१. अञ्ञत्रसुत्तम्
११३१. अथ खो भगवा परित्तं नखसिखायं पंसुं आरोपेत्वा भिक्खू आमन्तेसि – ‘‘तं किं मञ्ञथ, भिक्खवे, कतमं नु खो बहुतरं – यो वायं मया परित्तो नखसिखायं पंसु आरोपितो, अयं वा महापथवी’’ति? ‘‘एतदेव , भन्ते, बहुतरं, यदिदं – महापथवी; अप्पमत्तकायं भगवता परित्तो नखसिखायं पंसु आरोपितो। सङ्खम्पि न उपेति, उपनिधम्पि न उपेति, कलभागम्पि न उपेति महापथविं उपनिधाय भगवता परित्तो नखसिखायं पंसु आरोपितो’’ति।
‘‘एवमेव खो, भिक्खवे, अप्पमत्तका ते सत्ता ये मनुस्सेसु पच्चाजायन्ति; अथ खो एतेव बहुतरा सत्ता ये अञ्ञत्र मनुस्सेहि [मनुस्सेसु (पी॰ क॰)] पच्चाजायन्ति। तं किस्स हेतु? अदिट्ठत्ता, भिक्खवे, चतुन्नं अरियसच्चानम्। कतमेसं चतुन्नं? दुक्खस्स अरियसच्चस्स…पे॰… दुक्खनिरोधगामिनिया पटिपदाय अरियसच्चस्स’’।
‘‘तस्मातिह , भिक्खवे, ‘इदं दुक्ख’न्ति योगो करणीयो…पे॰… ‘अयं दुक्खनिरोधगामिनी पटिपदा’ति योगो करणीयो’’ति। पठमम्।
२. पच्चन्तसुत्तम्
११३२. अथ खो भगवा परित्तं नखसिखायं पंसुं आरोपेत्वा भिक्खू आमन्तेसि – ‘‘तं किं मञ्ञथ, भिक्खवे, कतमं नु खो बहुतरं – यो वायं मया परित्तो नखसिखायं पंसु आरोपितो, अयं वा महापथवी’’ति? ‘‘एतदेव, भन्ते, बहुतरं, यदिदं – महापथवी; अप्पमत्तकायं भगवता परित्तो नखसिखायं पंसु आरोपितो। सङ्खम्पि न उपेति, उपनिधम्पि न उपेति, कलभागम्पि न उपेति महापथविं उपनिधाय भगवता परित्तो नखसिखायं पंसु आरोपितो’’ति।
‘‘एवमेव खो, भिक्खवे, अप्पमत्तका ते सत्ता ये मज्झिमेसु जनपदेसु पच्चाजायन्ति; अथ खो एतेव बहुतरा सत्ता ये पच्चन्तिमेसु जनपदेसु पच्चाजायन्ति अविञ्ञातारेसु मिलक्खेसु [मिलक्खूसु (स्या॰ कं॰ क॰)] …पे॰…। दुतियम्।
३. पञ्ञासुत्तम्
११३३. … ‘‘एवमेव खो, भिक्खवे, अप्पका ते सत्ता ये पन अरियेन पञ्ञाचक्खुना समन्नागता; अथ खो एतेव बहुतरा सत्ता ये अविज्जागता सम्मुळ्हा…पे॰…। ततियम्।
४. सुरामेरयसुत्तम्
११३४. … ‘‘एवमेव खो, भिक्खवे, अप्पका ते सत्ता ये सुरामेरयमज्जप्पमादट्ठाना पटिविरता; अथ खो एतेव बहुतरा सत्ता ये सुरामेरयमज्जप्पमादट्ठाना अपटिविरता…पे॰…। चतुत्थम्।
५. ओदकसुत्तम्
११३५. … ‘‘एवमेव खो, भिक्खवे, अप्पका ते सत्ता ये थलजा; अथ खो एतेव बहुतरा सत्ता ये उदकजा। तं किस्स हेतु…पे॰…। पञ्चमम्।
६. मत्तेय्यसुत्तम्
११३६. … ‘‘एवमेव खो, भिक्खवे, अप्पका ते सत्ता ये मत्तेय्या; अथ खो एतेव बहुतरा सत्ता ये अमत्तेय्या…पे॰…। छट्ठम्।
७. पेत्तेय्यसुत्तम्
११३७. … ‘‘एवमेव खो, भिक्खवे, अप्पका ते सत्ता ये पेत्तेय्या; अथ खो एतेव बहुतरा सत्ता ये अपेत्तेय्या…पे॰…। सत्तमम्।
८. सामञ्ञसुत्तम्
११३८. … ‘‘एवमेव खो, भिक्खवे, अप्पका ते सत्ता ये सामञ्ञा; अथ खो एतेव बहुतरा सत्ता ये असामञ्ञा…पे॰…। अट्ठमम्।
९. ब्रह्मञ्ञसुत्तम्
११३९. … ‘‘एवमेव खो, भिक्खवे, अप्पका ते सत्ता ये ब्रह्मञ्ञा; अथ खो एतेव बहुतरा सत्ता ये अब्रह्मञ्ञा…पे॰…। नवमम्।
१०. पचायिकसुत्तम्
११४०. … ‘‘एवमेव खो, भिक्खवे, अप्पका ते सत्ता ये कुले जेट्ठापचायिनो; अथ खो एतेव बहुतरा सत्ता ये कुले अजेट्ठापचायिनोति [अकुले जेट्ठापचायिनोति (स्या॰ कं॰)] …पे॰…। दसमम्।
पठमआमकधञ्ञपेय्यालवग्गो सत्तमो।
तस्सुद्दानं –
अञ्ञत्र पच्चन्तं पञ्ञा, सुरामेरयओदका।
मत्तेय्य पेत्तेय्या चापि, सामञ्ञं ब्रह्मपचायिकन्ति॥