(२६) ६. उपसम्पदावग्गो
१. उपसम्पादेतब्बसुत्तं
२५१. [महाव॰ ८४] ‘‘पञ्चहि , भिक्खवे, धम्मेहि समन्नागतेन भिक्खुना उपसम्पादेतब्बं। कतमेहि पञ्चहि? इध, भिक्खवे, भिक्खु असेखेन सीलक्खन्धेन समन्नागतो होति; असेखेन समाधिक्खन्धेन समन्नागतो होति; असेखेन पञ्ञाक्खन्धेन समन्नागतो होति; असेखेन विमुत्तिक्खन्धेन समन्नागतो होति; असेखेन विमुत्तिञाणदस्सनक्खन्धेन समन्नागतो होति। इमेहि खो, भिक्खवे, पञ्चहि धम्मेहि समन्नागतेन भिक्खुना उपसम्पादेतब्ब’’न्ति। पठमं।
२. निस्सयसुत्तं
२५२. [महाव॰ ८४] ‘‘पञ्चहि, भिक्खवे, धम्मेहि समन्नागतेन भिक्खुना निस्सयो दातब्बो। कतमेहि पञ्चहि? इध, भिक्खवे, भिक्खु असेखेन सीलक्खन्धेन समन्नागतो होति…पे॰… असेखेन विमुत्तिञाणदस्सनक्खन्धेन समन्नागतो होति। इमेहि…पे॰… निस्सयो दातब्बो’’ति। दुतियं।
३. सामणेरसुत्तं
२५३. [महाव॰ ८४] ‘‘पञ्चहि, भिक्खवे, धम्मेहि समन्नागतेन भिक्खुना सामणेरो उपट्ठापेतब्बो। कतमेहि पञ्चहि? इध, भिक्खवे, भिक्खु असेखेन सीलक्खन्धेन समन्नागतो होति; असेखेन समाधिक्खन्धेन… असेखेन पञ्ञाक्खन्धेन… असेखेन विमुत्तिक्खन्धेन… असेखेन विमुत्तिञाणदस्सनक्खन्धेन समन्नागतो होति। इमेहि खो, भिक्खवे, पञ्चहि धम्मेहि समन्नागतेन भिक्खुना सामणेरो उपट्ठापेतब्बो’’ति। ततियं।
४. पञ्चमच्छरियसुत्तं
२५४. ‘‘पञ्चिमानि , भिक्खवे, मच्छरियानि। कतमानि पञ्च? आवासमच्छरियं, कुलमच्छरियं, लाभमच्छरियं, वण्णमच्छरियं, धम्ममच्छरियं – इमानि खो, भिक्खवे, पञ्च मच्छरियानि। इमेसं खो, भिक्खवे, पञ्चन्नं मच्छरियानं एतं पटिकुट्ठं [पतिकिट्ठं (सी॰ पी॰), पटिक्किट्ठं (स्या॰ कं॰), पटिकिट्ठं (क॰)], यदिदं धम्ममच्छरिय’’न्ति। चतुत्थं।
५. मच्छरियप्पहानसुत्तं
२५५. ‘‘पञ्चन्नं , भिक्खवे, मच्छरियानं पहानाय समुच्छेदाय ब्रह्मचरियं वुस्सति। कतमेसं पञ्चन्नं? आवासमच्छरियस्स पहानाय समुच्छेदाय ब्रह्मचरियं वुस्सति; कुलमच्छरियस्स…पे॰… लाभमच्छरियस्स… वण्णमच्छरियस्स… धम्ममच्छरियस्स पहानाय समुच्छेदाय ब्रह्मचरियं वुस्सति। इमेसं खो, भिक्खवे, पञ्चन्नं मच्छरियानं पहानाय समुच्छेदाय ब्रह्मचरियं वुस्सती’’ति। पञ्चमं।
६. पठमझानसुत्तं
२५६. ‘‘पञ्चिमे, भिक्खवे, धम्मे अप्पहाय अभब्बो पठमं झानं उपसम्पज्ज विहरितुं। कतमे पञ्च? आवासमच्छरियं, कुलमच्छरियं, लाभमच्छरियं, वण्णमच्छरियं, धम्ममच्छरियं – इमे खो, भिक्खवे, पञ्च धम्मे अप्पहाय अभब्बो पठमं झानं उपसम्पज्ज विहरितुं।
‘‘पञ्चिमे, भिक्खवे, धम्मे पहाय भब्बो पठमं झानं उपसम्पज्ज विहरितुं। कतमे पञ्च? आवासमच्छरियं, कुलमच्छरियं, लाभमच्छरियं, वण्णमच्छरियं, धम्ममच्छरियं – इमे खो, भिक्खवे, पञ्च धम्मे पहाय भब्बो पठमं झानं उपसम्पज्ज विहरितु’’न्ति। छट्ठं।
७-१३. दुतियझानसुत्तादिसत्तकं
२५७-२६३. ‘‘पञ्चिमे , भिक्खवे, धम्मे अप्पहाय अभब्बो दुतियं झानं…पे॰… अभब्बो ततियं झानं… अभब्बो चतुत्थं झानं… अभब्बो सोतापत्तिफलं… अभब्बो सकदागामिफलं… अभब्बो अनागामिफलं… अभब्बो अरहत्तं [अरहत्तफलं (सी॰)] सच्छिकातुं। कतमे पञ्च? आवासमच्छरियं , कुलमच्छरियं, लाभमच्छरियं, वण्णमच्छरियं, धम्ममच्छरियं – इमे खो, भिक्खवे, पञ्च धम्मे अप्पहाय अभब्बो अरहत्तं सच्छिकातुं।
‘‘पञ्चिमे, भिक्खवे, धम्मे पहाय भब्बो दुतियं झानं…पे॰… भब्बो ततियं झानं… भब्बो चतुत्थं झानं… भब्बो सोतापत्तिफलं… भब्बो सकदागामिफलं… भब्बो अनागामिफलं… भब्बो अरहत्तं सच्छिकातुं। कतमे पञ्च? आवासमच्छरियं, कुलमच्छरियं, लाभमच्छरियं, वण्णमच्छरियं, धम्ममच्छरियं – इमे खो, भिक्खवे, पञ्च धम्मे पहाय भब्बो अरहत्तं सच्छिकातु’’न्ति। तेरसमं।
१४. अपरपठमझानसुत्तं
२६४. ‘‘पञ्चिमे , भिक्खवे, धम्मे अप्पहाय अभब्बो पठमं झानं उपसम्पज्ज विहरितुं। कतमे पञ्च? आवासमच्छरियं, कुलमच्छरियं, लाभमच्छरियं, वण्णमच्छरियं, अकतञ्ञुतं अकतवेदितं – इमे खो, भिक्खवे, पञ्च धम्मे अप्पहाय अभब्बो पठमं झानं उपसम्पज्ज विहरितुं।
‘‘पञ्चिमे, भिक्खवे, धम्मे पहाय भब्बो पठमं झानं उपसम्पज्ज विहरितुं। कतमे पञ्च? आवासमच्छरियं, कुलमच्छरियं, लाभमच्छरियं, वण्णमच्छरियं, अकतञ्ञुतं अकतवेदितं – इमे खो, भिक्खवे, पञ्च धम्मे पहाय भब्बो पठमं झानं उपसम्पज्ज विहरितु’’न्ति। चुद्दसमं।
१५-२१. अपरदुतियझानसुत्तादिसत्तकं
२६५-२७१. ‘‘पञ्चिमे , भिक्खवे, धम्मे अप्पहाय अभब्बो दुतियं झानं…पे॰… ततियं झानं… चतुत्थं झानं… सोतापत्तिफलं… सकदागामिफलं… अनागामिफलं… अरहत्तं सच्छिकातुं। कतमे पञ्च? आवासमच्छरियं, कुलमच्छरियं, लाभमच्छरियं, वण्णमच्छरियं, अकतञ्ञुतं अकतवेदितं – इमे खो, भिक्खवे, पञ्च धम्मे अप्पहाय अभब्बो अरहत्तं सच्छिकातुं।
‘‘पञ्चिमे, भिक्खवे, धम्मे पहाय भब्बो दुतियं झानं…पे॰… ततियं झानं… चतुत्थं झानं… सोतापत्तिफलं… सकदागामिफलं… अनागामिफलं… अरहत्तं सच्छिकातुं। कतमे पञ्च? आवासमच्छरियं, कुलमच्छरियं, लाभमच्छरियं, वण्णमच्छरियं, अकतञ्ञुतं अकतवेदितं – इमे खो, भिक्खवे, पञ्च धम्मे पहाय भब्बो अरहत्तं सच्छिकातु’’न्ति। एकवीसतिमं।
उपसम्पदावग्गो छट्ठो।