१५. पियदस्सीबुद्धवंसो

१५. पियदस्सीबुद्धवंसो
१.
सुजातस्स अपरेन, सयम्भू लोकनायको।
दुरासदो असमसमो, पियदस्सी महायसो॥
२.
सोपि बुद्धो अमितयसो, आदिच्चोव विरोचति।
सब्बं तमं निहन्त्वान, धम्मचक्कं पवत्तयि॥
३.
तस्सापि अतुलतेजस्स, अहेसुं अभिसमया तयो।
कोटिसतसहस्सानं, पठमाभिसमयो अहु॥
४.
सुदस्सनो देवराजा, मिच्छादिट्ठिमरोचयि।
तस्स दिट्ठिं विनोदेन्तो, सत्था धम्ममदेसयि॥
५.
जनसन्निपातो अतुलो, महासन्निपती तदा।
नवुतिकोटिसहस्सानं, दुतियाभिसमयो अहु॥
६.
यदा दोणमुखं हत्थिं, विनेसि नरसारथि।
असीतिकोटिसहस्सानं, ततियाभिसमयो अहु॥
७.
सन्निपाता तयो आसुं, तस्सापि पियदस्सिनो।
कोटिसतसहस्सानं, पठमो आसि समागमो॥
८.
ततो परं नवुतिकोटी, समिंसु एकतो मुनी।
ततिये सन्निपातम्हि, असीतिकोटियो अहू॥
९.
अहं तेन समयेन, कस्सपो नाम ब्राह्मणो [मानवो (स्या॰ कं॰)]।
अज्झायको मन्तधरो, तिण्णं वेदान पारगू॥
१०.
तस्स धम्मं सुणित्वान, पसादं जनयिं अहम्।
कोटिसतसहस्सेहि, सङ्घारामं अमापयिं॥
११.
तस्स दत्वान आरामं, हट्ठो संविग्गमानसो।
सरणे पञ्च सीले च [सरणं पञ्चसीलञ्च (सी॰)], दळ्हं कत्वा समादियिं॥
१२.
सोपि मं बुद्धो ब्याकासि, सङ्घमज्झे निसीदिय।
‘‘अट्ठारसे कप्पसते, अयं बुद्धो भविस्सति॥
१३.
‘‘पधानं पदहित्वान…पे॰… हेस्साम सम्मुखा इमं’’॥
१४.
तस्सापि वचनं सुत्वा, भिय्यो चित्तं पसादयिम्।
उत्तरिं वतमधिट्ठासिं, दसपारमिपूरिया॥
१५.
सुधञ्ञं नाम नगरं, सुदत्तो नाम खत्तियो।
चन्दा नामासि जनिका, पियदस्सिस्स सत्थुनो॥
१६.
नववस्ससहस्सानि, अगारं अज्झ सो वसि।
सुनिम्मलविमलगिरिगुहा, तयो पासादमुत्तमा॥
१७.
तेत्तिंससहस्सानि च, नारियो समलङ्कता।
विमला नाम नारी च, कञ्चनावेळो नाम अत्रजो॥
१८.
निमित्ते चतुरो दिस्वा, रथयानेन निक्खमि।
छमासं पधानचारं, अचरी पुरिसुत्तमो॥
१९.
ब्रह्मुना याचितो सन्तो, पियदस्सी महामुनि।
वत्ति चक्कं महावीरो, उसभुय्याने मनोरमे॥
२०.
पालितो सब्बदस्सी च, अहेसुं अग्गसावका।
सोभितो नामुपट्ठाको, पियदस्सिस्स सत्थुनो॥
२१.
सुजाता धम्मदिन्ना च, अहेसुं अग्गसाविका।
बोधि तस्स भगवतो, ककुधोति पवुच्चति॥
२२.
सन्धको धम्मको चेव, अहेसुं अग्गुपट्ठका।
विसाखा धम्मदिन्ना च, अहेसुं अग्गुपट्ठिका॥
२३.
सोपि बुद्धो अमितयसो, द्वत्तिंसवरलक्खणो।
असीतिहत्थमुब्बेधो, सालराजाव दिस्सति॥
२४.
अग्गिचन्दसूरियानं, नत्थि तादिसिका पभा।
यथा अहु पभा तस्स, असमस्स महेसिनो॥
२५.
तस्सापि देवदेवस्स, आयु तावतकं अहु।
नवुतिवस्ससहस्सानि, लोके अट्ठासि चक्खुमा॥
२६.
सोपि बुद्धो असमसमो, युगानिपि तानि अतुलियानि।
सब्बं तमन्तरहितं, ननु रित्ता सब्बसङ्खारा॥
२७.
पियदस्सी मुनिवरो, अस्सत्थारामम्हि निब्बुतो।
तत्थेवस्स जिनथूपो, तीणियोजनमुग्गतोति॥
पियदस्सिस्स भगवतो वंसो तेरसमो।