(१०) ५. रागपेय्यालं

(१०) ५. रागपेय्यालं
९३. ‘‘रागस्स , भिक्खवे, अभिञ्ञाय नव धम्मा भावेतब्बा। कतमे नव? असुभसञ्ञा, मरणसञ्ञा, आहारे पटिकूलसञ्ञा, सब्बलोके अनभिरतसञ्ञा, अनिच्चसञ्ञा, अनिच्चे दुक्खसञ्ञा, दुक्खे अनत्तसञ्ञा, पहानसञ्ञा, विरागसञ्ञा – रागस्स, भिक्खवे अभिञ्ञाय इमे नव धम्मा भावेतब्बा’’ति।
९४. ‘‘रागस्स, भिक्खवे, अभिञ्ञाय नव धम्मा भावेतब्बा। कतमे नव? पठमं झानं, दुतियं झानं, ततियं झानं, चतुत्थं झानं, आकासानञ्चायतनं, विञ्ञाणञ्चायतनं, आकिञ्चञ्ञायतनं, नेवसञ्ञानासञ्ञायतनं, सञ्ञावेदयितनिरोधो – रागस्स, भिक्खवे, अभिञ्ञाय इमे नव धम्मा भावेतब्बा’’ति।
९५-११२. ‘‘रागस्स, भिक्खवे, परिञ्ञाय…पे॰… परिक्खयाय…पे॰… पहानाय…पे॰… खयाय…पे॰… वयाय…पे॰… विरागाय…पे॰… निरोधाय…पे॰… चागाय…पे॰… पटिनिस्सग्गाय…पे॰… इमे नव धम्मा भावेतब्बा’’।
११३-४३२. ‘‘दोसस्स…पे॰… मोहस्स… कोधस्स… उपनाहस्स… मक्खस्स… पळासस्स… इस्साय… मच्छरियस्स… मायाय… साठेय्यस्स… थम्भस्स… सारम्भस्स… मानस्स… अतिमानस्स… मदस्स… पमादस्स अभिञ्ञाय…पे॰… परिञ्ञाय… परिक्खयाय… पहानाय… खयाय… वयाय… विरागाय… निरोधाय … चागाय… पटिनिस्सग्गाय…पे॰… इमे नव धम्मा भावेतब्बा’’ति।
रागपेय्यालं निट्ठितं।
नवकनिपातपाळि निट्ठिता।