(१५) ५. समापत्तिवग्गो

(१५) ५. समापत्तिवग्गो
१६४. ‘‘द्वेमे , भिक्खवे, धम्मा। कतमे द्वे? समापत्तिकुसलता च समापत्तिवुट्ठानकुसलता च। इमे खो, भिक्खवे, द्वे धम्मा’’ति।
१६५. ‘‘द्वेमे, भिक्खवे, धम्मा। कतमे द्वे? अज्जवञ्च मद्दवञ्च। इमे खो, भिक्खवे, द्वे धम्मा’’।
१६६. ‘‘द्वेमे, भिक्खवे, धम्मा। कतमे द्वे? खन्ति च सोरच्चञ्च। इमे खो, भिक्खवे, द्वे धम्मा’’।
१६७. ‘‘द्वेमे, भिक्खवे, धम्मा। कतमे द्वे? साखल्यञ्च पटिसन्थारो च। इमे खो, भिक्खवे, द्वे धम्मा’’।
१६८. ‘द्वेमे, भिक्खवे, धम्मा। कतमे द्वे? अविहिंसा च सोचेय्यञ्च। इमे खो, भिक्खवे, द्वे धम्मा’’।
१६९. ‘‘द्वेमे, भिक्खवे, धम्मा। कतमे द्वे? इन्द्रियेसु अगुत्तद्वारता च भोजने अमत्तञ्ञुता च। इमे खो, भिक्खवे, द्वे धम्मा’’।
१७०. ‘‘द्वेमे , भिक्खवे, धम्मा। कतमे द्वे? इन्द्रियेसु गुत्तद्वारता च भोजने मत्तञ्ञुता च। इमे खो, भिक्खवे, द्वे धम्मा’’।
१७१. ‘‘द्वेमे , भिक्खवे, धम्मा। कतमे द्वे? पटिसङ्खानबलञ्च भावनाबलञ्च। इमे खो, भिक्खवे, द्वे धम्मा’’।
१७२. ‘‘द्वेमे, भिक्खवे, धम्मा। कतमे द्वे? सतिबलञ्च समाधिबलञ्च। इमे खो, भिक्खवे, द्वे धम्मा’’।
१७३. ‘‘द्वेमे , भिक्खवे, धम्मा। कतमे द्वे? समथो च विपस्सना च। इमे खो, भिक्खवे, द्वे धम्मा’’।
१७४. ‘‘द्वेमे, भिक्खवे, धम्मा। कतमे द्वे? सीलविपत्ति च दिट्ठिविपत्ति च। इमे खो, भिक्खवे, द्वे धम्मा’’।
१७५. ‘‘द्वेमे, भिक्खवे, धम्मा। कतमे द्वे? सीलसम्पदा च दिट्ठिसम्पदा च। इमे खो, भिक्खवे, द्वे धम्मा’’।
१७६. ‘‘द्वेमे, भिक्खवे, धम्मा। कतमे द्वे? सीलविसुद्धि च दिट्ठिविसुद्धि च। इमे खो, भिक्खवे, द्वे धम्मा’’।
१७७. ‘‘द्वेमे, भिक्खवे, धम्मा। कतमे द्वे? दिट्ठिविसुद्धि च यथादिट्ठिस्स च पधानं। इमे खो, भिक्खवे, द्वे धम्मा’’।
१७८. ‘‘द्वेमे, भिक्खवे, धम्मा। कतमे द्वे? असन्तुट्ठिता च कुसलेसु धम्मेसु, अप्पटिवानिता च पधानस्मिं। इमे खो, भिक्खवे, द्वे धम्मा’’।
१७९. ‘‘द्वेमे, भिक्खवे, धम्मा। कतमे द्वे? मुट्ठस्सच्चञ्च असम्पजञ्ञञ्च। इमे खो, भिक्खवे, द्वे धम्मा’’।
१८०. ‘‘द्वेमे, भिक्खवे, धम्मा। कतमे द्वे? सति च सम्पजञ्ञञ्च । इमे खो, भिक्खवे, द्वे धम्मा’’ति।
समापत्तिवग्गो पञ्चमो।
ततियो पण्णासको समत्तो।