०१. सेखबलवग्गो

॥ नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स॥
अङ्गुत्तरनिकायो
पञ्चकनिपातपाळि
१. पठमपण्णासकं
१. सेखबलवग्गो

१. संखित्तसुत्तं

१. एवं मे सुतं – एकं समयं भगवा सावत्थियं विहरति जेतवने अनाथपिण्डिकस्स आरामे। तत्र खो भगवा भिक्खू आमन्तेसि – ‘‘भिक्खवो’’ति। ‘‘भदन्ते’’ति ते भिक्खू भगवतो पच्चस्सोसुं। भगवा एतदवोच –
‘‘पञ्चिमानि, भिक्खवे, सेखबलानि [सेक्खबलानि (क॰)]। कतमानि पञ्च? सद्धाबलं, हिरीबलं [हिरिबलं (सी॰ पी॰)], ओत्तप्पबलं, वीरियबलं [विरियबलं (सी॰ स्या॰ कं॰ पी॰)], पञ्ञाबलं – इमानि खो, भिक्खवे, पञ्च सेखबलानि।
‘‘तस्मातिह , भिक्खवे, एवं सिक्खितब्बं – ‘सद्धाबलेन समन्नागता भविस्साम सेखबलेन, हिरीबलेन समन्नागता भविस्साम सेखबलेन, ओत्तप्पबलेन समन्नागता भविस्साम सेखबलेन, वीरियबलेन समन्नागता भविस्साम सेखबलेन, पञ्ञाबलेन समन्नागता भविस्साम सेखबलेना’ति। एवञ्हि वो, भिक्खवे, सिक्खितब्ब’’न्ति। इदमवोच भगवा। अत्तमना ते भिक्खू भगवतो भासितं अभिनन्दुन्ति। पठमं।

२. वित्थतसुत्तं

२. ‘‘पञ्चिमानि , भिक्खवे, सेखबलानि। कतमानि पञ्च? सद्धाबलं, हिरीबलं, ओत्तप्पबलं, वीरियबलं, पञ्ञाबलं। कतमञ्च, भिक्खवे, सद्धाबलं? इध, भिक्खवे, अरियसावको सद्धो होति, सद्दहति तथागतस्स बोधिं – ‘इतिपि सो भगवा अरहं सम्मासम्बुद्धो विज्जाचरणसम्पन्नो सुगतो लोकविदू अनुत्तरो पुरिसदम्मसारथि सत्था देवमनुस्सानं बुद्धो भगवा’ति। इदं वुच्चति, भिक्खवे, सद्धाबलं।
‘‘कतमञ्च, भिक्खवे, हिरीबलं? इध, भिक्खवे, अरियसावको हिरिमा होति, हिरीयति कायदुच्चरितेन वचीदुच्चरितेन मनोदुच्चरितेन, हिरीयति पापकानं अकुसलानं धम्मानं समापत्तिया। इदं वुच्चति, भिक्खवे, हिरीबलं।
‘‘कतमञ्च, भिक्खवे, ओत्तप्पबलं? इध, भिक्खवे, अरियसावको ओत्तप्पी होति, ओत्तप्पति कायदुच्चरितेन वचीदुच्चरितेन मनोदुच्चरितेन, ओत्तप्पति पापकानं अकुसलानं धम्मानं समापत्तिया। इदं वुच्चति, भिक्खवे, ओत्तप्पबलं।
‘‘कतमञ्च, भिक्खवे, वीरियबलं? इध, भिक्खवे, अरियसावको आरद्धवीरियो विहरति अकुसलानं धम्मानं पहानाय, कुसलानं धम्मानं उपसम्पदाय, थामवा दळ्हपरक्कमो अनिक्खित्तधुरो कुसलेसु धम्मेसु। इदं वुच्चति, भिक्खवे, वीरियबलं।
‘‘कतमञ्च, भिक्खवे, पञ्ञाबलं? इध, भिक्खवे, अरियसावको पञ्ञवा होति उदयत्थगामिनिया पञ्ञाय समन्नागतो अरियाय निब्बेधिकाय सम्मा दुक्खक्खयगामिनिया। इदं वुच्चति, भिक्खवे, पञ्ञाबलं। इमानि खो, भिक्खवे, पञ्च सेखबलानि।
‘‘तस्मातिह, भिक्खवे, एवं सिक्खितब्बं – ‘सद्धाबलेन समन्नागता भविस्साम सेखबलेन, हिरीबलेन… ओत्तप्पबलेन … वीरियबलेन… पञ्ञाबलेन समन्नागता भविस्साम सेखबलेना’ति। एवञ्हि खो, भिक्खवे, सिक्खितब्ब’’न्ति। दुतियं।

३. दुक्खसुत्तं

३. ‘‘पञ्चहि, भिक्खवे, धम्मेहि समन्नागतो भिक्खु दिट्ठेव धम्मे दुक्खं विहरति सविघातं सउपायासं सपरिळाहं, कायस्स च भेदा परं मरणा दुग्गति पाटिकङ्खा। कतमेहि पञ्चहि? इध, भिक्खवे, भिक्खु अस्सद्धो होति, अहिरिको होति, अनोत्तप्पी होति, कुसीतो होति, दुप्पञ्ञो होति। इमेहि खो, भिक्खवे, पञ्चहि धम्मेहि समन्नागतो भिक्खु दिट्ठेव धम्मे दुक्खं विहरति सविघातं सउपायासं सपरिळाहं, कायस्स च भेदा परं मरणा दुग्गति पाटिकङ्खा।
‘‘पञ्चहि, भिक्खवे, धम्मेहि समन्नागतो भिक्खु दिट्ठेव धम्मे सुखं विहरति अविघातं अनुपायासं अपरिळाहं, कायस्स च भेदा परं मरणा सुगति पाटिकङ्खा। कतमेहि पञ्चहि? इध, भिक्खवे, भिक्खु सद्धो होति, हिरीमा होति, ओत्तप्पी होति, आरद्धवीरियो होति, पञ्ञवा होति। इमेहि खो, भिक्खवे, पञ्चहि धम्मेहि समन्नागतो भिक्खु दिट्ठेव धम्मे सुखं विहरति अविघातं अनुपायासं अपरिळाहं, कायस्स च भेदा परं मरणा सुगति पाटिकङ्खा’’ति। ततियं।

४. यथाभतसुत्तं

४. ‘‘पञ्चहि, भिक्खवे, धम्मेहि समन्नागतो भिक्खु यथाभतं निक्खित्तो एवं निरये। कतमेहि पञ्चहि? इध, भिक्खवे, भिक्खु अस्सद्धो होति, अहिरिको होति, अनोत्तप्पी होति , कुसीतो होति , दुप्पञ्ञो होति। इमेहि खो, भिक्खवे, पञ्चहि धम्मेहि समन्नागतो भिक्खु यथाभतं निक्खित्तो एवं निरये।
‘‘पञ्चहि , भिक्खवे, धम्मेहि समन्नागतो भिक्खु यथाभतं निक्खित्तो एवं सग्गे। कतमेहि पञ्चहि? इध, भिक्खवे, भिक्खु सद्धो होति, हिरीमा होति, ओत्तप्पी होति, आरद्धवीरियो होति, पञ्ञवा होति। इमेहि खो, भिक्खवे, पञ्चहि धम्मेहि समन्नागतो भिक्खु यथाभतं निक्खित्तो एवं सग्गे’’ति। चतुत्थं।

५. सिक्खासुत्तं

५. ‘‘यो हि कोचि, भिक्खवे, भिक्खु वा भिक्खुनी वा सिक्खं पच्चक्खाय हीनायावत्तति, तस्स दिट्ठेव [दिट्ठे चेव (सी॰)] धम्मे पञ्च सहधम्मिका वादानुपाता [वादानुवादा (अ॰ नि॰ ८.१२; अ॰ नि॰ ३.५८)] गारय्हा ठाना आगच्छन्ति। कतमे पञ्च? सद्धापि नाम ते नाहोसि कुसलेसु धम्मेसु, हिरीपि नाम ते नाहोसि कुसलेसु धम्मेसु, ओत्तप्पम्पि नाम ते नाहोसि कुसलेसु धम्मेसु, वीरियम्पि नाम ते नाहोसि कुसलेसु धम्मेसु, पञ्ञापि नाम ते नाहोसि कुसलेसु धम्मेसु। यो हि कोचि, भिक्खवे, भिक्खु वा भिक्खुनी वा सिक्खं पच्चक्खाय हीनायावत्तति, तस्स दिट्ठेव धम्मे इमे पञ्च सहधम्मिका वादानुपाता गारय्हा ठाना आगच्छन्ति।
‘‘यो हि कोचि, भिक्खवे, भिक्खु वा भिक्खुनी वा सहापि दुक्खेन सहापि दोमनस्सेन अस्सुमुखो [अस्सुमुखोपि (स्या॰)] रुदमानो परिपुण्णं परिसुद्धं ब्रह्मचरियं चरति, तस्स दिट्ठेव धम्मे पञ्च सहधम्मिका पासंसा ठाना [पासंसं ठानं (स्या॰)] आगच्छन्ति। कतमे पञ्च? सद्धापि नाम ते अहोसि कुसलेसु धम्मेसु, हिरीपि नाम ते अहोसि कुसलेसु धम्मेसु, ओत्तप्पम्पि नाम ते अहोसि कुसलेसु धम्मेसु, वीरियम्पि नाम ते अहोसि कुसलेसु धम्मेसु, पञ्ञापि नाम ते अहोसि कुसलेसु धम्मेसु। यो हि कोचि, भिक्खवे, भिक्खु वा भिक्खुनी वा सहापि दुक्खेन सहापि दोमनस्सेन अस्सुमुखो रुदमानो परिपुण्णं परिसुद्धं ब्रह्मचरियं चरति, तस्स दिट्ठेव धम्मे इमे पञ्च सहधम्मिका पासंसा ठाना आगच्छन्ती’’ति। पञ्चमं।

६. समापत्तिसुत्तं

६. ‘‘न ताव, भिक्खवे, अकुसलस्स समापत्ति होति याव सद्धा पच्चुपट्ठिता होति कुसलेसु धम्मेसु। यतो च खो, भिक्खवे, सद्धा अन्तरहिता होति, असद्धियं परियुट्ठाय तिट्ठति; अथ अकुसलस्स समापत्ति होति।
‘‘न ताव, भिक्खवे, अकुसलस्स समापत्ति होति याव हिरी पच्चुपट्ठिता होति कुसलेसु धम्मेसु। यतो च खो, भिक्खवे, हिरी अन्तरहिता होति, अहिरिकं परियुट्ठाय तिट्ठति; अथ अकुसलस्स समापत्ति होति।
‘‘न ताव, भिक्खवे, अकुसलस्स समापत्ति होति याव ओत्तप्पं पच्चुपट्ठितं होति कुसलेसु धम्मेसु। यतो च खो, भिक्खवे, ओत्तप्पं अन्तरहितं होति, अनोत्तप्पं परियुट्ठाय तिट्ठति; अथ अकुसलस्स समापत्ति होति।
‘‘न ताव, भिक्खवे, अकुसलस्स समापत्ति होति याव वीरियं पच्चुपट्ठितं होति कुसलेसु धम्मेसु। यतो च खो, भिक्खवे, वीरियं अन्तरहितं होति, कोसज्जं परियुट्ठाय तिट्ठति; अथ अकुसलस्स समापत्ति होति।
‘‘न ताव, भिक्खवे, अकुसलस्स समापत्ति होति याव पञ्ञा पच्चुपट्ठिता होति कुसलेसु धम्मेसु। यतो च खो, भिक्खवे, पञ्ञा अन्तरहिता होति, दुप्पञ्ञा [दुप्पञ्ञं (क॰)] परियुट्ठाय तिट्ठति; अथ अकुसलस्स समापत्ति होती’’ति। छट्ठं।

७. कामसुत्तं

७. ‘‘येभुय्येन, भिक्खवे, सत्ता कामेसु लळिता [पलाळिता (सी॰)]। असितब्याभङ्गिं [असितब्याभङ्गि चेपि (?)], भिक्खवे, कुलपुत्तो ओहाय अगारस्मा अनगारियं पब्बजितो होति, ‘सद्धापब्बजितो कुलपुत्तो’ति अलं वचनाय। तं किस्स हेतु? लब्भा [लब्भा हि (स्या॰)], भिक्खवे, योब्बनेन कामा ते च खो यादिसा वा तादिसा वा। ये च, भिक्खवे, हीना कामा ये च मज्झिमा कामा ये च पणीता कामा , सब्बे कामा ‘कामा’त्वेव सङ्खं गच्छन्ति। सेय्यथापि , भिक्खवे, दहरो कुमारो मन्दो उत्तानसेय्यको धातिया पमादमन्वाय कट्ठं वा कठलं [कथलं (क॰)] वा मुखे आहरेय्य। तमेनं धाति सीघं सीघं [सीघसीघं (सी॰)] मनसि करेय्य; सीघं सीघं मनसि करित्वा सीघं सीघं आहरेय्य। नो चे सक्कुणेय्य सीघं सीघं आहरितुं, वामेन हत्थेन सीसं परिग्गहेत्वा दक्खिणेन हत्थेन वङ्कङ्गुलिं करित्वा सलोहितम्पि आहरेय्य। तं किस्स हेतु? ‘अत्थेसा, भिक्खवे, कुमारस्स विहेसा; नेसा नत्थी’ति वदामि। करणीयञ्च खो एतं [एवं (क॰)], भिक्खवे, धातिया अत्थकामाय हितेसिनिया अनुकम्पिकाय, अनुकम्पं उपादाय। यतो च खो, भिक्खवे, सो कुमारो वुद्धो होति अलंपञ्ञो, अनपेक्खा दानि [अनपेक्खा पन (सी॰ स्या॰ कं॰)], भिक्खवे, धाति तस्मिं कुमारे होति – ‘अत्तगुत्तो दानि कुमारो नालं पमादाया’ति।
‘‘एवमेवं खो, भिक्खवे, यावकीवञ्च भिक्खुनो सद्धाय अकतं होति कुसलेसु धम्मेसु, हिरिया अकतं होति कुसलेसु धम्मेसु, ओत्तप्पेन अकतं होति कुसलेसु धम्मेसु, वीरियेन अकतं होति कुसलेसु धम्मेसु, पञ्ञाय अकतं होति कुसलेसु धम्मेसु, अनुरक्खितब्बो ताव मे सो, भिक्खवे, भिक्खु होति। यतो च खो, भिक्खवे, भिक्खुनो सद्धाय कतं होति कुसलेसु धम्मेसु, हिरिया कतं होति कुसलेसु धम्मेसु, ओत्तप्पेन कतं होति कुसलेसु धम्मेसु, वीरियेन कतं होति कुसलेसु धम्मेसु, पञ्ञाय कतं होति कुसलेसु धम्मेसु, अनपेक्खो दानाहं, भिक्खवे [पनाहं (सी॰ स्या॰ कं॰)], तस्मिं भिक्खुस्मिं होमि – ‘अत्तगुत्तो दानि भिक्खु नालं पमादाया’’’ति। सत्तमं।

८. चवनसुत्तं

८. ‘‘पञ्चहि, भिक्खवे, धम्मेहि समन्नागतो भिक्खु चवति, नप्पतिट्ठाति सद्धम्मे। कतमेहि पञ्चहि? असद्धो, भिक्खवे, भिक्खु चवति, नप्पतिट्ठाति सद्धम्मे । अहिरिको, भिक्खवे, भिक्खु चवति, नप्पतिट्ठाति सद्धम्मे। अनोत्तप्पी, भिक्खवे, भिक्खु चवति, नप्पतिट्ठाति सद्धम्मे। कुसीतो, भिक्खवे, भिक्खु चवति, नप्पतिट्ठाति सद्धम्मे। दुप्पञ्ञो, भिक्खवे, भिक्खु चवति, नप्पतिट्ठाति सद्धम्मे। इमेहि खो, भिक्खवे, पञ्चहि धम्मेहि समन्नागतो भिक्खु चवति, नप्पतिट्ठाति सद्धम्मे।
‘‘पञ्चहि , भिक्खवे, धम्मेहि समन्नागतो भिक्खु न चवति, पतिट्ठाति सद्धम्मे। कतमेहि पञ्चहि? सद्धो, भिक्खवे, भिक्खु न चवति , पतिट्ठाति सद्धम्मे। हिरीमा, भिक्खवे, भिक्खु न चवति, पतिट्ठाति सद्धम्मे। ओत्तप्पी, भिक्खवे, भिक्खु न चवति, पतिट्ठाति सद्धम्मे। आरद्धवीरियो, भिक्खवे, भिक्खु न चवति, पतिट्ठाति सद्धम्मे। पञ्ञवा, भिक्खवे, भिक्खु न चवति, पतिट्ठाति सद्धम्मे। इमेहि खो, भिक्खवे, पञ्चहि धम्मेहि समन्नागतो भिक्खु न चवति, पतिट्ठाति सद्धम्मे’’ति। अट्ठमं।

९. पठमअगारवसुत्तं

९. ‘‘पञ्चहि, भिक्खवे, धम्मेहि समन्नागतो भिक्खु अगारवो अप्पतिस्सो चवति, नप्पतिट्ठाति सद्धम्मे। कतमेहि पञ्चहि? अस्सद्धो, भिक्खवे, भिक्खु अगारवो अप्पतिस्सो चवति, नप्पतिट्ठाति सद्धम्मे। अहिरिको, भिक्खवे, भिक्खु अगारवो अप्पतिस्सो चवति, नप्पतिट्ठाति सद्धम्मे। अनोत्तप्पी, भिक्खवे, भिक्खु अगारवो अप्पतिस्सो चवति, नप्पतिट्ठाति सद्धम्मे। कुसीतो , भिक्खवे, भिक्खु अगारवो अप्पतिस्सो चवति, नप्पतिट्ठाति सद्धम्मे। दुप्पञ्ञो, भिक्खवे, भिक्खु अगारवो अप्पतिस्सो चवति, नप्पतिट्ठाति सद्धम्मे। इमेहि खो, भिक्खवे, पञ्चहि धम्मेहि समन्नागतो भिक्खु अगारवो अप्पतिस्सो चवति, नप्पतिट्ठाति सद्धम्मे।
‘‘पञ्चहि , भिक्खवे, धम्मेहि समन्नागतो भिक्खु सगारवो सप्पतिस्सो न चवति, पतिट्ठाति सद्धम्मे। कतमेहि पञ्चहि? सद्धो, भिक्खवे, भिक्खु सगारवो सप्पतिस्सो न चवति, पतिट्ठाति सद्धम्मे। हिरिमा, भिक्खवे, भिक्खु सगारवो सप्पतिस्सो न चवति, पतिट्ठाति सद्धम्मे। ओत्तप्पी, भिक्खवे, भिक्खु सगारवो सप्पतिस्सो न चवति, पतिट्ठाति सद्धम्मे। आरद्धवीरियो, भिक्खवे, भिक्खु सगारवो सप्पतिस्सो न चवति, पतिट्ठाति सद्धम्मे। पञ्ञवा, भिक्खवे, भिक्खु सगारवो सप्पतिस्सो न चवति, पतिट्ठाति सद्धम्मे। इमेहि खो, भिक्खवे, पञ्चहि धम्मेहि समन्नागतो भिक्खु सगारवो सप्पतिस्सो न चवति, पतिट्ठाति सद्धम्मे’’ति। नवमं।

१०. दुतियअगारवसुत्तं

१०. ‘‘पञ्चहि , भिक्खवे, धम्मेहि समन्नागतो भिक्खु अगारवो अप्पतिस्सो अभब्बो इमस्मिं धम्मविनये वुद्धिं विरूळ्हिं वेपुल्लं आपज्जितुं। कतमेहि पञ्चहि? अस्सद्धो, भिक्खवे, भिक्खु अगारवो अप्पतिस्सो अभब्बो इमस्मिं धम्मविनये वुद्धिं विरूळ्हिं वेपुल्लं आपज्जितुं। अहिरिको, भिक्खवे, भिक्खु अगारवो अप्पतिस्सो अभब्बो इमस्मिं धम्मविनये वुद्धिं विरूळ्हिं वेपुल्लं आपज्जितुं। अनोत्तप्पी, भिक्खवे, भिक्खु अगारवो अप्पतिस्सो अभब्बो इमस्मिं धम्मविनये वुद्धिं विरूळ्हिं वेपुल्लं आपज्जितुं। कुसीतो, भिक्खवे, भिक्खु अगारवो अप्पतिस्सो अभब्बो इमस्मिं धम्मविनये वुद्धिं विरूळ्हिं वेपुल्लं आपज्जितुं। दुप्पञ्ञो, भिक्खवे, भिक्खु अगारवो अप्पतिस्सो अभब्बो इमस्मिं धम्मविनये वुद्धिं विरूळ्हिं वेपुल्लं आपज्जितुं। इमेहि खो, भिक्खवे, पञ्चहि धम्मेहि समन्नागतो भिक्खु अगारवो अप्पतिस्सो अभब्बो इमस्मिं धम्मविनये वुद्धिं विरूळ्हिं वेपुल्लं आपज्जितुं।
‘‘पञ्चहि, भिक्खवे, धम्मेहि समन्नागतो भिक्खु सगारवो सप्पतिस्सो भब्बो इमस्मिं धम्मविनये वुद्धिं विरूळ्हिं वेपुल्लं आपज्जितुं। कतमेहि पञ्चहि? सद्धो, भिक्खवे, भिक्खु सगारवो सप्पतिस्सो भब्बो इमस्मिं धम्मविनये वुद्धिं विरूळ्हिं वेपुल्लं आपज्जितुं। हिरीमा, भिक्खवे, भिक्खु…पे॰… ओत्तप्पी, भिक्खवे , भिक्खु…पे॰… आरद्धवीरियो, भिक्खवे, भिक्खु…पे॰… पञ्ञवा, भिक्खवे, भिक्खु सगारवो सप्पतिस्सो भब्बो इमस्मिं धम्मविनये वुद्धिं विरूळ्हिं वेपुल्लं आपज्जितुं। इमेहि खो, भिक्खवे , पञ्चहि धम्मेहि समन्नागतो भिक्खु सगारवो सप्पतिस्सो भब्बो इमस्मिं धम्मविनये वुद्धिं विरूळ्हिं वेपुल्लं आपज्जितु’’न्ति। दसमं।
सेखबलवग्गो पठमो।
तस्सुद्दानं –
संखित्तं वित्थतं दुक्खा, भतं सिक्खाय पञ्चमं।
समापत्ति च कामेसु, चवना द्वे अगारवाति॥