नामगोत्तं न जानेय्य, मग्गामग्गं न जानेय्य, तिणकट्ठवनप्पतीनं नामं न जानेय्य, तेन वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो अञ्ञाण’’न्ति।
अरहा इत्थिपुरिसानं नामगोत्तं न जानेय्य, मग्गामग्गं न जानेय्य, तिणकट्ठवनप्पतीनं नामं न जानेय्याति, अत्थि अरहतो अञ्ञाणन्ति? आमन्ता। अरहा सोतापत्तिफलं वा सकदागामिफलं वा अनागामिफलं वा अरहत्तं वा न जानेय्याति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
अञ्ञाणकथा निट्ठिता।
२. दुतियवग्गो
(१२) ३. कङ्खाकथा
३१८. अत्थि अरहतो कङ्खाति? आमन्ता। अत्थि अरहतो विचिकिच्छा विचिकिच्छापरियुट्ठानं विचिकिच्छासंयोजनं विचिकिच्छानीवरणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
नत्थि अरहतो विचिकिच्छा विचिकिच्छापरियुट्ठानं विचिकिच्छासंयोजनं विचिकिच्छानीवरणन्ति? आमन्ता। हञ्चि नत्थि अरहतो विचिकिच्छा विचिकिच्छापरियुट्ठानं विचिकिच्छासंयोजनं विचिकिच्छानीवरणं, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो कङ्खा’’ति।
अत्थि पुथुज्जनस्स कङ्खा, अत्थि तस्स विचिकिच्छा विचिकिच्छापरियुट्ठानं विचिकिच्छासंयोजनं विचिकिच्छानीवरणन्ति? आमन्ता। अत्थि अरहतो कङ्खा, अत्थि तस्स विचिकिच्छा विचिकिच्छापरियुट्ठानं विचिकिच्छासंयोजनं विचिकिच्छानीवरणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
अत्थि अरहतो कङ्खा, नत्थि तस्स विचिकिच्छा विचिकिच्छापरियुट्ठानं विचिकिच्छासंयोजनं विचिकिच्छानीवरणन्ति? आमन्ता । अत्थि पुथुज्जनस्स कङ्खा, नत्थि तस्स विचिकिच्छा विचिकिच्छापरियुट्ठानं विचिकिच्छासंयोजनं विचिकिच्छानीवरणन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
अत्थि अरहतो कङ्खाति? आमन्ता। अत्थि अरहतो सत्थरि कङ्खा, धम्मे कङ्खा, सङ्घे कङ्खा, सिक्खाय कङ्खा, पुब्बन्ते कङ्खा, अपरन्ते कङ्खा, पुब्बन्तापरन्ते कङ्खा, इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु कङ्खाति? न हेवं वत्तब्बे।
नत्थि अरहतो सत्थरि कङ्खा, धम्मे कङ्खा…पे॰… इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु कङ्खाति ? आमन्ता। हञ्चि नत्थि अरहतो सत्थरि कङ्खा, धम्मे कङ्खा…पे॰… इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु कङ्खा, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो कङ्खा’’ति।
अत्थि पुथुज्जनस्स कङ्खा, अत्थि तस्स सत्थरि कङ्खा, धम्मे कङ्खा…पे॰… इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु कङ्खाति? आमन्ता। अत्थि अरहतो कङ्खा, अत्थि तस्स सत्थरि कङ्खा, धम्मे कङ्खा…पे॰… इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु कङ्खाति? न हेवं वत्तब्बे।
अत्थि अरहतो कङ्खा, नत्थि तस्स सत्थरि कङ्खा, धम्मे कङ्खा…पे॰… इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु कङ्खाति? आमन्ता। अत्थि पुथुज्जनस्स कङ्खा, नत्थि तस्स सत्थरि कङ्खा, धम्मे कङ्खा…पे॰… इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु कङ्खाति? न हेवं वत्तब्बे।
३१९. अत्थि अरहतो कङ्खाति? आमन्ता । ननु अरहतो रागो पहीनो उच्छिन्नमूलो तालावत्थुकतो अनभावङ्कतो आयतिं अनुप्पादधम्मोति? आमन्ता। हञ्चि अरहतो रागो पहीनो उच्छिन्नमूलो तालावत्थुकतो अनभावङ्कतो आयतिं अनुप्पादधम्मो, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो कङ्खा’’ति।
अत्थि अरहतो कङ्खाति? आमन्ता। ननु अरहतो दोसो पहीनो…पे॰… मोहो पहीनो…पे॰… अनोत्तप्पं पहीनं…पे॰… रागप्पहानाय मग्गो भावितो…पे॰… बोज्झङ्गा भाविता…पे॰… दोसप्पहानाय…पे॰… अनोत्तप्पपहानाय मग्गो भावितो…पे॰… बोज्झङ्गा भाविता; ननु अरहा वीतरागो वीतदोसो वीतमोहो…पे॰… सच्छिकातब्बं सच्छिकतन्ति? आमन्ता। हञ्चि अरहा वीतरागो वीतदोसो वीतमोहो…पे॰… सच्छिकातब्बं सच्छिकतं, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो कङ्खा’’ति।
३२०. अत्थि अरहतो कङ्खाति? सधम्मकुसलस्स अरहतो अत्थि कङ्खा, परधम्मकुसलस्स अरहतो नत्थि कङ्खाति। सधम्मकुसलस्स अरहतो अत्थि कङ्खाति? आमन्ता। परधम्मकुसलस्स अरहतो अत्थि कङ्खाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
परधम्मकुसलस्स अरहतो नत्थि कङ्खाति? आमन्ता। सधम्मकुसलस्स अरहतो नत्थि कङ्खाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
सधम्मकुसलस्स अरहतो रागो पहीनो, अत्थि तस्स कङ्खाति? आमन्ता। परधम्मकुसलस्स अरहतो रागो पहीनो, अत्थि तस्स कङ्खाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
सधम्मकुसलस्स अरहतो दोसो पहीनो…पे॰… मोहो पहीनो…पे॰… अनोत्तप्पं पहीनं…पे॰… रागप्पहानाय मग्गो भावितो…पे॰… बोज्झङ्गा भाविता…पे॰… दोसप्पहानाय…पे॰… मोहप्पहानाय…पे॰… अनोत्तप्पपहानाय मग्गो भावितो…पे॰… बोज्झङ्गा भाविता…पे॰… सधम्मकुसलो अरहा वीतरागो वीतदोसो वीतमोहो …पे॰… सच्छिकातब्बं सच्छिकतं, अत्थि तस्स कङ्खाति? आमन्ता। परधम्मकुसलो अरहा वीतरागो वीतदोसो वीतमोहो…पे॰… सच्छिकातब्बं सच्छिकतं, अत्थि तस्स कङ्खाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… परधम्मकुसलस्स अरहतो रागो पहीनो, नत्थि तस्स कङ्खाति? आमन्ता। सधम्मकुसलस्स अरहतो रागो पहीनो, नत्थि तस्स कङ्खाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
परधम्मकुसलस्स अरहतो दोसो पहीनो…पे॰… मोहो पहीनो…पे॰… अनोत्तप्पं पहीनं…पे॰… रागप्पहानाय मग्गो भावितो…पे॰… बोज्झङ्गा भाविता…पे॰… दोसप्पहानाय…पे॰… मोहप्पहानाय…पे॰… अनोत्तप्पपहानाय मग्गो भावितो…पे॰… बोज्झङ्गा भाविता…पे॰… परधम्मकुसलो अरहा वीतरागो वीतदोसो वीतमोहो…पे॰… सच्छिकातब्बं सच्छिकतं, नत्थि तस्स कङ्खाति? आमन्ता। सधम्मकुसलो अरहा वीतरागो वीतदोसो वीतमोहो…पे॰… सच्छिकातब्बं सच्छिकतं, नत्थि तस्स कङ्खाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
३२१. अत्थि अरहतो कङ्खाति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘जानतोहं, भिक्खवे, पस्सतो आसवानं खयं वदामि, नो अजानतो नो अपस्सतो! किञ्च, भिक्खवे , जानतो किं पस्सतो आसवानं खयो होति ? ‘इति रूपं’…पे॰… ‘इति विञ्ञाणस्स अत्थङ्गमो’ति – एवं खो, भिक्खवे, जानतो एवं पस्सतो आसवानं खयो होती’’ति। अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘अत्थि अरहतो कङ्खा’’ति।
अत्थि अरहतो कङ्खाति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘जानतोहं, भिक्खवे, पस्सतो आसवानं खयं वदामि, नो अजानतो नो अपस्सतो! किञ्च, भिक्खवे, जानतो किं पस्सतो आसवानं खयो होति? ‘इदं दुक्ख’न्ति, भिक्खवे…पे॰… ‘अयं दुक्खनिरोधगामिनी पटिपदा’ति जानतो पस्सतो आसवानं खयो होति। एवं खो , भिक्खवे, जानतो एवं पस्सतो आसवानं खयो होती’’ति। अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘अत्थि अरहतो कङ्खा’’ति।
अत्थि अरहतो कङ्खाति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘सब्बं, भिक्खवे, अनभिजानं अपरिजानं अविराजयं अप्पजहं अभब्बो दुक्खक्खयाय; सब्बञ्च खो, भिक्खवे, अभिजानं परिजानं विराजयं पजहं भब्बो दुक्खक्खयाया’’ति! अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘अत्थि अरहतो कङ्खा’’ति।
अत्थि अरहतो कङ्खाति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘सहावस्स दस्सनसम्पदाय …पे॰… छच्चाभिठानानि अभब्ब कातु’’न्ति। अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘अत्थि अरहतो कङ्खा’’ति।
अत्थि अरहतो कङ्खाति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘यस्मिं, भिक्खवे, समये अरियसावकस्स विरजं वीतमलं धम्मचक्खुं उदपादि – ‘यं किञ्चि समुदयधम्मं सब्बं तं निरोधधम्म’न्ति, सह दस्सनुप्पादा, भिक्खवे, अरियसावकस्स तीणि संयोजनानि पहीयन्ति – सक्कायदिट्ठि, विचिकिच्छा, सीलब्बतपरामासो’’ति! अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘अत्थि अरहतो कङ्खा’’ति।
अत्थि अरहतो कङ्खाति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता –
‘‘यदा हवे पातुभवन्ति धम्मा,
आतापिनो झायतो ब्राह्मणस्स।
अथस्स कङ्खा वपयन्ति सब्बा,
यतो पजानाति सहेतुधम्मन्ति॥
‘‘यदा हवे पातुभवन्ति धम्मा,
आतापिनो झायतो ब्राह्मणस्स।
अथस्स कङ्खा वपयन्ति सब्बा,
यतो खयं पच्चयानं अवेदीति॥
‘‘यदा हवे पातुभवन्ति धम्मा,
आतापिनो झायतो ब्राह्मणस्स।
विधूपयं तिट्ठति मारसेनं,
सूरियोव [सुरियोव (सी॰ स्या॰ कं॰ पी॰)] ओभासयमन्तलिक्खन्ति [महाव॰ ३; उदा॰ ३]॥
‘‘या काचि कङ्खा इध वा हुरं वा,
सकवेदिया वा परवेदिया वा।
झायिनो [ये झायिनो (उदाने)] ता पजहन्ति सब्बा,
आतापिनो ब्रह्मचरियं चरन्ताति [उदा॰ ४७ उदानेपि]॥
‘‘ये कङ्खासमतिक्कन्ता, कङ्खाभूतेसु पाणिसु।
असंसया विसंयुत्ता, तेसु दिन्नं महप्फलन्ति॥
‘‘एतादिसी धम्मपकासनेत्थ,
न तत्थ किं कङ्खति कोचि सावको।
नित्थिण्णओघं [नितिण्णओघं (सी॰ क॰), नित्तिण्णओघं (स्या॰ कं॰)] विचिकिच्छछिन्नं,
बुद्धं नमस्साम जिनं जनिन्दा’’ति [दी॰ नि॰ २.३५४]॥
अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘अत्थि अरहतो कङ्खा’’ति।
न वत्तब्बं – ‘‘अत्थि अरहतो कङ्खा’’ति? आमन्ता। ननु अरहा इत्थिपुरिसानं नामगोत्ते कङ्खेय्य, मग्गामग्गे कङ्खेय्य, तिणकट्ठवनप्पतीनं नामे कङ्खेय्या’’ति? आमन्ता। हञ्चि अरहा इत्थिपुरिसानं नामगोत्ते कङ्खेय्य, मग्गामग्गे कङ्खेय्य, तिणकट्ठवनप्पतीनं नामे कङ्खेय्य; तेन वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो कङ्खा’’ति।
अरहा इत्थिपुरिसानं नामगोत्ते कङ्खेय्य, मग्गामग्गे कङ्खेय्य, तिणकट्ठवनप्पतीनं नामे कङ्खेय्याति, अत्थि अरहतो कङ्खाति? आमन्ता। अरहा सोतापत्तिफले वा सकदागामिफले वा अनागामिफले वा अरहत्ते वा कङ्खेय्याति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
कङ्खाकथा निट्ठिता।
२. दुतियवग्गो
(१३) ४. परवितारणकथा
३२२. अत्थि अरहतो परवितारणाति? आमन्ता । अरहा परनेय्यो परपत्तियो परपच्चयो परपटिबद्धभू, न जानाति न पस्सति सम्मूळ्हो असम्पजानोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
ननु अरहा न परनेय्यो न परपत्तियो न परपच्चयो न परपटिबद्धभू जानाति पस्सति असम्मूळ्हो सम्पजानोति? आमन्ता। हञ्चि अरहा न परनेय्यो न परपत्तियो न परपच्चयो न परपटिबद्धभू, जानाति पस्सति असम्मूळ्हो सम्पजानो, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो परवितारणा’’ति।
अत्थि पुथुज्जनस्स परवितारणा, सो च परनेय्यो परपत्तियो परपच्चयो परपटिबद्धभू, न जानाति न पस्सति सम्मूळ्हो असम्पजानोति? आमन्ता। अत्थि अरहतो परवितारणा, सो च परनेय्यो परपत्तियो परपच्चयो परपटिबद्धभू, न जानाति न पस्सति सम्मूळ्हो असम्पजानोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
अत्थि अरहतो परवितारणा, सो च न परनेय्यो न परपत्तियो न परपच्चयो न परपटिबद्धभू, जानाति पस्सति असम्मूळ्हो सम्पजानोति? आमन्ता। अत्थि पुथुज्जनस्स परवितारणा, सो च न परनेय्यो न परपत्तियो न परपच्चयो न परपटिबद्धभू, जानाति पस्सति असम्मूळ्हो सम्पजानोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
अत्थि अरहतो परवितारणाति? आमन्ता। अत्थि अरहतो सत्थरि परवितारणा, धम्मे परवितारणा, सङ्घे परवितारणा, सिक्खाय परवितारणा, पुब्बन्ते परवितारणा, अपरन्ते परवितारणा, पुब्बन्तापरन्ते परवितारणा, इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु परवितारणाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
नत्थि अरहतो सत्थरि परवितारणा, धम्मे परवितारणा…पे॰… इदपच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु परवितारणाति? आमन्ता। हञ्चि नत्थि अरहतो सत्थरि परवितारणा, धम्मे परवितारणा…पे॰… इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु परवितारणा, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो परवितारणा’’ति।
अत्थि पुथुज्जनस्स परवितारणा, अत्थि तस्स सत्थरि परवितारणा, धम्मे परवितारणा…पे॰… इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु परवितारणाति? आमन्ता। अत्थि अरहतो परवितारणा, अत्थि तस्स सत्थरि परवितारणा, धम्मे परवितारणा…पे॰… इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु परवितारणाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
अत्थि अरहतो परवितारणा, नत्थि तस्स सत्थरि परवितारणा, धम्मे परवितारणा…पे॰… इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु परवितारणाति? आमन्ता। अत्थि पुथुज्जनस्स परवितारणा, नत्थि तस्स सत्थरि परवितारणा, धम्मे परवितारणा…पे॰… इदप्पच्चयतापटिच्चसमुप्पन्नेसु धम्मेसु परवितारणाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
३२३. अत्थि अरहतो परवितारणाति? आमन्ता। ननु अरहतो रागो पहीनो उच्छिन्नमूलो तालावत्थुकतो अनभावङ्कतो आयतिं अनुप्पादधम्मोति? आमन्ता। हञ्चि अरहतो रागो पहीनो उच्छिन्नमूलो तालावत्थुकतो अनभावङ्कतो आयतिं अनुप्पादधम्मो, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो परवितारणा’’ति।
अत्थि अरहतो परवितारणाति? आमन्ता। ननु अरहतो दोसो पहीनो…पे॰… मोहो पहीनो…पे॰… अनोत्तप्पं पहीनं उच्छिन्नमूलं तालावत्थुकतं अनभावङ्कतं आयतिं अनुप्पादधम्मं…पे॰… रागप्पहानाय मग्गो भावितो…पे॰… बोज्झङ्गा भाविता…पे॰… दोसप्पहानाय…पे॰… अनोत्तप्पपहानाय मग्गो भावितो…पे॰… बोज्झङ्गा भाविता…पे॰… ननु अरहा वीतरागो वीतदोसो वीतमोहो…पे॰… सच्छिकातब्बं सच्छिकतन्ति? आमन्ता। हञ्चि अरहा वीतरागो वीतदोसो वीतमोहो सच्छिकातब्बं सच्छिकतं, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो परवितारणा’’ति।
३२४. अत्थि अरहतो परवितारणाति? सधम्मकुसलस्स अरहतो अत्थि परवितारणा, परधम्मकुसलस्स अरहतो नत्थि परवितारणाति। सधम्मकुसलस्स अरहतो अत्थि परवितारणाति? आमन्ता। परधम्मकुसलस्स अरहतो अत्थि परवितारणाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
परधम्मकुसलस्स अरहतो नत्थि परवितारणाति? आमन्ता । सधम्मकुसलस्स अरहतो नत्थि परवितारणाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
सधम्मकुसलस्स अरहतो रागो पहीनो, अत्थि तस्स परवितारणाति? आमन्ता। परधम्मकुसलस्स अरहतो रागो पहीनो, अत्थि तस्स परवितारणाति? न हेवं वत्तब्बे।
सधम्मकुसलस्स अरहतो दोसो पहीनो…पे॰… मोहो पहीनो…पे॰… अनोत्तप्पं पहीनं …पे॰… रागप्पहानाय मग्गो भावितो…पे॰… बोज्झङ्गा भाविता…पे॰… दोसप्पहानाय…पे॰… अनोत्तप्पपहानाय मग्गो भावितो…पे॰… बोज्झङ्गा भाविता…पे॰… सधम्मकुसलो अरहा वीतरागो वीतदोसो वीतमोहो…पे॰… सच्छिकातब्बं सच्छिकतं, अत्थि तस्स परवितारणाति? आमन्ता। परधम्मकुसलो अरहा वीतरागो वीतदोसो वीतमोहो…पे॰… सच्छिकातब्बं सच्छिकतं, अत्थि तस्स परवितारणाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
परधम्मकुसलस्स अरहतो रागो पहीनो, नत्थि तस्स परवितारणाति? आमन्ता। सधम्मकुसलस्स अरहतो रागो पहीनो, नत्थि तस्स परवितारणाति? न हेवं वत्तब्बे।
परधम्मकुसलस्स अरहतो दोसो पहीनो, मोहो पहीनो…पे॰… अनोत्तप्पं पहीनं…पे॰… रागप्पहानाय मग्गो भावितो…पे॰… बोज्झङ्गा भाविता…पे॰… दोसप्पहानाय…पे॰… अनोत्तप्पपहानाय मग्गो भावितो…पे॰… बोज्झङ्गा भाविता…पे॰… परधम्मकुसलो अरहा वीतरागो वीतदोसो वीतमोहो…पे॰… सच्छिकातब्बं सच्छिकतं, नत्थि तस्स परवितारणाति? आमन्ता। सधम्मकुसलो अरहा वीतरागो वीतदोसो वीतमोहो…पे॰… सच्छिकातब्बं सच्छिकतं, नत्थि तस्स परवितारणाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
३२५. अत्थि अरहतो परवितारणाति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘जानतोहं, भिक्खवे, पस्सतो आसवानं खयं वदामि, नो अजानतो नो अपस्सतो! किञ्च, भिक्खवे, जानतो किं पस्सतो आसवानं खयो होति? ‘इति रूपं’…पे॰… ‘इति विञ्ञाणस्स अत्थङ्गमो’ति – एवं खो, भिक्खवे, जानतो एवं पस्सतो आसवानं खयो होती’’ति। अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता । तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘अत्थि अरहतो परवितारणा’’ति।
अत्थि अरहतो परवितारणाति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘जानतोहं, भिक्खवे, पस्सतो आसवानं खयं वदामि, नो अजानतो नो अपस्सतो! किञ्च, भिक्खवे, जानतो किं पस्सतो आसवानं खयो होति? ‘इदं दुक्ख’न्ति – भिक्खवे, जानतो पस्सतो आसवानं खयो होति, ‘अयं दुक्खसमुदयो’ति…पे॰… ‘अयं दुक्खनिरोधो’ति…पे॰… ‘अयं दुक्खनिरोधगामिनी पटिपदा’ति – जानतो पस्सतो आसवानं खयो होति। एवं खो, भिक्खवे, जानतो एवं पस्सतो आसवानं खयो होती’’ति। अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘अत्थि अरहतो परवितारणा’’ति।
अत्थि अरहतो परवितारणाति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘सब्बं, भिक्खवे, अनभिजानं अपरिजानं अविराजयं अप्पजहं अभब्बो दुक्खक्खयाय; सब्बञ्च खो, भिक्खवे, अभिजानं परिजानं विराजयं पजहं भब्बो दुक्खक्खयाया’’ति! अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘अत्थि अरहतो परवितारणा’’ति।
अत्थि अरहतो परवितारणाति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘सहावस्स दस्सनसम्पदाय…पे॰… छच्चाभिठानानि अभब्ब कातु’’न्ति। अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘अत्थि अरहतो परवितारणा’’ति।
अत्थि अरहतो परवितारणाति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘यस्मिं, भिक्खवे, समये अरियसावकस्स विरजं वीतमलं धम्मचक्खुं उदपादि – ‘यं किञ्चि समुदयधम्मं, सब्बं तं निरोधधम्म’न्ति, सह दस्सनुप्पादा, भिक्खवे, अरियसावकस्स तीणि संयोजनानि पहीयन्ति – सक्कायदिट्ठि, विचिकिच्छा, सीलब्बतपरामासो’’ति! अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘अत्थि अरहतो परवितारणा’’ति।
अत्थि अरहतो परवितारणाति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता –
‘‘नाहं सहिस्सामि [गमिस्सामि (सी॰ स्या॰ क॰), समीहामि (पी॰)] पमोचनाय,
कथङ्कथिं धोतक कञ्चि [किञ्चि (क॰)] लोके।
धम्मञ्च सेट्ठं अभिजानमानो,
एवं तुवं ओघमिमं तरेसी’’ति [सु॰ नि॰ १०७० सुत्तनिपाते; चूळनि॰ ३३ धोतकमाणवपुच्छानिद्देस]॥
अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘अत्थि अरहतो परवितारणा’’ति।
न वत्तब्बं – ‘‘अत्थि अरहतो परवितारणा’’ति? आमन्ता। ननु अरहतो इत्थिपुरिसानं नामगोत्तं परे वितारेय्युं, मग्गामग्गं परे वितारेय्युं, तिणकट्ठवनप्पतीनं नामं परे वितारेय्युन्ति? आमन्ता। हञ्चि अरहतो इत्थिपुरिसानं नामगोत्तं परे वितारेय्युं, मग्गामग्गं परे वितारेय्युं, तिणकट्ठवनप्पतीनं नामं परे वितारेय्युं, तेन वत रे वत्तब्बे – ‘‘अत्थि अरहतो परवितारणा’’ति।
अरहतो इत्थिपुरिसानं नामगोत्तं परे वितारेय्युं, मग्गामग्गं परे वितारेय्युं, तिणकट्ठवनप्पतीनं नामं परे वितारेय्युन्ति, अत्थि अरहतो परवितारणाति? आमन्ता। अरहतो सोतापत्तिफलं वा सकदागामिफलं वा अनागामिफलं वा अरहत्तं वा परे वितारेय्युन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
परवितारणकथा निट्ठिता।
२. दुतियवग्गो
(१४) ५. वचीभेदकथा
३२६. समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? आमन्ता। सब्बत्थ समापन्नानं अत्थि वचीभेदोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? आमन्ता। सब्बदा समापन्नानं अत्थि वचीभेदोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? आमन्ता। सब्बेसं समापन्नानं अत्थि वचीभेदोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? आमन्ता। सब्बसमापत्तीसु अत्थि वचीभेदोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? आमन्ता। समापन्नस्स अत्थि कायभेदोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
समापन्नस्स नत्थि कायभेदोति? आमन्ता। समापन्नस्स नत्थि वचीभेदोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
समापन्नस्स अत्थि वाचा, अत्थि वचीभेदोति? आमन्ता। समापन्नस्स अत्थि कायो, अत्थि कायभेदोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
समापन्नस्स अत्थि कायो, नत्थि कायभेदोति? आमन्ता। समापन्नस्स अत्थि वाचा, नत्थि वचीभेदोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
३२७. दुक्खन्ति जानन्तो दुक्खन्ति वाचं भासतीति? आमन्ता। समुदयोति जानन्तो समुदयोति वाचं भासतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
दुक्खन्ति जानन्तो दुक्खन्ति वाचं भासतीति? आमन्ता। निरोधोति जानन्तो निरोधोति वाचं भासतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
दुक्खन्ति जानन्तो दुक्खन्ति वाचं भासतीति? आमन्ता। मग्गोति जानन्तो मग्गोति वाचं भासतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
समुदयोति जानन्तो न च समुदयोति वाचं भासतीति? आमन्ता। दुक्खन्ति जानन्तो न च दुक्खन्ति वाचं भासतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
निरोधोति जानन्तो न च निरोधोति वाचं भासतीति? आमन्ता। दुक्खन्ति जानन्तो न च दुक्खन्ति वाचं भासतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
मग्गोति जानन्तो न च मग्गोति वाचं भासतीति? आमन्ता। दुक्खन्ति जानन्तो न च दुक्खन्ति वाचं भासतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
३२८. समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? आमन्ता । ञाणं किंगोचरन्ति? ञाणं सच्चगोचरन्ति। सोतं सच्चगोचरन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? आमन्ता। सोतं किं गोचरन्ति? सोतं सद्दगोचरन्ति। ञाणं सद्दगोचरन्ति? न हेवं वत्तब्बे।
समापन्नस्स अत्थि वचीभेदो ञाणं सच्चगोचरं, सोतं सद्दगोचरन्ति? आमन्ता। हञ्चि ञाणं सच्चगोचरं, सोतं सद्दगोचरं, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘समापन्नस्स अत्थि वचीभेदो’’ति।
समापन्नस्स अत्थि वचीभेदो ञाणं सच्चगोचरं, सोतं सद्दगोचरन्ति? आमन्ता। द्विन्नं फस्सानं, द्विन्नं वेदनानं, द्विन्नं सञ्ञानं, द्विन्नं चेतनानं, द्विन्नं चित्तानं समोधानं होतीति? न हेवं वत्तब्बे।
३२९. समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? आमन्ता। पथवीकसिणं समापत्तिं समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? न हेवं वत्तब्बे।
समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? आमन्ता। आपोकसिणं…पे॰… तेजोकसिणं… वायोकसिणं… नीलकसिणं… पीतकसिणं… लोहितकसिणं… ओदातकसिणं… आकासानञ्चायतनं … विञ्ञाणञ्चायतनं… आकिञ्चञ्ञायतनं…पे॰… नेवसञ्ञानासञ्ञायतनं समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
पथवीकसिणं समापत्तिं समापन्नस्स नत्थि वचीभेदोति? आमन्ता। हञ्चि पथवीकसिणं समापत्तिं समापन्नस्स नत्थि वचीभेदो, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘समापन्नस्स अत्थि वचीभेदो’’ति।
आपोकसिणं … तेजोकसिणं… वायोकसिणं… नीलकसिणं… पीतकसिणं… लोहितकसिणं… ओदातकसिणं… आकासानञ्चायतनं … विञ्ञाणञ्चायतनं… आकिञ्चञ्ञायतनं… नेवसञ्ञानासञ्ञायतनं समापन्नस्स नत्थि वचीभेदोति? आमन्ता। हञ्चि नेवसञ्ञानासञ्ञायतनं समापन्नस्स नत्थि वचीभेदो, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘समापन्नस्स अत्थि वचीभेदो’’ति।
समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? आमन्ता। लोकियसमापत्तिं समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? आमन्ता। लोकियं पठमं झानं समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…। समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? आमन्ता। लोकियं दुतियं झानं… ततियं झानं… चतुत्थं झानं समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
लोकियं समापत्तिं समापन्नस्स नत्थि वचीभेदोति? आमन्ता। हञ्चि लोकियं समापत्तिं समापन्नस्स नत्थि वचीभेदो, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘समापन्नस्स अत्थि वचीभेदो’’ति।
लोकियं पठमं झानं समापन्नस्स नत्थि वचीभेदोति? आमन्ता । हञ्चि लोकियं पठमं झानं समापन्नस्स नत्थि वचीभेदो, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘समापन्नस्स अत्थि वचीभेदो’’ति।
लोकियं दुतियं झानं… ततियं झानं… चतुत्थं झानं समापन्नस्स नत्थि वचीभेदोति? आमन्ता। हञ्चि लोकियं चतुत्थं झानं समापन्नस्स नत्थि वचीभेदो, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘समापन्नस्स अत्थि वचीभेदो’’ति।
३३०. लोकुत्तरं पठमं झानं समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? आमन्ता। लोकियं पठमं झानं समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
लोकुत्तरं पठमं झानं समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? आमन्ता। लोकियं दुतियं झानं… ततियं झानं… चतुत्थं झानं समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
लोकियं पठमं झानं समापन्नस्स नत्थि वचीभेदोति? आमन्ता। लोकुत्तरं पठमं झानं समापन्नस्स नत्थि वचीभेदोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
लोकियं दुतियं झानं… ततियं झानं… चतुत्थं झानं समापन्नस्स नत्थि वचीभेदोति? आमन्ता। लोकुत्तरं पठमं झानं समापन्नस्स नत्थि वचीभेदोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
३३१. लोकुत्तरं पठमं झानं समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? आमन्ता। लोकुत्तरं दुतियं झानं समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
लोकुत्तरं पठमं झानं समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? आमन्ता। लोकुत्तरं ततियं झानं… चतुत्थं झानं समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
लोकुत्तरं दुतियं झानं समापन्नस्स नत्थि वचीभेदोति? आमन्ता । लोकुत्तरं पठमं झानं समापन्नस्स नत्थि वचीभेदोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
लोकुत्तरं दुतियं झानं… ततियं झानं… चतुत्थं झानं समापन्नस्स नत्थि वचीभेदोति ? आमन्ता। लोकुत्तरं पठमं झानं समापन्नस्स नत्थि वचीभेदोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
३३२. न वत्तब्बं – ‘‘समापन्नस्स अत्थि वचीभेदो’’ति? आमन्ता। ननु वितक्कविचारा वचीसङ्खारा वुत्ता भगवता – ‘‘पठमं झानं समापन्नस्स अत्थि वितक्कविचारा’’ति? आमन्ता। हञ्चि वितक्कविचारा वचीसङ्खारा वुत्ता भगवता – ‘‘पठमं झानं समापन्नस्स अत्थि वितक्कविचारा,’’ तेन वत रे वत्तब्बे – ‘‘समापन्नस्स अत्थि वचीभेदो’’ति।
वितक्कविचारा वचीसङ्खारा वुत्ता भगवता – ‘‘पठमं झानं समापन्नस्स अत्थि वितक्कविचारा’’ति [अत्थि वितक्कविचारा (स्या॰) एवमुपरिपि], अत्थि तस्स वचीभेदोति? आमन्ता। पथवीकसिणं पठमं झानं समापन्नस्स अत्थि वितक्कविचारा, अत्थि तस्स वचीभेदोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
वितक्कविचारा वचीसङ्खारा वुत्ता भगवता – ‘‘पठमं झानं समापन्नस्स अत्थि वितक्कविचारा’’ति, अत्थि तस्स वचीभेदोति? आमन्ता । आपोकसिणं… तेजोकसिणं… वायोकसिणं… नीलकसिणं… पीतकसिणं… लोहितकसिणं… ओदातकसिणं पठमं झानं समापन्नस्स अत्थि वितक्कविचारा, अत्थि तस्स वचीभेदोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
न वत्तब्बं – ‘‘समापन्नस्स अत्थि वचीभेदो’’ति? आमन्ता। ननु वितक्कसमुट्ठाना वाचा वुत्ता भगवता – ‘‘पठमं झानं समापन्नस्स अत्थि वितक्कविचारा’’ति? आमन्ता। हञ्चि वितक्कसमुट्ठाना वाचा वुत्ता भगवता – ‘‘पठमं झानं समापन्नस्स अत्थि वितक्कविचारा,’’ तेन वत रे वत्तब्बे – ‘‘समापन्नस्स अत्थि वचीभेदो’’ति।
वितक्कसमुट्ठाना वाचा वुत्ता भगवता – ‘‘पठमं झानं समापन्नस्स अत्थि वितक्कविचारा’’ति, अत्थि तस्स वचीभेदोति? आमन्ता। सञ्ञासमुट्ठाना वाचा वुत्ता भगवता – ‘‘दुतियं झानं समापन्नस्स अत्थि सञ्ञा, अत्थि तस्स वितक्कविचारा’’ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
वितक्कसमुट्ठाना वाचा वुत्ता भगवता – ‘‘पठमं झानं समापन्नस्स अत्थि वितक्कविचारा’’ति, अत्थि तस्स वचीभेदोति? आमन्ता। सञ्ञासमुट्ठाना वाचा वुत्ता भगवता – ततियं झानं…पे॰… चतुत्थं झानं… आकासानञ्चायतनं… विञ्ञाणञ्चायतनं… आकिञ्चञ्ञायतनं समापन्नस्स अत्थि सञ्ञा, अत्थि तस्स वितक्कविचाराति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
३३३. समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? आमन्ता। ननु ‘‘पठमं झानं समापन्नस्स वाचा निरुद्धा होती’’ति [सं॰ नि॰ ४.२५९, २६३]! अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता । हञ्चि ‘‘पठमं झानं समापन्नस्स वाचा निरुद्धा होती’’ति, अत्थेव सुत्तन्तोति, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘समापन्नस्स अत्थि वचीभेदो’’ति।
‘‘पठमं झानं समापन्नस्स वाचा निरुद्धा होती’’ति [सं॰ नि॰ ४.२५९, २६३], अत्थेव सुत्तन्तोति, अत्थि तस्स वचीभेदोति? आमन्ता। ‘‘दुतियं झानं समापन्नस्स वितक्कविचारा निरुद्धा होन्ती’’ति [सं॰ नि॰ ४.२५९, २६३], अत्थेव सुत्तन्तोति, अत्थि तस्स वितक्कविचाराति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
‘‘पठमं झानं समापन्नस्स वाचा निरुद्धा होती’’ति [सं॰ नि॰ ४.२५९, २६३], अत्थेव सुत्तन्तोति, अत्थि तस्स वचीभेदोति? आमन्ता। ‘‘ततियं झानं समापन्नस्स पीति निरुद्धा होति, चतुत्थं झानं समापन्नस्स अस्सासपस्सासा निरुद्धा होन्ति, आकासानञ्चायतनं समापन्नस्स रूपसञ्ञा निरुद्धा होति, विञ्ञाणञ्चायतनं समापन्नस्स आकासानञ्चायतनसञ्ञा निरुद्धा होति, आकिञ्चञ्ञायतनं समापन्नस्स विञ्ञाणञ्चायतनसञ्ञा निरुद्धा होति, नेवसञ्ञानासञ्ञायतनं समापन्नस्स आकिञ्चञ्ञायतनसञ्ञा निरुद्धा होति, सञ्ञावेदयितनिरोधं समापन्नस्स सञ्ञा च वेदना च निरुद्धा होन्ती’’ति [सं॰ नि॰ ४.२५९, २६३; अ॰ नि॰ ९.३१; दी॰ नि॰ ३.३४४], अत्थेव सुत्तन्तोति, अत्थि तस्स सञ्ञा च वेदना चाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
न वत्तब्बं – ‘‘समापन्नस्स अत्थि वचीभेदो’’ति? आमन्ता। ननु पठमस्स झानस्स सद्दो कण्टको [क्ण्टको (स्या॰) अ॰ नि॰ १०.७२] वुत्तो भगवताति [अ॰ नि॰ १०.७२ कण्टकसुत्तं निस्साय पुच्छति]? आमन्ता। हञ्चि पठमस्स झानस्स सद्दो कण्टको वुत्तो भगवता, तेन वत रे वत्तब्बे – ‘‘समापन्नस्स अत्थि वचीभेदो’’ति।
पठमस्स झानस्स सद्दो कण्टको वुत्तो भगवताति, समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति? आमन्ता। दुतियस्स झानस्स वितक्कविचारा कण्टको वुत्तो भगवता… ततियस्स झानस्स पीति कण्टको वुत्तो भगवता… चतुत्थस्स झानस्स अस्सासपस्सासा कण्टको वुत्तो भगवता [अ॰ नि॰ १०.७२] … आकासानञ्चायतनं समापन्नस्स रूपसञ्ञा कण्टको वुत्तो भगवता… विञ्ञाणञ्चायतनं समापन्नस्स आकासानञ्चायतनसञ्ञा कण्टको वुत्तो भगवता… आकिञ्चञ्ञायतनं समापन्नस्स विञ्ञाणञ्चायतनसञ्ञा कण्टको वुत्तो भगवता… नेवसञ्ञानासञ्ञायतनं समापन्नस्स आकिञ्चञ्ञायतनसञ्ञा कण्टको वुत्तो भगवता… सञ्ञावेदयितनिरोधं समापन्नस्स सञ्ञा च वेदना च कण्टको वुत्तो भगवता [अ॰ नि॰ १०.७२], अत्थि तस्स सञ्ञा च वेदना चाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
न वत्तब्बं – ‘‘समापन्नस्स अत्थि वचीभेदो’’ति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘सिखिस्स, आनन्द, भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स अभिभू नाम सावको ब्रह्मलोके ठितो दससहस्सिलोकधातुं सरेन विञ्ञापेसि –
‘आरब्भथ निक्कमथ, युञ्जथ बुद्धसासने।
धुनाथ मच्चुनो सेनं, नळागारंव कुञ्जरो॥
‘यो इमस्मिं धम्मविनये, अप्पमत्तो विहस्सति [विहेस्सति (सी॰ स्या॰ कं॰) विहरिस्सति (क॰)]।
पहाय जातिसंसारं, दुक्खस्सन्तं करिस्सती’’’ति [अ॰ नि॰ १ तिकनिपाते; सं॰ नि॰ १.२८५]॥
अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि समापन्नस्स अत्थि वचीभेदोति।
वचीभेदकथा निट्ठिता।
२. दुतियवग्गो
(१५) ६. दुक्खाहारकथा
३३४. दुक्खाहारो मग्गङ्गं मग्गपरियापन्नन्ति? आमन्ता । ये केचि दुक्खन्ति वाचं भासन्ति, सब्बे ते मग्गं भावेन्तीति? न हेवं वत्तब्बे।
ये केचि दुक्खन्ति वाचं भासन्ति, सब्बे ते मग्गं भावेन्तीति? आमन्ता। बालपुथुज्जना दुक्खन्ति वाचं भासन्ति, बालपुथुज्जना मग्गं भावेन्तीति? न हेवं वत्तब्बे। मातुघातको… पितुघातको… अरहन्तघातको… रुहिरुप्पादको [लोहितुप्पादको (सी॰ क॰) अञ्ञट्ठानेसु पन रुहिरुप्पादकोत्वेव दिस्सति] … सङ्घभेदको दुक्खन्ति वाचं भासति, सङ्घभेदको मग्गं भावेतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
दुक्खाहारकथा निट्ठिता।
२. दुतियवग्गो
(१६) ७. चित्तट्ठितिकथा
३३५. एकं चित्तं दिवसं तिट्ठतीति? आमन्ता। उपड्ढदिवसो उप्पादक्खणो, उपड्ढदिवसो वयक्खणोति? न हेवं वत्तब्बे।
एकं चित्तं द्वे दिवसे तिट्ठतीति? आमन्ता। दिवसो उप्पादक्खणो, दिवसो वयक्खणोति? न हेवं वत्तब्बे।
एकं चित्तं चत्तारो दिवसे तिट्ठति… अट्ठ दिवसे तिट्ठति… दस दिवसे तिट्ठति… वीसति दिवसे तिट्ठति… मासं तिट्ठति… द्वे मासे तिट्ठति… चत्तारो मासे तिट्ठति… अट्ठ मासे तिट्ठति… दस मासे तिट्ठति… संवच्छरं तिट्ठति… द्वे वस्सानि तिट्ठति… चत्तारि वस्सानि तिट्ठति… अट्ठ वस्सानि तिट्ठति… दस वस्सानि तिट्ठति… वीसति वस्सानि तिट्ठति… तिंस वस्सानि तिट्ठति… चत्तारीस वस्सानि तिट्ठति… पञ्ञास वस्सानि तिट्ठति… वस्ससतं तिट्ठति… द्वे वस्ससतानि तिट्ठति… चत्तारि वस्ससतानि तिट्ठति… पञ्च वस्ससतानि तिट्ठति… वस्ससहस्सं तिट्ठति… द्वे वस्ससहस्सानि तिट्ठति… चत्तारि वस्ससहस्सानि तिट्ठति… अट्ठ वस्ससहस्सानि तिट्ठति… सोळस वस्ससहस्सानि तिट्ठति… कप्पं तिट्ठति… द्वे कप्पे तिट्ठति… चत्तारो कप्पे तिट्ठति… अट्ठ कप्पे तिट्ठति… सोळस कप्पे तिट्ठति… बात्तिंस कप्पे तिट्ठति… चतुसट्ठि कप्पे तिट्ठति… पञ्च कप्पसतानि तिट्ठति… कप्पसहस्सानि तिट्ठति… द्वे कप्पसहस्सानि तिट्ठति… चत्तारि कप्पसहस्सानि तिट्ठति… अट्ठ कप्पसहस्सानि तिट्ठति… सोळस कप्पसहस्सानि तिट्ठति… वीसति कप्पसहस्सानि तिट्ठति… चत्तारीस कप्पसहस्सानि तिट्ठति… सट्ठि कप्पसहस्सानि तिट्ठति… चतुरासीति कप्पसहस्सानि तिट्ठतीति? आमन्ता। द्वेचत्तारीस कप्पसहस्सानि उप्पादक्खणो, द्वेचत्तारीस कप्पसहस्सानि वयक्खणोति? न हेवं वत्तब्बे।
एकं चित्तं दिवसं तिट्ठतीति? आमन्ता। अत्थञ्ञे धम्मा एकाहं बहुम्पि उप्पज्जित्वा निरुज्झन्तीति? आमन्ता। ते धम्मा चित्तेन लहुपरिवत्ताति? न हेवं वत्तब्बे।
ते धम्मा चित्तेन लहुपरिवत्ताति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘नाहं, भिक्खवे, अञ्ञं एकधम्मम्पि समनुपस्सामि एवं लहुपरिवत्तं यथयिदं चित्तम्। यावञ्चिदं, भिक्खवे, उपमापि न सुकरा याव लहुपरिवत्तं चित्त’’न्ति [अ॰ नि॰ १.४८]। अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘ते धम्मा चित्तेन लहुपरिवत्ता’’ति।
ते धम्मा चित्तेन लहुपरिवत्ताति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘सेय्यथापि, भिक्खवे, मक्कटो अरञ्ञे पवने चरमानो साखं गण्हति, तं मुञ्चित्वा अञ्ञं गण्हति, तं मुञ्चित्वा अञ्ञं गण्हति; एवमेव खो, भिक्खवे, यमिदं [यदिदं (बहूसु)] वुच्चति चित्तं इतिपि मनो इतिपि विञ्ञाणं इतिपि तं रत्तिया च दिवसस्स च अञ्ञदेव उप्पज्जति अञ्ञं निरुज्झती’’ति [सं॰ नि॰ २.६१]। अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘ते धम्मा चित्तेन लहुपरिवत्ता’’ति।
३३६. एकं चित्तं दिवसं तिट्ठतीति? आमन्ता। चक्खुविञ्ञाणं दिवसं तिट्ठतीति? न हेवं वत्तब्बे। सोतविञ्ञाणं…पे॰… घानविञ्ञाणं… जिव्हाविञ्ञाणं… कायविञ्ञाणं… अकुसलं चित्तं… रागसहगतं… दोससहगतं… मोहसहगतं… मानसहगतं… दिट्ठिसहगतं… विचिकिच्छासहगतं… थिनसहगतं… उद्धच्चसहगतं… अहिरिकसहगतं… अनोत्तप्पसहगतं चित्तं दिवसं तिट्ठतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
एकं चित्तं दिवसं तिट्ठतीति? आमन्ता। येनेव चित्तेन चक्खुना रूपं पस्सति, तेनेव चित्तेन सोतेन सद्दं सुणाति…पे॰… घानेन गन्धं घायति… जिव्हाय रसं सायति… कायेन फोट्ठब्बं फुसति… मनसा धम्मं विजानाति…पे॰… येनेव चित्तेन मनसा धम्मं विजानाति, तेनेव चित्तेन चक्खुना रूपं पस्सति…पे॰… सोतेन सद्दं सुणाति… घानेन गन्धं घायति… जिव्हाय रसं सायति…पे॰… कायेन फोट्ठब्बं फुसतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
एकं चित्तं दिवसं तिट्ठतीति? आमन्ता। येनेव चित्तेन अभिक्कमति, तेनेव चित्तेन पटिक्कमति; येनेव चित्तेन पटिक्कमति, तेनेव चित्तेन अभिक्कमति; येनेव चित्तेन आलोकेति, तेनेव चित्तेन विलोकेति; येनेव चित्तेन विलोकेति, तेनेव चित्तेन आलोकेति; येनेव चित्तेन समिञ्जेति, तेनेव चित्तेन पसारेति ; येनेव चित्तेन पसारेति, तेनेव चित्तेन समिञ्जेतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
३३७. आकासानञ्चायतनूपगानं देवानं एकं चित्तं यावतायुकं तिट्ठतीति? आमन्ता। मनुस्सानं एकं चित्तं यावतायुकं तिट्ठतीति? न हेवं वत्तब्बे।
आकासानञ्चायतनूपगानं देवानं एकं चित्तं यावतायुकं तिट्ठतीति? आमन्ता। चातुमहाराजिकानं देवानं…पे॰… तावतिंसानं देवानं… यामानं देवानं… तुसितानं देवानं… निम्मानरतीनं देवानं… परनिम्मितवसवत्तीनं देवानं… ब्रह्मपारिसज्जानं देवानं… ब्रह्मपुरोहितानं देवानं… महाब्रह्मानं देवानं… परित्ताभानं देवानं… अप्पमाणाभानं देवानं… आभस्सरानं देवानं… परित्तसुभानं देवानं… अप्पमाणसुभानं देवानं… सुभकिण्हानं देवानं … वेहप्फलानं देवानं… अविहानं देवानं… अतप्पानं देवानं… सुदस्सानं देवानं… सुदस्सीनं देवानं… अकनिट्ठानं देवानं एकं चित्तं यावतायुकं तिट्ठतीति? न हेवं वत्तब्बे।
आकासानञ्चायतनूपगानं देवानं वीसति कप्पसहस्सानि आयुप्पमाणं, आकासानञ्चायतनूपगानं देवानं एकं चित्तं वीसति कप्पसहस्सानि तिट्ठतीति? आमन्ता। मनुस्सानं वस्ससतं आयुप्पमाणं, मनुस्सानं एकं चित्तं वस्ससतं तिट्ठतीति? न हेवं वत्तब्बे।
आकासानञ्चायतनूपगानं देवानं वीसति कप्पसहस्सानि आयुप्पमाणं, आकासानञ्चायतनूपगानं देवानं एकं चित्तं वीसति कप्पसहस्सानि तिट्ठतीति? आमन्ता। चातुमहाराजिकानं देवानं पञ्च वस्ससतानि आयुप्पमाणं, चातुमहाराजिकानं देवानं एकं चित्तं पञ्च वस्ससतानि तिट्ठति… वस्ससहस्सं तिट्ठति… द्वे वस्ससहस्सानि तिट्ठति… चत्तारि वस्ससहस्सानि तिट्ठति… अट्ठ वस्ससहस्सानि तिट्ठति… सोळस वस्ससहस्सानि तिट्ठति… कप्पस्स ततियभागं तिट्ठति… उपड्ढकप्पं तिट्ठति… एकं कप्पं तिट्ठति… द्वे कप्पे तिट्ठति… चत्तारो कप्पे तिट्ठति… अट्ठ कप्पे तिट्ठति… सोळस कप्पे तिट्ठति… बात्तिंस कप्पे तिट्ठति… चतुसट्ठि कप्पे तिट्ठति… पञ्च कप्पसतानि तिट्ठति… कप्पसहस्सं तिट्ठति… द्वे कप्पसहस्सानि तिट्ठति… चत्तारि कप्पसहस्सानि तिट्ठति… अट्ठ कप्पसहस्सानि तिट्ठति… अकनिट्ठानं देवानं सोळस कप्पसहस्सानि आयुप्पमाणं, अकनिट्ठानं देवानं एकं चित्तं सोळस कप्पसहस्सानि तिट्ठतीति? न हेवं वत्तब्बे।
आकासानञ्चायतनूपगानं देवानं चित्तं मुहुत्तं मुहुत्तं उप्पज्जति मुहुत्तं मुहुत्तं निरुज्झतीति? आमन्ता। आकासानञ्चायतनूपगा देवा मुहुत्तं मुहुत्तं चवन्ति मुहुत्तं मुहुत्तं उप्पज्जन्तीति? न हेवं वत्तब्बे।
आकासानञ्चायतनूपगानं देवानं एकं चित्तं यावतायुकं तिट्ठतीति ? आमन्ता। आकासानञ्चायतनूपगा देवा येनेव चित्तेन उप्पज्जन्ति, तेनेव चित्तेन चवन्तीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
चित्तट्ठितिकथा निट्ठिता।
२. दुतियवग्गो
(१७) ८. कुक्कुळकथा
३३८. सब्बे सङ्खारा अनोधिं कत्वा कुक्कुळाति? आमन्ता। ननु अत्थि सुखा वेदना, कायिकं सुखं, चेतसिकं सुखं , दिब्बं सुखं, मानुसकं सुखं, लाभसुखं, सक्कारसुखं, यानसुखं, सयनसुखं, इस्सरियसुखं, आधिपच्चसुखं, गिहिसुखं, सामञ्ञसुखं, सासवं सुखं, अनासवं सुखं, उपधिसुखं, निरूपधिसुखं, सामिसं सुखं, निरामिसं सुखं, सप्पीतिकं सुखं, निप्पीतिकं सुखं, झानसुखं, विमुत्तिसुखं, कामसुखं, नेक्खम्मसुखं, विवेकसुखं, उपसमसुखं, सम्बोधसुखन्ति? आमन्ता। हञ्चि अत्थि सुखा वेदना…पे॰… सम्बोधसुखं, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘सब्बे सङ्खारा अनोधिं कत्वा कुक्कुळा’’ति।
सब्बे सङ्खारा अनोधिं कत्वा कुक्कुळाति? आमन्ता। सब्बे सङ्खारा दुक्खा वेदना कायिकं दुक्खं चेतसिकं दुक्खं सोकपरिदेवदुक्खदोमनस्सउपायासाति? न हेवं वत्तब्बे।
न वत्तब्बं – ‘‘सब्बे सङ्खारा अनोधिं कत्वा कुक्कुळा’’ति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘सब्बं, भिक्खवे, आदित्तं! किञ्च, भिक्खवे, सब्बं आदित्तं? चक्खुं, भिक्खवे, आदित्तं, रूपा आदित्ता, चक्खुविञ्ञाणं आदित्तं, चक्खुसम्फस्सो आदित्तो; यमिदं [यम्पिदं (सं॰ नि॰ ४.२८)] चक्खुसम्फस्सपच्चया उप्पज्जति वेदयितं सुखं वा दुक्खं वा अदुक्खमसुखं वा, तम्पि आदित्तम्। केन आदित्तं? ‘रागग्गिना दोसग्गिना मोहग्गिना आदित्तं, जातिया जराय मरणेन सोकेहि परिदेवेहि दुक्खेहि दोमनस्सेहि उपायासेहि आदित्त’न्ति वदामि। सोतं आदित्तं, सद्दा आदित्ता…पे॰… घानं आदित्तं, गन्धा आदित्ता…पे॰… जिव्हा आदित्ता, रसा आदित्ता…पे॰… कायो आदित्तो, फोट्ठब्बा आदित्ता…पे॰… मनो आदित्तो, धम्मा आदित्ता, मनोविञ्ञाणं आदित्तं, मनोसम्फस्सो आदित्तो; यमिदं मनोसम्फस्सपच्चया उप्पज्जति वेदयितं सुखं वा दुक्खं वा अदुक्खमसुखं वा, तम्पि आदित्तम्। केन आदित्तं? ‘रागग्गिना दोसग्गिना मोहग्गिना आदित्तं, जातिया जराय मरणेन सोकेहि परिदेवेहि दुक्खेहि दोमनस्सेहि उपायासेहि आदित्त’न्ति वदामी’’ति [महाव॰ ५४; सं॰ नि॰ ४.२८]। अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि वत्तब्बं [तेन हि (सी॰ स्या॰), तेन हि न वत्तब्बं (क॰)] – ‘‘सब्बे सङ्खारा अनोधिं कत्वा कुक्कुळा’’ति।
सब्बे सङ्खारा अनोधिं कत्वा कुक्कुळाति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘पञ्चिमे, भिक्खवे, कामगुणा! कतमे पञ्च? चक्खुविञ्ञेय्या रूपा इट्ठा कन्ता मनापा पियरूपा कामूपसंहिता रजनीया, सोतविञ्ञेय्या सद्दा…पे॰… घानविञ्ञेय्या गन्धा… जिव्हाविञ्ञेय्या रसा… कायविञ्ञेय्या फोट्ठब्बा इट्ठा कन्ता मनापा पियरूपा कामूपसंहिता रजनीया। इमे खो, भिक्खवे, पञ्च कामगुणा’’ति [म॰ नि॰ १.१६६; सं॰ नि॰ ४.२६८]। अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘सब्बे सङ्खारा अनोधिं कत्वा कुक्कुळा’’ति।
न वत्तब्बं – ‘‘सब्बे सङ्खारा अनोधिं कत्वा कुक्कुळा’’ति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘लाभा वो, भिक्खवे, सुलद्धं वो, भिक्खवे, खणो वो पटिलद्धो [पटिविद्धो (बहूसु)] ब्रह्मचरियवासाय! दिट्ठा मया, भिक्खवे, छ फस्सायतनिका नाम निरया। तत्थ यं किञ्चि चक्खुना रूपं पस्सति, अनिट्ठरूपञ्ञेव पस्सति नो इट्ठरूपं, अकन्तरूपञ्ञेव पस्सति नो कन्तरूपं, अमनापरूपञ्ञेव पस्सति नो मनापरूपम्। यं किञ्चि सोतेन सद्दं सुणाति…पे॰… घानेन गन्धं घायति… जिव्हाय रसं सायति… कायेन फोट्ठब्बं फुसति… मनसा धम्मं विजानाति, अनिट्ठरूपञ्ञेव विजानाति नो इट्ठरूपं, अकन्तरूपञ्ञेव विजानाति नो कन्तरूपं, अमनापरूपञ्ञेव विजानाति नो मनापरूप’’न्ति [सं॰ नि॰ ४.१३५]। अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि वत्तब्बं [तेन हि न वत्तब्बं (स्या॰ क॰)] – ‘‘सब्बे सङ्खारा अनोधिं कत्वा कुक्कुळा’’ति।
सब्बे सङ्खारा अनोधिं कत्वा कुक्कुळाति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘लाभा वो, भिक्खवे, सुलद्धं वो, भिक्खवे, खणो वो पटिलद्धो ब्रह्मचरियवासाय! दिट्ठा मया, भिक्खवे, छ फस्सायतनिका नाम सग्गा। तत्थ यं किञ्चि चक्खुना रूपं पस्सति, इट्ठरूपञ्ञेव पस्सति नो अनिट्ठरूपं, कन्तरूपञ्ञेव पस्सति नो अकन्तरूपं, मनापरूपञ्ञेव पस्सति नो अमनापरूपम्। यं किञ्चि सोतेन सद्दं सुणाति…पे॰… घानेन गन्धं घायति… जिव्हाय रसं सायति… कायेन फोट्ठब्बं फुसति… मनसा धम्मं विजानाति, इट्ठरूपञ्ञेव विजानाति नो अनिट्ठरूपं, कन्तरूपञ्ञेव विजानाति नो अकन्तरूपं, मनापरूपञ्ञेव विजानाति नो अमनापरूप’’न्ति [सं॰ नि॰ ४.१३५]। अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘सब्बे सङ्खारा अनोधिं कत्वा कुक्कुळा’’ति।
न वत्तब्बं – ‘‘सब्बे सङ्खारा अनोधिं कत्वा कुक्कुळा’’ति? आमन्ता। ननु ‘‘यदनिच्चं तं दुक्खं [सं॰ नि॰ ३.१५],’’ वुत्तं भगवता, ‘‘सब्बे सङ्खारा अनिच्चा’’ति [ध॰ प॰ २७७; म॰ नि॰ १.३५६]? आमन्ता। हञ्चि ‘‘यदनिच्चं तं दुक्खं,’’ वुत्तं भगवता, ‘‘सब्बे सङ्खारा अनिच्चा,’’ तेन वत रे वत्तब्बे – ‘‘सब्बे सङ्खारा अनोधिं कत्वा कुक्कुळा’’ति।
सब्बे सङ्खारा अनोधिं कत्वा कुक्कुळाति? आमन्ता। दानं अनिट्ठफलं अकन्तफलं अमनुञ्ञफलं सेचनकफलं दुक्खुद्रयं दुक्खविपाकन्ति? न हेवं वत्तब्बे।
सीलं…पे॰… उपोसथो…पे॰… भावना…पे॰… ब्रह्मचरियं अनिट्ठफलं अकन्तफलं अमनुञ्ञफलं सेचनकफलं दुक्खुद्रयं दुक्खविपाकन्ति? न हेवं वत्तब्बे।
ननु दानं इट्ठफलं कन्तफलं मनुञ्ञफलं असेचनकफलं सुखुद्रयं सुखविपाकन्ति ? आमन्ता। हञ्चि दानं इट्ठफलं कन्तफलं मनुञ्ञफलं असेचनकफलं सुखुद्रयं सुखविपाकं, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘सब्बे सङ्खारा अनोधिं कत्वा कुक्कुळा’’ति।
ननु सीलं… उपोसथो… भावना… ब्रह्मचरियं इट्ठफलं कन्तफलं मनुञ्ञफलं असेचनकफलं सुखुद्रयं सुखविपाकन्ति? आमन्ता। हञ्चि ब्रह्मचरियं इट्ठफलं कन्तफलं मनुञ्ञफलं असेचनकफलं सुखुद्रयं सुखविपाकन्ति, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘सब्बे सङ्खारा अनोधिं कत्वा कुक्कुळा’’ति।
सब्बे सङ्खारा अनोधिं कत्वा कुक्कुळाति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता –
‘‘सुखो विवेको तुट्ठस्स, सुतधम्मस्स पस्सतो।
अब्यापज्जं सुखं लोके, पाणभूतेसु संयमो॥
‘‘सुखा विरागता लोके, कामानं समतिक्कमो।
अस्मिमानस्स यो विनयो, एतं वे परमं सुखं [महाव॰ ५; उदा॰ ११ उदाने च]॥
‘‘तं सुखेन सुखं पत्तं, अच्चन्तसुखमेव तम्।
तिस्सो विज्जा अनुप्पत्ता, एतं वे परमं सुख’’न्ति॥
अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘सब्बे सङ्खारा अनोधिं कत्वा कुक्कुळा’’ति।
कुक्कुळकथा निट्ठिता।
२. दुतियवग्गो
(१८) ९. अनुपुब्बाभिसमयकथा
३३९. अनुपुब्बाभिसमयोति ? आमन्ता। अनुपुब्बेन सोतापत्तिमग्गं भावेतीति? न हेवं वत्तब्बे। अनुपुब्बेन सोतापत्तिमग्गं भावेतीति? आमन्ता। अनुपुब्बेन सोतापत्तिफलं सच्छिकरोतीति? न हेवं वत्तब्बे।
अनुपुब्बाभिसमयोति? आमन्ता। अनुपुब्बेन सकदागामिमग्गं भावेतीति? न हेवं वत्तब्बे। अनुपुब्बेन सकदागामिमग्गं भावेतीति? आमन्ता। अनुपुब्बेन सकदागामिफलं सच्छिकरोतीति? न हेवं वत्तब्बे।
अनुपुब्बाभिसमयोति? आमन्ता। अनुपुब्बेन अनागामिमग्गं भावेतीति? न हेवं वत्तब्बे। अनुपुब्बेन अनागामिमग्गं भावेतीति? आमन्ता। अनुपुब्बेन अनागामिफलं सच्छिकरोतीति? न हेवं वत्तब्बे।
अनुपुब्बाभिसमयोति ? आमन्ता। अनुपुब्बेन अरहत्तमग्गं भावेतीति? न हेवं वत्तब्बे। अनुपुब्बेन अरहत्तमग्गं भावेतीति? आमन्ता। अनुपुब्बेन अरहत्तफलं सच्छिकरोतीति? न हेवं वत्तब्बे।
३४०. सोतापत्तिफलसच्छिकिरियाय पटिपन्नो पुग्गलो दुक्खदस्सनेन किं जहतीति? सक्कायदिट्ठिं, विचिकिच्छं, सीलब्बतपरामासं, तदेकट्ठे च किलेसे चतुभागं जहतीति। चतुभागं सोतापन्नो, चतुभागं न सोतापन्नो, चतुभागं सोतापत्तिफलप्पत्तो पटिलद्धो अधिगतो सच्छिकतो उपसम्पज्ज विहरति, कायेन फुसित्वा विहरति, चतुभागं न कायेन फुसित्वा विहरति, चतुभागं सत्तक्खत्तुपरमो कोलङ्कोलो एकबीजी बुद्धे अवेच्चप्पसादेन समन्नागतो, धम्मे…पे॰… सङ्घे…पे॰… अरियकन्तेहि सीलेहि समन्नागतो चतुभागं न अरियकन्तेहि सीलेहि समन्नागतोति? न हेवं वत्तब्बे।
समुदयदस्सनेन…पे॰… निरोधदस्सनेन…पे॰… मग्गदस्सनेन किं जहतीति? सक्कायदिट्ठिं, विचिकिच्छं, सीलब्बतपरामासं, तदेकट्ठे च किलेसे चतुभागं जहतीति। चतुभागं सोतापन्नो, चतुभागं न सोतापन्नो, चतुभागं सोतापत्तिफलप्पत्तो पटिलद्धो अधिगतो सच्छिकतो उपसम्पज्ज विहरति, कायेन फुसित्वा विहरति, चतुभागं न कायेन फुसित्वा विहरति, चतुभागं सत्तक्खत्तुपरमो कोलङ्कोलो एकबीजी बुद्धे अवेच्चप्पसादेन समन्नागतो, धम्मे…पे॰… सङ्घे…पे॰… अरियकन्तेहि सीलेहि समन्नागतो, चतुभागं न अरियकन्तेहि सीलेहि समन्नागतोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
३४१. सकदागामिफलसच्छिकिरियाय पटिपन्नो पुग्गलो दुक्खदस्सनेन किं जहतीति? ओळारिकं कामरागं, ओळारिकं ब्यापादं, तदेकट्ठे च किलेसे चतुभागं जहतीति। चतुभागं सकदागामी, चतुभागं न सकदागामी, चतुभागं सकदागामिफलप्पत्तो पटिलद्धो अधिगतो सच्छिकतो उपसम्पज्ज विहरति, कायेन फुसित्वा विहरति, चतुभागं न कायेन फुसित्वा विहरतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… समुदयदस्सनेन…पे॰… निरोधदस्सनेन…पे॰… मग्गदस्सनेन किं जहतीति? ओळारिकं कामरागं, ओळारिकं ब्यापादं, तदेकट्ठे च किलेसे चतुभागं जहतीति। चतुभागं सकदागामी, चतुभागं न सकदागामी, चतुभागं सकदागामिफलप्पत्तो पटिलद्धो अधिगतो सच्छिकतो उपसम्पज्ज विहरति , कायेन फुसित्वा विहरति, चतुभागं न कायेन फुसित्वा विहरतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
३४२. अनागामिफलसच्छिकिरियाय पटिपन्नो पुग्गलो दुक्खदस्सनेन किं जहतीति? अणुसहगतं कामरागं, अणुसहगतं ब्यापादं, तदेकट्ठे च किलेसे चतुभागं जहतीति। चतुभागं अनागामी, चतुभागं न अनागामी, चतुभागं अनागामिफलप्पत्तो पटिलद्धो अधिगतो सच्छिकतो उपसम्पज्ज विहरति, कायेन फुसित्वा विहरति, चतुभागं न कायेन फुसित्वा विहरति, चतुभागं अन्तरापरिनिब्बायी…पे॰… उपहच्चपरिनिब्बायी… असङ्खारपरिनिब्बायी… ससङ्खारपरिनिब्बायी… उद्धंसोतो अकनिट्ठगामी, चतुभागं न उद्धंसोतो न अकनिट्ठगामीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
समुदयदस्सनेन…पे॰… निरोधदस्सनेन…पे॰… मग्गदस्सनेन किं जहतीति? अणुसहगतं कामरागं, अणुसहगतं ब्यापादं, तदेकट्ठे च किलेसे चतुभागं जहतीति। चतुभागं अनागामी, चतुभागं न अनागामी, चतुभागं अनागामिफलप्पत्तो पटिलद्धो अधिगतो सच्छिकतो उपसम्पज्ज विहरति, कायेन फुसित्वा विहरति, चतुभागं न कायेन फुसित्वा विहरति, चतुभागं अन्तरापरिनिब्बायी…पे॰… उपहच्चपरिनिब्बायी… असङ्खारपरिनिब्बायी… ससङ्खारपरिनिब्बायी… उद्धंसोतो अकनिट्ठगामी, चतुभागं न उद्धंसोतो अकनिट्ठगामीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
३४३. अरहत्तसच्छिकिरियाय पटिपन्नो पुग्गलो दुक्खदस्सनेन किं जहतीति? रूपरागं, अरूपरागं, मानं, उद्धच्चं, अविज्जं, तदेकट्ठे च किलेसे चतुभागं जहतीति। चतुभागं अरहा, चतुभागं न अरहा, चतुभागं अरहत्तप्पत्तो पटिलद्धो अधिगतो सच्छिकतो उपसम्पज्ज विहरति, कायेन फुसित्वा विहरति, चतुभागं न कायेन फुसित्वा विहरति, चतुभागं वीतरागो…पे॰… वीतदोसो… वीतमोहो…पे॰… कतकरणीयो ओहितभारो अनुप्पत्तसदत्थो परिक्खीणभवसंयोजनो सम्मदञ्ञाविमुत्तो उक्खित्तपलिघो सङ्किण्णपरिखो अब्बूळ्हेसिको निरग्गळो अरियो पन्नद्धजो पन्नभारो विसञ्ञुत्तो सुविजितविजयो, दुक्खं तस्स परिञ्ञातं, समुदयो पहीनो, निरोधो सच्छिकतो, मग्गो भावितो, अभिञ्ञेय्यं अभिञ्ञातं, परिञ्ञेय्यं परिञ्ञातं, पहातब्बं पहीनं, भावेतब्बं भावितं…पे॰… सच्छिकातब्बं सच्छिकतं, चतुभागं सच्छिकातब्बं न सच्छिकतन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
समुदयदस्सनेन … निरोधदस्सनेन… मग्गदस्सनेन किं जहतीति? रूपरागं, अरूपरागं, मानं, उद्धच्चं, अविज्जं, तदेकट्ठे च किलेसे चतुभागं जहतीति। चतुभागं अरहा, चतुभागं न अरहा, चतुभागं अरहत्तप्पत्तो पटिलद्धो अधिगतो सच्छिकतो उपसम्पज्ज विहरति, कायेन फुसित्वा विहरति, चतुभागं न कायेन फुसित्वा विहरति, चतुभागं वीतरागो… वीतदोसो… वीतमोहो… कतकरणीयो ओहितभारो अनुप्पत्तसदत्थो परिक्खीणभवसंयोजनो सम्मदञ्ञाविमुत्तो उक्खित्तपलिघो सङ्किण्णपरिखो अब्बूळ्हेसिको निरग्गळो अरियो पन्नद्धजो पन्नभारो विसञ्ञुत्तो सुविजितविजयो, दुक्खं तस्स परिञ्ञातं, समुदयो पहीनो, निरोधो सच्छिकतो, मग्गो भावितो, अभिञ्ञेय्यं अभिञ्ञातं, परिञ्ञेय्यं परिञ्ञातं, पहातब्बं पहीनं, भावेतब्बं भावितं…पे॰… सच्छिकातब्बं सच्छिकतं, चतुभागं सच्छिकातब्बं न सच्छिकतन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
३४४. सोतापत्तिफलसच्छिकिरियाय पटिपन्नो पुग्गलो दुक्खं दक्खन्तो पटिपन्नकोति वत्तब्बोति? आमन्ता। दुक्खे दिट्ठे फले ठितोति वत्तब्बोति? न हेवं वत्तब्बे। समुदयं दक्खन्तो…पे॰… निरोधं दक्खन्तो पटिपन्नकोति वत्तब्बोति? आमन्ता । निरोधे दिट्ठे फले ठितोति वत्तब्बोति? न हेवं वत्तब्बे।
सोतापत्तिफलसच्छिकिरियाय पटिपन्नो पुग्गलो मग्गं दक्खन्तो पटिपन्नकोति वत्तब्बो, मग्गे दिट्ठे फले ठितोति वत्तब्बोति? आमन्ता। दुक्खं दक्खन्तो पटिपन्नकोति वत्तब्बो, दुक्खे दिट्ठे फले ठितोति वत्तब्बोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… मग्गं दक्खन्तो पटिपन्नकोति वत्तब्बो, मग्गे दिट्ठे फले ठितोति वत्तब्बोति? आमन्ता। समुदयं दक्खन्तो…पे॰… निरोधं दक्खन्तो पटिपन्नकोति वत्तब्बो, निरोधे दिट्ठे फले ठितोति वत्तब्बोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
सोतापत्तिफलसच्छिकिरियाय पटिपन्नो पुग्गलो दुक्खं दक्खन्तो पटिपन्नकोति वत्तब्बो, दुक्खे दिट्ठे न वत्तब्बं – ‘‘फले ठितोति वत्तब्बो’’ति? आमन्ता। मग्गं दक्खन्तो पटिपन्नकोति वत्तब्बो, मग्गे दिट्ठे न वत्तब्बं – ‘‘फले ठितोति वत्तब्बो’’ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… समुदयं दक्खन्तो… निरोधं दक्खन्तो पटिपन्नकोति वत्तब्बो, निरोधे दिट्ठे न वत्तब्बं – ‘‘फले ठितोति वत्तब्बो’’ति? आमन्ता। मग्गं दक्खन्तो ‘‘पटिपन्नको’’ति वत्तब्बो, मग्गे दिट्ठे न वत्तब्बं – ‘‘फले ठितोति वत्तब्बो’’ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
[सकवादीपुच्छालक्खणं] सोतापत्तिफलसच्छिकिरियाय पटिपन्नो पुग्गलो दुक्खं दक्खन्तो पटिपन्नकोति वत्तब्बो, दुक्खे दिट्ठे न वत्तब्बं – ‘‘फले ठितोति वत्तब्बो’’ति? आमन्ता। निरत्थियं दुक्खदस्सनन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… समुदयं दक्खन्तो…पे॰… निरोधं दक्खन्तो पटिपन्नकोति वत्तब्बो, निरोधे दिट्ठे न वत्तब्बं – ‘‘फले ठितोति वत्तब्बो’’ति? आमन्ता। निरत्थियं निरोधदस्सनन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
३४५. [परवादीपुच्छालक्खणं] दुक्खे दिट्ठे चत्तारि सच्चानि दिट्ठानि होन्तीति? आमन्ता। दुक्खसच्चं चत्तारि सच्चानीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
[सकवादीपुच्छालक्खणं] रूपक्खन्धे अनिच्चतो दिट्ठे पञ्चक्खन्धा अनिच्चतो दिट्ठा होन्तीति? आमन्ता। रूपक्खन्धो पञ्चक्खन्धाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
[सकवादीपुच्छालक्खणं] चक्खायतने अनिच्चतो दिट्ठे द्वादसायतनानि अनिच्चतो दिट्ठानि होन्तीति? आमन्ता। चक्खायतनं द्वादसायतनानीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
[सकवादीपुच्छालक्खणं] चक्खुधातुया अनिच्चतो दिट्ठाय अट्ठारस धातुयो अनिच्चतो दिट्ठा होन्तीति? आमन्ता। चक्खुधातु अट्ठारस धातुयोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
[सकवादीपुच्छालक्खणं] चक्खुन्द्रिये अनिच्चतो दिट्ठे बावीसतिन्द्रियानि अनिच्चतो दिट्ठानि होन्तीति? आमन्ता। चक्खुन्द्रियं बावीसतिन्द्रियानीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
[सकवादीपुच्छालक्खणं] चतूहि ञाणेहि सोतापत्तिफलं सच्छिकरोतीति? आमन्ता। चत्तारि सोतापत्तिफलानीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… अट्ठहि ञाणेहि सोतापत्तिफलं सच्छिकरोतीति? आमन्ता । अट्ठ सोतापत्तिफलानीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… द्वादसहि ञाणेहि सोतापत्तिफलं सच्छिकरोतीति? आमन्ता। द्वादस सोतापत्तिफलानीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… चतुचत्तारीसाय ञाणेहि सोतापत्तिफलं सच्छिकरोतीति ? आमन्ता। चतुचत्तारीसं सोतापत्तिफलानीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… सत्तसत्ततिया ञाणेहि सोतापत्तिफलं सच्छिकरोतीति? आमन्ता। सत्तसत्तति सोतापत्तिफलानीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
३४६. न वत्तब्बं – ‘‘अनुपुब्बाभिसमयो’’ति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘सेय्यथापि, भिक्खवे, महासमुद्दो अनुपुब्बनिन्नो अनुपुब्बपोणो अनुपुब्बपब्भारो, न आयतकेनेव पपातो; एवमेव खो, भिक्खवे, इमस्मिं धम्मविनये अनुपुब्बसिक्खा अनुपुब्बकिरिया अनुपुब्बपटिपदा, न आयतकेनेव अञ्ञापटिवेधो’’ति [चूळव॰ ३८५; अ॰ नि॰ ८.२०; उदा॰ ४५ उदाने च]। अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि अनुपुब्बाभिसमयोति।
न वत्तब्बं – ‘‘अनुपुब्बाभिसमयो’’ति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता –
‘‘अनुपुब्बेन मेधावी, थोकं थोकं खणे खणे।
कम्मारो रजतस्सेव, निद्धमे मलमत्तनो’’ति [ध॰ प॰ २३९ धम्मपदे]॥
अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि अनुपुब्बाभिसमयोति।
अनुपुब्बाभिसमयोति ? आमन्ता। नन्वायस्मा गवम्पति थेरो भिक्खू एतदवोच – ‘‘सम्मुखा मेतं, आवुसो, भगवतो सुतं सम्मुखा पटिग्गहितं – ‘यो, भिक्खवे, दुक्खं पस्सति दुक्खसमुदयम्पि सो पस्सति, दुक्खनिरोधम्पि पस्सति, दुक्खनिरोधगामिनिं पटिपदम्पि पस्सति; यो दुक्खसमुदयं पस्सति दुक्खम्पि सो पस्सति, दुक्खनिरोधम्पि पस्सति, दुक्खनिरोधगामिनिं पटिपदम्पि पस्सति; यो दुक्खनिरोधं पस्सति दुक्खम्पि सो पस्सति, दुक्खसमुदयम्पि पस्सति, दुक्खनिरोधगामिनिं पटिपदम्पि पस्सति; यो दुक्खनिरोधगामिनिं पटिपदं पस्सति दुक्खम्पि सो पस्सति, दुक्खसमुदयम्पि पस्सति, दुक्खनिरोधम्पि पस्सती’’’ति [सं॰ नि॰ ५.११००]! अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘अनुपुब्बाभिसमयो’’ति।
अनुपुब्बाभिसमयोति ? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता –
‘‘सहावस्स दस्सनसम्पदाय,
तयस्सु धम्मा जहिता भवन्ति।
सक्कायदिट्ठी विचिकिच्छितञ्च,
सीलब्बतं वापि यदत्थि किञ्चि।
चतूहपायेहि च विप्पमुत्तो,
छच्चाभिठानानि अभब्ब कातु’’न्ति॥
अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘अनुपुब्बाभिसमयो’’ति॥
अनुपुब्बाभिसमयोति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘यस्मिं, भिक्खवे, समये अरियसावकस्स विरजं वीतमलं धम्मचक्खुं उदपादि – ‘यं किञ्चि समुदयधम्मं सब्बं तं निरोधधम्म’न्ति, सह दस्सनुप्पादा, भिक्खवे, अरियसावकस्स तीणि संयोजनानि पहीयन्ति – सक्कायदिट्ठि, विचिकिच्छा, सीलब्बतपरामासो’’ति! अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘अनुपुब्बाभिसमयो’’ति।
अनुपुब्बाभिसमयकथा निट्ठिता।
२. दुतियवग्गो
(१९) १०. वोहारकथा
३४७. बुद्धस्स भगवतो वोहारो लोकुत्तरोति? आमन्ता। लोकुत्तरे सोते पटिहञ्ञति नो लोकिये, लोकुत्तरेन विञ्ञाणेन पटिविजानन्ति नो लोकियेन, सावका पटिविजानन्ति नो पुथुज्जनाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
ननु बुद्धस्स भगवतो वोहारो लोकिये सोते पटिहञ्ञतीति? आमन्ता। हञ्चि बुद्धस्स भगवतो वोहारो लोकिये सोते पटिहञ्ञति, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘बुद्धस्स भगवतो वोहारो लोकुत्तरो’’ति।
ननु बुद्धस्स भगवतो वोहारं लोकियेन विञ्ञाणेन पटिविजानन्तीति? आमन्ता। हञ्चि बुद्धस्स भगवतो वोहारं लोकियेन विञ्ञाणेन पटिविजानन्ति, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘बुद्धस्स भगवतो वोहारो लोकुत्तरो’’ति।
ननु बुद्धस्स भगवतो वोहारं पुथुज्जना पटिविजानन्तीति? आमन्ता। हञ्चि बुद्धस्स भगवतो वोहारं पुथुज्जना पटिविजानन्ति, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘बुद्धस्स भगवतो वोहारो लोकुत्तरो’’ति।
३४८. बुद्धस्स भगवतो वोहारो लोकुत्तरोति? आमन्ता। मग्गो फलं निब्बानं, सोतापत्तिमग्गो सोतापत्तिफलं, सकदागामिमग्गो सकदागामिफलं, अनागामिमग्गो अनागामिफलं, अरहत्तमग्गो अरहत्तफलं, सतिपट्ठानं सम्मप्पधानं इद्धिपादो इन्द्रियं बलं बोज्झङ्गोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
बुद्धस्स भगवतो वोहारो लोकुत्तरोति? आमन्ता। अत्थि केचि बुद्धस्स भगवतो वोहारं सुणन्तीति? आमन्ता। लोकुत्तरो धम्मो सोतविञ्ञेय्यो, सोतस्मिं पटिहञ्ञति, सोतस्स आपाथं आगच्छतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
ननु लोकुत्तरो धम्मो न सोतविञ्ञेय्यो, न सोतस्मिं पटिहञ्ञति, न सोतस्स आपाथं आगच्छतीति? आमन्ता। हञ्चि लोकुत्तरो धम्मो न सोतविञ्ञेय्यो, न सोतस्मिं पटिहञ्ञति, न सोतस्स आपाथं आगच्छति, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘बुद्धस्स भगवतो वोहारो लोकुत्तरो’’ति।
३४९. बुद्धस्स भगवतो वोहारो लोकुत्तरोति? आमन्ता। अत्थि केचि बुद्धस्स भगवतो वोहारे रज्जेय्युन्ति? आमन्ता। लोकुत्तरो धम्मो रागट्ठानियो रजनीयो कमनीयो मदनीयो बन्धनीयो मुच्छनीयोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
ननु लोकुत्तरो धम्मो न रागट्ठानियो न रजनीयो न कमनीयो न मदनीयो न बन्धनीयो न मुच्छनीयोति? आमन्ता। हञ्चि लोकुत्तरो धम्मो न रागट्ठानियो न रजनीयो न कमनीयो न मदनीयो न बन्धनीयो न मुच्छनीयो, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘बुद्धस्स भगवतो वोहारो लोकुत्तरो’’ति।
बुद्धस्स भगवतो वोहारो लोकुत्तरोति? आमन्ता। अत्थि केचि बुद्धस्स भगवतो वोहारे दुस्सेय्युन्ति? आमन्ता। लोकुत्तरो धम्मो दोसट्ठानियो कोपट्ठानियो पटिघट्ठानियोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
ननु लोकुत्तरो धम्मो न दोसट्ठानियो न कोपट्ठानियो न पटिघट्ठानियोति? आमन्ता। हञ्चि लोकुत्तरो धम्मो न दोसट्ठानियो न कोपट्ठानियो न पटिघट्ठानियो, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘बुद्धस्स भगवतो वोहारो लोकुत्तरो’’ति।
बुद्धस्स भगवतो वोहारो लोकुत्तरोति? आमन्ता। अत्थि केचि बुद्धस्स भगवतो वोहारे मुय्हेय्युन्ति? आमन्ता। लोकुत्तरो धम्मो मोहट्ठानियो अञ्ञाणकरणो अचक्खुकरणो पञ्ञानिरोधिको विघातपक्खिको अनिब्बानसंवत्तनिकोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
ननु लोकुत्तरो धम्मो न मोहट्ठानियो न अञ्ञाणकरणो न अचक्खुकरणो पञ्ञावुद्धिको अविघातपक्खिको निब्बानसंवत्तनिकोति? आमन्ता। हञ्चि लोकुत्तरो धम्मो न मोहट्ठानियो न अञ्ञाणकरणो न अचक्खुकरणो पञ्ञावुद्धिको अविघातपक्खिको निब्बानसंवत्तनिको, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘बुद्धस्स भगवतो वोहारो लोकुत्तरो’’ति।
३५०. बुद्धस्स भगवतो वोहारो लोकुत्तरोति? आमन्ता। ये केचि बुद्धस्स भगवतो वोहारं सुणन्ति, सब्बे ते मग्गं भावेन्तीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
ये केचि बुद्धस्स भगवतो वोहारं सुणन्ति, सब्बे ते मग्गं भावेन्तीति? आमन्ता। बालपुथुज्जना बुद्धस्स भगवतो वोहारं सुणन्ति, बालपुथुज्जना मग्गं भावेन्तीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… मातुघातको मग्गं भावेति…पे॰… पितुघातको… अरहन्तघातको… रुहिरुप्पादको… सङ्घभेदको बुद्धस्स भगवतो वोहारं सुणाति, सङ्घभेदको मग्गं भावेतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
३५१. लब्भा सोवण्णमयाय लट्ठिया धञ्ञपुञ्जोपि सुवण्णपुञ्जोपि आचिक्खितुन्ति? आमन्ता। एवमेवं भगवा लोकुत्तरेन वोहारेन लोकियम्पि लोकुत्तरम्पि धम्मं वोहरतीति।
लब्भा एलण्डियाय लट्ठिया धञ्ञपुञ्जोपि सुवण्णपुञ्जोपि आचिक्खितुन्ति? आमन्ता। एवमेवं भगवा लोकियेन वोहारेन लोकियम्पि लोकुत्तरम्पि धम्मं वोहरतीति।
३५२. बुद्धस्स भगवतो वोहारो लोकियं वोहरन्तस्स लोकियो होति, लोकुत्तरं वोहरन्तस्स लोकुत्तरो होतीति? आमन्ता। लोकियं वोहरन्तस्स लोकिये सोते पटिहञ्ञति, लोकुत्तरं वोहरन्तस्स लोकुत्तरे सोते पटिहञ्ञति; लोकियं वोहरन्तस्स लोकियेन विञ्ञाणेन पटिविजानन्ति, लोकुत्तरं वोहरन्तस्स लोकुत्तरेन विञ्ञाणेन पटिविजानन्ति; लोकियं वोहरन्तस्स पुथुज्जना पटिविजानन्ति , लोकुत्तरं वोहरन्तस्स सावका पटिविजानन्तीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
न वत्तब्बं – ‘‘बुद्धस्स भगवतो वोहारो लोकियं वोहरन्तस्स लोकियो होति, लोकुत्तरं वोहरन्तस्स लोकुत्तरो होतीति? आमन्ता। ननु भगवा लोकियम्पि लोकुत्तरम्पि धम्मं वोहरतीति? आमन्ता। हञ्चि भगवा लोकियम्पि लोकुत्तरम्पि धम्मं वोहरति, तेन वत रे वत्तब्बे – ‘‘बुद्धस्स भगवतो वोहारो लोकियं वोहरन्तस्स लोकियो होति, लोकुत्तरं वोहरन्तस्स लोकुत्तरो होती’’ति।
बुद्धस्स भगवतो वोहारो लोकियं वोहरन्तस्स लोकियो होति, लोकुत्तरं वोहरन्तस्स लोकुत्तरो होतीति? आमन्ता। मग्गं वोहरन्तस्स मग्गो होति, अमग्गं वोहरन्तस्स अमग्गो होति, फलं वोहरन्तस्स फलं होति, अफलं वोहरन्तस्स अफलं होति, निब्बानं वोहरन्तस्स निब्बानं होति, अनिब्बानं वोहरन्तस्स अनिब्बानं होति, सङ्खतं वोहरन्तस्स सङ्खतं होति, असङ्खतं वोहरन्तस्स असङ्खतं होति, रूपं वोहरन्तस्स रूपं होति, अरूपं वोहरन्तस्स अरूपं होति, वेदनं वोहरन्तस्स वेदना होति, अवेदनं वोहरन्तस्स अवेदना होति, सञ्ञं वोहरन्तस्स सञ्ञा होति, असञ्ञं वोहरन्तस्स असञ्ञा होति, सङ्खारे वोहरन्तस्स सङ्खारा होन्ति, असङ्खारे वोहरन्तस्स असङ्खारा होन्ति, विञ्ञाणं वोहरन्तस्स विञ्ञाणं होति, अविञ्ञाणं वोहरन्तस्स अविञ्ञाणं होतीति ? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
वोहारकथा निट्ठिता।
२. दुतियवग्गो
(२०) ११. निरोधकथा
३५३. द्वे निरोधाति? आमन्ता। द्वे दुक्खनिरोधाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… द्वे दुक्खनिरोधाति? आमन्ता। द्वे निरोधसच्चानीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… द्वे निरोधसच्चानीति? आमन्ता। द्वे दुक्खसच्चानीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… द्वे निरोधसच्चानीति? आमन्ता। द्वे समुदयसच्चानीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… द्वे निरोधसच्चानीति? आमन्ता। द्वे मग्गसच्चानीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
द्वे निरोधसच्चानीति? आमन्ता। द्वे ताणानि…पे॰… द्वे लेणानि… द्वे सरणानि… द्वे परायणानि… द्वे अच्चुतानि… द्वे अमतानि… द्वे निब्बानानीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
द्वे निब्बानानीति? आमन्ता। अत्थि द्विन्नं निब्बानानं उच्चनीचता हीनपणीतता उक्कंसावकंसो सीमा वा भेदो वा राजि वा अन्तरिका वाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
द्वे निरोधाति? आमन्ता। ननु अप्पटिसङ्खानिरुद्धे सङ्खारे पटिसङ्खा निरोधेन्तीति? आमन्ता। हञ्चि अप्पटिसङ्खानिरुद्धे सङ्खारे पटिसङ्खा निरोधेन्ति, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘द्वे निरोधा’’ति।
न वत्तब्बं – ‘‘द्वे निरोधा’’ति? आमन्ता। ननु अप्पटिसङ्खानिरुद्धापि सङ्खारा अच्चन्तभग्गा, पटिसङ्खानिरुद्धापि सङ्खारा अच्चन्तभग्गाति? आमन्ता। हञ्चि अप्पटिसङ्खानिरुद्धापि सङ्खारा अच्चन्तभग्गा, पटिसङ्खानिरुद्धापि सङ्खारा अच्चन्तभग्गा, तेन वत रे वत्तब्बे – ‘‘द्वे निरोधा’’ति।
द्वे निरोधाति? आमन्ता। पटिसङ्खानिरुद्धापि [पटिसङ्खानिरुद्धा (?)] सङ्खारा अरियमग्गं आगम्म निरुद्धाति? आमन्ता। अप्पटिसङ्खानिरुद्धा सङ्खारा अरियमग्गं आगम्म निरुद्धाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
द्वे निरोधाति? आमन्ता। पटिसङ्खानिरुद्धा सङ्खारा न पुन उप्पज्जन्तीति? आमन्ता। अप्पटिसङ्खानिरुद्धा सङ्खारा न पुन उप्पज्जन्तीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰… तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘द्वे निरोधा’’ति।
निरोधकथा निट्ठिता।
दुतियवग्गो।
तस्सुद्दानं –
परूपहारो अञ्ञाणं, कङ्खा परवितारणा।
वचीभेदो दुक्खाहारो, चित्तट्ठिति च कुक्कुळा।
अनुपुब्बाभिसमयो, वोहारो च निरोधकोति॥