९. समणवग्गो
१. भिक्खुसुत्तं
८५. [महानि॰ १८; चूळनि॰ अजितमाणवपुच्छानिद्देस ८] ‘‘सत्तन्नं , भिक्खवे, धम्मानं भिन्नत्ता भिक्खु होति। कतमेसं सत्तन्नं? सक्कायदिट्ठि भिन्ना होति, विचिकिच्छा भिन्ना होति, सीलब्बतपरामासो भिन्नो होति, रागो भिन्नो होति, दोसो भिन्नो होति, मोहो भिन्नो होति, मानो भिन्नो होति। इमेसं खो, भिक्खवे, सत्तन्नं धम्मानं भिन्नत्ता भिक्खु होती’’ति। पठमं।
२. समणसुत्तं
८६. सत्तन्नं, भिक्खवे, धम्मानं समितत्ता समणो होति…पे॰…। दुतियं।
३. ब्राह्मणसुत्तं
८७. बाहितत्ता ब्राह्मणो होति…पे॰…। ततियं।
४. सोत्तियसुत्तं
८८. निस्सुतत्ता [निस्सुत्तत्ता (स्या॰) म॰ नि॰ १.४३४ पस्सितब्बं] सोत्तियो [सोत्थिको (सी॰), सोत्तिको (स्या॰)] होति…पे॰…। चतुत्थं।
५. न्हातकसुत्तं
८९. न्हातत्ता न्हातको [नहातत्तो नहातको (सी॰ स्या॰)] होति…पे॰…। पञ्चमं।
६. वेदगूसुत्तं
९०. विदितत्ता वेदगू होति…पे॰…। छट्ठं।
७. अरियसुत्तं
९१. आरकत्ता [अरहत्ता (सी॰), अरी हतत्ता (क॰) म॰ नि॰ १.४३४ पाळि अट्ठकथाटीका पस्सितब्बा। स्यामपोत्थके पन सकलम्पि इदं सत्तमसुत्तं नत्थि] अरियो होति…पे॰…। सत्तमं।
८. अरहासुत्तं
९२. ‘‘आरकत्ता अरहा होति। कतमेसं सत्तन्नं? सक्कायदिट्ठि आरका होति, विचिकिच्छा आरका होति, सीलब्बतपरामासो आरको होति, रागो आरको होति, दोसो आरको होति, मोहो आरको होति, मानो आरको होति। इमेसं खो, भिक्खवे, सत्तन्नं धम्मानं आरकत्ता अरहा होती’’ति। अट्ठमं।
९. असद्धम्मसुत्तं
९३. ‘‘सत्तिमे, भिक्खवे, असद्धम्मा। कतमे सत्त? अस्सद्धो होति, अहिरिको होति, अनोत्तप्पी होति, अप्पस्सुतो होति, कुसीतो होति, मुट्ठस्सति होति, दुप्पञ्ञो होति। इमे खो, भिक्खवे, सत्त असद्धम्मा’’ति। नवमं।
१०. सद्धम्मसुत्तं
९४. ‘‘सत्तिमे, भिक्खवे, सद्धम्मा। कतमे सत्त? सद्धो होति, हिरीमा होति, ओत्तप्पी होति, बहुस्सुतो होति, आरद्धवीरियो होति, सतिमा होति, पञ्ञवा होति। इमे खो, भिक्खवे, सत्त सद्धम्मा’’ति। दसमं।
समणवग्गो नवमो।
तस्सुद्दानं –
भिक्खुं समणो ब्राह्मणो, सोत्तियो चेव न्हातको।
वेदगू अरियो अरहा, असद्धम्मा च सद्धम्माति॥