०४. जहतिकथा

४. जहतिकथा

१. नसुत्ताहरणकथा

२७९. जहति पुथुज्जनो कामरागब्यापादन्ति? आमन्ता। अच्चन्तं जहति, अनवसेसं जहति, अप्पटिसन्धियं जहति, समूलं जहति, सतण्हं जहति, सानुसयं जहति, अरियेन ञाणेन जहति, अरियेन मग्गेन जहति, अकुप्पं पटिविज्झन्तो जहति, अनागामिफलं सच्छिकरोन्तो जहतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
विक्खम्भेति पुथुज्जनो कामरागब्यापादन्ति? आमन्ता। अच्चन्तं विक्खम्भेति, अनवसेसं विक्खम्भेति, अप्पटिसन्धियं विक्खम्भेति, समूलं विक्खम्भेति, सतण्हं विक्खम्भेति, सानुसयं विक्खम्भेति, अरियेन ञाणेन विक्खम्भेति, अरियेन मग्गेन विक्खम्भेति, अकुप्पं पटिविज्झन्तो विक्खम्भेति, अनागामिफलं सच्छिकरोन्तो विक्खम्भेतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
जहति अनागामिफलसच्छिकिरियाय पटिपन्नो पुग्गलो कामरागब्यापादं, सो च अच्चन्तं जहति, अनवसेसं जहति…पे॰… अनागामिफलं सच्छिकरोन्तो जहतीति? आमन्ता। जहति पुथुज्जनो कामरागब्यापादं, सो च अच्चन्तं जहति, अनवसेसं जहति…पे॰… अनागामिफलं सच्छिकरोन्तो जहतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
विक्खम्भेति अनागामिफलसच्छिकिरियाय पटिपन्नो पुग्गलो कामरागब्यापादं, सो च अच्चन्तं विक्खम्भेति, अनवसेसं विक्खम्भेति…पे॰… अनागामिफलं सच्छिकरोन्तो विक्खम्भेतीति? आमन्ता। विक्खम्भेति पुथुज्जनो कामरागब्यापादं, सो च अच्चन्तं विक्खम्भेति, अनवसेसं विक्खम्भेति …पे॰… अनागामिफलं सच्छिकरोन्तो विक्खम्भेतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
जहति पुथुज्जनो कामरागब्यापादं, सो च न अच्चन्तं जहति, न अनवसेसं जहति…पे॰… न अनागामिफलं सच्छिकरोन्तो जहतीति? आमन्ता। जहति अनागामिफलसच्छिकिरियाय पटिपन्नो पुग्गलो कामरागब्यापादं, सो च न अच्चन्तं जहति…पे॰… न अनागामिफलं सच्छिकरोन्तो जहतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
विक्खम्भेति पुथुज्जनो कामरागब्यापादं, सो च न अच्चन्तं विक्खम्भेति, न अनवसेसं विक्खम्भेति…पे॰… न अनागामिफलं सच्छिकरोन्तो विक्खम्भेतीति? आमन्ता। विक्खम्भेति अनागामिफलसच्छिकिरियाय पटिपन्नो पुग्गलो कामरागब्यापादं, सो च न अच्चन्तं विक्खम्भेति, न अनवसेसं विक्खम्भेति…पे॰… न अनागामिफलं सच्छिकरोन्तो विक्खम्भेतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
जहति पुथुज्जनो कामरागब्यापादन्ति? आमन्ता। कतमेन मग्गेनाति? रूपावचरेन मग्गेनाति। रूपावचरो मग्गो निय्यानिको खयगामी बोधगामी अपचयगामी अनासवो असंयोजनियो अगन्थनियो अनोघनियो अयोगनियो अनीवरणियो अपरामट्ठो अनुपादानियो असंकिलेसियोति? न हेवं वत्तब्बे। ननु रूपावचरो मग्गो अनिय्यानिको न खयगामी न बोधगामी न अपचयगामी सासवो संयोजनियो…पे॰… संकिलेसियोति? आमन्ता। हञ्चि रूपावचरो मग्गो अनिय्यानिको न खयगामी…पे॰… संकिलेसियो, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘जहति पुथुज्जनो रूपावचरेन मग्गेन कामरागब्यापाद’’न्ति।
जहति अनागामिफलसच्छिकिरियाय पटिपन्नो पुग्गलो अनागामिमग्गेन कामरागब्यापादं, सो च मग्गो निय्यानिको खयगामी बोधगामी अपचयगामी अनासवो…पे॰… असंकिलेसियोति? आमन्ता। जहति पुथुज्जनो रूपावचरेन मग्गेन कामरागब्यापादं, सो च मग्गो निय्यानिको खयगामी बोधगामी अपचयगामी अनासवो…पे॰… असंकिलेसियोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
जहति पुथुज्जनो रूपावचरेन मग्गेन कामरागब्यापादं, सो च मग्गो अनिय्यानिको न खयगामी न बोधगामी न अपचयगामी सासवो…पे॰… संकिलेसियोति? आमन्ता। जहति अनागामिफलसच्छिकिरियाय पटिपन्नो पुग्गलो अनागामिमग्गेन कामरागब्यापादं, सो च मग्गो अनिय्यानिको न खयगामी न बोधगामी न अपचयगामी सासवो…पे॰… संकिलेसियोति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
२८०. पुथुज्जनो कामेसु वीतरागो सह धम्माभिसमया अनागामिफले सण्ठातीति? आमन्ता। अरहत्ते सण्ठातीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
पुथुज्जनो कामेसु वीतरागो सह धम्माभिसमया अनागामिफले सण्ठातीति? आमन्ता। अपुब्बं अचरिमं तयो मग्गे भावेतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
अपुब्बं अचरिमं तयो मग्गे भावेतीति? आमन्ता। अपुब्बं अचरिमं तीणि सामञ्ञफलानि सच्छिकरोतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
अपुब्बं अचरिमं तीणि सामञ्ञफलानि सच्छिकरोतीति? आमन्ता। तिण्णं फस्सानं तिस्सन्नं वेदनानं तिस्सन्नं सञ्ञानं तिस्सन्नं चेतनानं तिण्णं चित्तानं तिस्सन्नं सद्धानं तिण्णं वीरियानं तिस्सन्नं सतीनं तिण्णं समाधीनं तिस्सन्नं पञ्ञानं समोधानं होतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
पुथुज्जनो कामेसु वीतरागो सह धम्माभिसमया अनागामिफले सण्ठातीति? आमन्ता। सोतापत्तिमग्गेनाति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
सकदागामिमग्गेनाति? न हेवं वत्तब्बे। कतमेन मग्गेनाति? अनागामिमग्गेनाति। अनागामिमग्गेन सक्कायदिट्ठिं विचिकिच्छं सीलब्बतपरामासं जहतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।

२. सुत्ताहरणकथा

२८१. अनागामिमग्गेन सक्कायदिट्ठिं विचिकिच्छं सीलब्बतपरामासं जहतीति? आमन्ता। ननु तिण्णं संयोजनानं पहाना सोतापत्तिफलं वुत्तं भगवताति? आमन्ता। हञ्चि तिण्णं संयोजनानं पहाना सोतापत्तिफलं वुत्तं भगवता, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अनागामिमग्गेन सक्कायदिट्ठिं विचिकिच्छं सीलब्बतपरामासं जहती’’ति। अनागामिमग्गेन ओळारिकं कामरागं ओळारिकं ब्यापादं जहतीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
अनागामिमग्गेन ओळारिकं कामरागं ओळारिकं ब्यापादं जहतीति? आमन्ता। ननु कामरागब्यापादानं तनुभावा सकदागामिफलं वुत्तं भगवताति? आमन्ता। हञ्चि कामरागब्यापादानं तनुभावा सकदागामिफलं वुत्तं भगवता, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘अनागामिमग्गेन ओळारिकं कामरागं ओळारिकं ब्यापादं जहती’’ति।
पुथुज्जनो कामेसु वीतरागो सह धम्माभिसमया अनागामिफले सण्ठातीति? आमन्ता। ये केचि धम्मं अभिसमेन्ति, सब्बे ते सह धम्माभिसमया अनागामिफले सण्ठहन्तीति? न हेवं वत्तब्बे…पे॰…।
न वत्तब्बं – ‘‘जहति पुथुज्जनो कामरागब्यापाद’’न्ति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता –
‘‘अहेसुं ते [अहिंसका (अ॰ नि॰ ६.५४)] अतीतंसे, छ सत्थारो यसस्सिनो।
निरामगन्धा करुणेधिमुत्ता [करुणाधिमुत्ता (सी॰ क॰)], कामसंयोजनातिगा॥
‘‘कामरागं विराजेत्वा, ब्रह्मलोकूपगा अहु।
अहेसुं सावका तेसं, अनेकानि सतानिपि॥
‘‘निरामगन्धा करुणेधिमुत्ता, कामसंयोजनातिगा।
कामरागं विराजेत्वा, ब्रह्मलोकूपगा अहू’’ति [अ॰ नि॰ ६.५४]॥
अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि जहति पुथुज्जनो कामरागब्यापादन्ति।
जहति पुथुज्जनो कामरागब्यापादन्ति? आमन्ता। ननु वुत्तं भगवता – ‘‘सो हि नाम, भिक्खवे, सुनेत्तो सत्था एवं दीघायुको समानो एवं चिरट्ठितिको अपरिमुत्तो अहोसि जातिया जराय मरणेन सोकेहि परिदेवेहि दुक्खेहि दोमनस्सेहि उपायासेहि अपरिमुत्तो दुक्खस्माति वदामि। तं किस्स हेतु? चतुन्नं धम्मानं अननुबोधा अप्पटिवेधा। कतमेसं चतुन्नं? अरियस्स सीलस्स अननुबोधा अप्पटिवेधा, अरियस्स समाधिस्स, अरियाय पञ्ञाय, अरियाय विमुत्तिया अननुबोधा अप्पटिवेधा। तयिदं, भिक्खवे, अरियं सीलं अनुबुद्धं पटिविद्धं, अरियो समाधि अनुबुद्धो पटिविद्धो, अरिया पञ्ञा अनुबुद्धा पटिविद्धा, अरिया विमुत्ति अनुबुद्धा पटिविद्धा, उच्छिन्ना भवतण्हा, खीणा भवनेत्ति, नत्थि दानि पुनब्भवोति।
‘‘सीलं समाधि पञ्ञा च, विमुत्ति च अनुत्तरा।
अनुबुद्धा इमे धम्मा, गोतमेन यसस्सिना॥
‘‘इति बुद्धो अभिञ्ञाय, धम्ममक्खासि भिक्खुनम्।
दुक्खस्सन्तकरो सत्था, चक्खुमा परिनिब्बुतो’’ति [अ॰ नि॰ ७.६६]॥
अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता। तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘जहति पुथुज्जनो कामरागब्यापाद’’न्ति।
जहतिकथा निट्ठिता।