१. असुभसुत्तम्
२४८. ‘‘असुभसञ्ञा , भिक्खवे…पे॰… पठमम्।
२. मरणसुत्तम्
२४९. ‘‘मरणसञ्ञा , भिक्खवे…पे॰… दुतियम्।
३. आहारेपटिकूलसुत्तम्
२५०. ‘‘आहारे पटिकूलसञ्ञा, भिक्खवे…पे॰… ततियम्।
४. अनभिरतिसुत्तम्
२५१. ‘‘सब्बलोके अनभिरतिसञ्ञा, भिक्खवे…पे॰… चतुत्थम्।
५. अनिच्चसुत्तम्
२५२. ‘‘अनिच्चसञ्ञा, भिक्खवे…पे॰… पञ्चमम्।
६. दुक्खसुत्तम्
२५३. ‘‘अनिच्चे दुक्खसञ्ञा, भिक्खवे…पे॰… छट्ठम्।
७. अनत्तसुत्तम्
२५४. ‘‘दुक्खे अनत्तसञ्ञा, भिक्खवे…पे॰… सत्तमम्।
८. पहानसुत्तम्
२५५. ‘‘पहानसञ्ञा, भिक्खवे…पे॰… अट्ठमम्।
९. विरागसुत्तम्
२५६. ‘‘विरागसञ्ञा, भिक्खवे…पे॰… नवमम्।
१०. निरोधसुत्तम्
२५७. ‘‘निरोधसञ्ञा, भिक्खवे, भाविता बहुलीकता महप्फला होति महानिसंसा। कथं भाविता च, भिक्खवे, निरोधसञ्ञा कथं बहुलीकता महप्फला होति महानिसंसा? इध, भिक्खवे, भिक्खु निरोधसञ्ञासहगतं सतिसम्बोज्झङ्गं भावेति…पे॰… निरोधसञ्ञासहगतं उपेक्खासम्बोज्झङ्गं भावेति विवेकनिस्सितं विरागनिस्सितं निरोधनिस्सितं वोस्सग्गपरिणामिम्। एवं भाविता खो, भिक्खवे, निरोधसञ्ञा एवं बहुलीकता महप्फला होति महानिसंसाति।
‘‘निरोधसञ्ञाय, भिक्खवे, भाविताय बहुलीकताय द्विन्नं फलानं अञ्ञतरं फलं पाटिकङ्खं – दिट्ठेव धम्मे अञ्ञा, सति वा उपादिसेसे अनागामिता। कथं भाविताय, भिक्खवे, निरोधसञ्ञाय कथं बहुलीकताय द्विन्नं फलानं अञ्ञतरं फलं पाटिकङ्खं – दिट्ठेव धम्मे अञ्ञा, सति वा उपादिसेसे अनागामिता? इध, भिक्खवे, भिक्खु निरोधसञ्ञासहगतं सतिसम्बोज्झङ्गं भावेति…पे॰… निरोधसञ्ञासहगतं उपेक्खासम्बोज्झङ्गं भावेति विवेकनिस्सितं विरागनिस्सितं निरोधनिस्सितं वोस्सग्गपरिणामिम्। एवं भाविताय खो, भिक्खवे, निरोधसञ्ञाय एवं बहुलीकताय द्विन्नं फलानं अञ्ञतरं फलं पाटिकङ्खं – दिट्ठेव धम्मे अञ्ञा, सति वा उपादिसेसे अनागामिता’’ति।
‘‘निरोधसञ्ञा, भिक्खवे, भाविता बहुलीकता महतो अत्थाय संवत्तति, महतो योगक्खेमाय संवत्तति, महतो संवेगाय संवत्तति, महतो फासुविहाराय संवत्तति। कथं भाविता च, भिक्खवे, निरोधसञ्ञा कथं बहुलीकता महतो अत्थाय संवत्तति, महतो योगक्खेमाय संवत्तति, महतो संवेगाय संवत्तति, महतो फासुविहाराय संवत्तति? इध, भिक्खवे , भिक्खु निरोधसञ्ञासहगतं सतिसम्बोज्झङ्गं भावेति…पे॰… निरोधसञ्ञासहगतं उपेक्खासम्बोज्झङ्गं भावेति विवेकनिस्सितं विरागनिस्सितं निरोधनिस्सितं वोस्सग्गपरिणामिम्। एवं भाविता खो, भिक्खवे, निरोधसञ्ञा एवं बहुलीकता महतो अत्थाय संवत्तति, महतो योगक्खेमाय संवत्तति, महतो संवेगाय संवत्तति, महतो फासुविहाराय संवत्तती’’ति। दसमम्।
निरोधवग्गो अट्ठमो।
तस्सुद्दानं –
असुभमरणआहारे, पटिकूलअनभिरतेन [पटिकूलेन च सब्बलोके (स्या॰)]।
अनिच्चदुक्खअनत्तपहानं, विरागनिरोधेन ते दसाति॥