०२ २ गिलानवग्गो

१. पाणसुत्तम्

१९२. ‘‘सेय्यथापि , भिक्खवे, ये केचि पाणा चत्तारो इरियापथे कप्पेन्ति – कालेन गमनं, कालेन ठानं, कालेन निसज्जं, कालेन सेय्यं, सब्बे ते पथविं निस्साय पथवियं पतिट्ठाय एवमेते चत्तारो इरियापथे कप्पेन्ति; एवमेव खो, भिक्खवे, भिक्खु सीलं निस्साय सीले पतिट्ठाय सत्त बोज्झङ्गे भावेति, सत्त बोज्झङ्गे बहुलीकरोति।
‘‘कथञ्च , भिक्खवे, भिक्खु सीलं निस्साय सीले पतिट्ठाय सत्त बोज्झङ्गे भावेति सत्त बोज्झङ्गे बहुलीकरोति? इध, भिक्खवे, भिक्खु सतिसम्बोज्झङ्गं भावेति विवेकनिस्सितं विरागनिस्सितं निरोधनिस्सितं वोस्सग्गपरिणामिं…पे॰… उपेक्खासम्बोज्झङ्गं भावेति विवेकनिस्सितं विरागनिस्सितं निरोधनिस्सितं वोस्सग्गपरिणामिम्। एवं खो, भिक्खवे, भिक्खु सीलं निस्साय सीले पतिट्ठाय सत्त बोज्झङ्गे भावेति, सत्त बोज्झङ्गे बहुलीकरोती’’ति। पठमम्।

२. पठमसूरियूपमसुत्तम्

१९३. ‘‘सूरियस्स, भिक्खवे, उदयतो एतं पुब्बङ्गमं एतं पुब्बनिमित्तं, यदिदं – अरुणुग्गं; एवमेव खो, भिक्खवे, भिक्खुनो सत्तन्नं बोज्झङ्गानं उप्पादाय एतं पुब्बङ्गमं एतं पुब्बनिमित्तं, यदिदं – कल्याणमित्तता। कल्याणमित्तस्सेतं, भिक्खवे, भिक्खुनो पाटिकङ्खं – सत्त बोज्झङ्गे भावेस्सति, सत्त बोज्झङ्गे बहुलीकरिस्सति।
‘‘कथञ्च , भिक्खवे, भिक्खु कल्याणमित्तो सत्त बोज्झङ्गे भावेति सत्त बोज्झङ्गे बहुलीकरोति? इध, भिक्खवे, भिक्खु सतिसम्बोज्झङ्गं भावेति विवेकनिस्सितं…पे॰… उपेक्खासम्बोज्झङ्गं भावेति विवेकनिस्सितं विरागनिस्सितं निरोधनिस्सितं वोस्सग्गपरिणामिम्। एवं खो, भिक्खवे, भिक्खु कल्याणमित्तो सत्त बोज्झङ्गे भावेति, सत्त बोज्झङ्गे बहुलीकरोती’’ति। दुतियम्।

३. दुतियसूरियूपमसुत्तम्

१९४. ‘‘सूरियस्स , भिक्खवे, उदयतो एतं पुब्बङ्गमं एतं पुब्बनिमित्तं, यदिदं – अरुणुग्गं; एवमेव खो, भिक्खवे, भिक्खुनो सत्तन्नं बोज्झङ्गानं उप्पादाय एतं पुब्बङ्गमं एतं पुब्बनिमित्तं, यदिदं – योनिसोमनसिकारो। योनिसोमनसिकारसम्पन्नस्सेतं, भिक्खवे, भिक्खुनो पाटिकङ्खं – सत्त बोज्झङ्गे भावेस्सति, सत्त बोज्झङ्गे बहुलीकरिस्सति।
‘‘कथञ्च, भिक्खवे, भिक्खु योनिसोमनसिकारसम्पन्नो सत्त बोज्झङ्गे भावेति, सत्त बोज्झङ्गे बहुलीकरोति? इध, भिक्खवे, भिक्खु सतिसम्बोज्झङ्गं भावेति विवेकनिस्सितं…पे॰… उपेक्खासम्बोज्झङ्गं भावेति विवेकनिस्सितं विरागनिस्सितं निरोधनिस्सितं वोस्सग्गपरिणामिम्। एवं खो, भिक्खवे, भिक्खु योनिसोमनसिकारसम्पन्नो सत्त बोज्झङ्गे भावेति, सत्त बोज्झङ्गे बहुलीकरोती’’ति। ततियम्।

४. पठमगिलानसुत्तम्

१९५. एकं समयं भगवा राजगहे विहरति वेळुवने कलन्दकनिवापे। तेन खो पन समयेन आयस्मा महाकस्सपो पिप्पलिगुहायं [विप्फलिगुहायं (सी॰)] विहरति आबाधिको दुक्खितो बाळ्हगिलानो। अथ खो भगवा सायन्हसमयं पटिसल्लाना वुट्ठितो येनायस्मा महाकस्सपो तेनुपसङ्कमि; उपसङ्कमित्वा पञ्ञत्ते आसने निसीदि। निसज्ज खो भगवा आयस्मन्तं महाकस्सपं एतदवोच –
‘‘कच्चि ते, कस्सप, खमनीयं कच्चि यापनीयं? कच्चि दुक्खा वेदना पटिक्कमन्ति, नो अभिक्कमन्ति; पटिक्कमोसानं पञ्ञायति, नो अभिक्कमो’’ति? ‘‘न मे, भन्ते, खमनीयं, न यापनीयम्। बाळ्हा मे दुक्खा वेदना अभिक्कमन्ति, नो पटिक्कमन्ति; अभिक्कमोसानं पञ्ञायति, नो पटिक्कमो’’ति।
‘‘सत्तिमे, कस्सप, बोज्झङ्गा मया सम्मदक्खाता भाविता बहुलीकता अभिञ्ञाय सम्बोधाय निब्बानाय संवत्तन्ति। कतमे सत्त? सतिसम्बोज्झङ्गो खो, कस्सप, मया सम्मदक्खातो भावितो बहुलीकतो अभिञ्ञाय सम्बोधाय निब्बानाय संवत्तति…पे॰… उपेक्खासम्बोज्झङ्गो खो, कस्सप, मया सम्मदक्खातो भावितो बहुलीकतो अभिञ्ञाय सम्बोधाय निब्बानाय संवत्तति। इमे खो, कस्सप, सत्त बोज्झङ्गा मया सम्मदक्खाता भाविता बहुलीकता अभिञ्ञाय सम्बोधाय निब्बानाय संवत्तन्ती’’ति। ‘‘तग्घ, भगवा, बोज्झङ्गा; तग्घ, सुगत, बोज्झङ्गा’’ति।
इदमवोच भगवा। अत्तमनो आयस्मा महाकस्सपो भगवतो भासितं अभिनन्दि। वुट्ठहि चायस्मा महाकस्सपो तम्हा आबाधा। तथापहीनो चायस्मतो महाकस्सपस्स सो आबाधो अहोसीति। चतुत्थम्।

५. दुतियगिलानसुत्तम्

१९६. एकं समयं भगवा राजगहे विहरति वेळुवने कलन्दकनिवापे। तेन खो पन समयेन आयस्मा महामोग्गल्लानो गिज्झकूटे पब्बते विहरति आबाधिको दुक्खितो बाळ्हगिलानो। अथ खो भगवा सायन्हसमयं पटिसल्लाना वुट्ठितो येनायस्मा महामोग्गल्लानो तेनुपसङ्कमि; उपसङ्कमित्वा पञ्ञत्ते आसने निसीदि। निसज्ज खो भगवा आयस्मन्तं महामोग्गल्लानं एतदवोच –
‘‘कच्चि ते, मोग्गल्लान, खमनीयं कच्चि यापनीयं? कच्चि दुक्खा वेदना पटिक्कमन्ति, नो अभिक्कमन्ति; पटिक्कमोसानं पञ्ञायति, नो अभिक्कमो’’ति? ‘‘न मे, भन्ते, खमनीयं, न यापनीयम्। बाळ्हा मे दुक्खा वेदना अभिक्कमन्ति, नो पटिक्कमन्ति; अभिक्कमोसानं पञ्ञायति, नो पटिक्कमो’’ति।
‘‘सत्तिमे, मोग्गल्लान, बोज्झङ्गा मया सम्मदक्खाता भाविता बहुलीकता अभिञ्ञाय सम्बोधाय निब्बानाय संवत्तन्ति। कतमे सत्त? सतिसम्बोज्झङ्गो खो, मोग्गल्लान, मया सम्मदक्खातो भावितो बहुलीकतो अभिञ्ञाय सम्बोधाय निब्बानाय संवत्तति…पे॰… उपेक्खासम्बोज्झङ्गो खो, मोग्गल्लान, मया सम्मदक्खातो भावितो बहुलीकतो अभिञ्ञाय सम्बोधाय निब्बानाय संवत्तति। इमे खो, मोग्गल्लान, सत्त बोज्झङ्गा मया सम्मदक्खाता भाविता बहुलीकता अभिञ्ञाय सम्बोधाय निब्बानाय संवत्तन्ती’’ति। ‘‘तग्घ , भगवा, बोज्झङ्गा; तग्घ, सुगत, बोज्झङ्गा’’ति।
इदमवोच भगवा। अत्तमनो आयस्मा महामोग्गल्लानो भगवतो भासितं अभिनन्दि। वुट्ठहि चायस्मा महामोग्गल्लानो तम्हा आबाधा। तथापहीनो चायस्मतो महामोग्गल्लानस्स सो आबाधो अहोसीति। पञ्चमम्।

६. ततियगिलानसुत्तम्

१९७. एकं समयं भगवा राजगहे विहरति वेळुवने कलन्दकनिवापे। तेन खो पन समयेन भगवा आबाधिको होति दुक्खितो बाळ्हगिलानो। अथ खो आयस्मा महाचुन्दो येन भगवा तेनुपसङ्कमि; उपसङ्कमित्वा भगवन्तं अभिवादेत्वा एकमन्तं निसीदि। एकमन्तं निसिन्नं खो आयस्मन्तं महाचुन्दं भगवा एतदवोच – ‘‘पटिभन्तु तं, चुन्द, बोज्झङ्गा’’ति।
‘‘सत्तिमे, भन्ते, बोज्झङ्गा भगवता सम्मदक्खाता भाविता बहुलीकता अभिञ्ञाय सम्बोधाय निब्बानाय संवत्तन्ति। कतमे सत्त? सतिसम्बोज्झङ्गो खो, भन्ते, भगवता सम्मदक्खातो भावितो बहुलीकतो अभिञ्ञाय सम्बोधाय निब्बानाय संवत्तति…पे॰… उपेक्खासम्बोज्झङ्गो खो, भन्ते, भगवता सम्मदक्खातो भावितो बहुलीकतो अभिञ्ञाय सम्बोधाय निब्बानाय संवत्तति। इमे खो, भन्ते, सत्त बोज्झङ्गा भगवता सम्मदक्खाता भाविता बहुलीकता अभिञ्ञाय सम्बोधाय निब्बानाय संवत्तन्ती’’ति। ‘‘तग्घ , चुन्द, बोज्झङ्गा; तग्घ, चुन्द, बोज्झङ्गा’’ति।
इदमवोचायस्मा चुन्दो। समनुञ्ञो सत्था अहोसि। वुट्ठहि च भगवा तम्हा आबाधा। तथापहीनो च भगवतो सो आबाधो अहोसीति। छट्ठम्।

७. पारङ्गमसुत्तम्

१९८. ‘‘सत्तिमे, भिक्खवे, बोज्झङ्गा भाविता बहुलीकता अपारा पारं गमनाय संवत्तन्ति। कतमे सत्त? सतिसम्बोज्झङ्गो…पे॰… उपेक्खासम्बोज्झङ्गो – इमे खो, भिक्खवे, सत्त बोज्झङ्गा भाविता बहुलीकता अपारा पारं गमनाय संवत्तन्ती’’ति।
‘‘अप्पका ते मनुस्सेसु, ये जना पारगामिनो।
अथायं इतरा पजा, तीरमेवानुधावति॥
‘‘ये च खो सम्मदक्खाते, धम्मे धम्मानुवत्तिनो।
ते जना पारमेस्सन्ति, मच्चुधेय्यं सुदुत्तरं॥
‘‘कण्हं धम्मं विप्पहाय, सुक्कं भावेथ पण्डितो।
ओका अनोकमागम्म, विवेके यत्थ दूरमं॥
‘‘तत्राभिरतिमिच्छेय्य , हित्वा कामे अकिञ्चनो।
परियोदपेय्य अत्तानं, चित्तक्लेसेहि पण्डितो॥
‘‘येसं सम्बोधियङ्गेसु, सम्मा चित्तं सुभावितम्।
आदानप्पटिनिस्सग्गे, अनुपादाय ये रता।
खीणासवा जुतिमन्तो, ते लोके परिनिब्बुता’’ति॥ सत्तमम्।

८. विरद्धसुत्तम्

१९९. ‘‘येसं केसञ्चि, भिक्खवे, सत्त बोज्झङ्गा विरद्धा, विरद्धो तेसं अरियो मग्गो सम्मा दुक्खक्खयगामी। येसं केसञ्चि, भिक्खवे, सत्त बोज्झङ्गा आरद्धा, आरद्धो तेसं अरियो मग्गो सम्मा दुक्खक्खयगामी। कतमे सत्त? सतिसम्बोज्झङ्गो…पे॰… उपेक्खासम्बोज्झङ्गो – येसं केसञ्चि, भिक्खवे, इमे सत्त बोज्झङ्गा विरद्धा, विरद्धो तेसं अरियो मग्गो सम्मा दुक्खक्खयगामी। येसं केसञ्चि, भिक्खवे, इमे सत्त बोज्झङ्गा आरद्धा, आरद्धो तेसं अरियो मग्गो सम्मा दुक्खक्खयगामी’’ति। अट्ठमम्।

९. अरियसुत्तम्

२००. ‘‘सत्तिमे, भिक्खवे, बोज्झङ्गा भाविता बहुलीकता अरिया निय्यानिका नीयन्ति तक्करस्स सम्मा दुक्खक्खयाय। कतमे सत्त? सतिसम्बोज्झङ्गो…पे॰… उपेक्खासम्बोज्झङ्गो – इमे खो, भिक्खवे, सत्त बोज्झङ्गा भाविता बहुलीकता अरिया निय्यानिका नीयन्ति तक्करस्स सम्मा दुक्खक्खयाया’’ति। नवमम्।

१०. निब्बिदासुत्तम्

२०१. ‘‘सत्तिमे , भिक्खवे, बोज्झङ्गा भाविता बहुलीकता एकन्तनिब्बिदाय विरागाय निरोधाय उपसमाय अभिञ्ञाय सम्बोधाय निब्बानाय संवत्तन्ति। कतमे सत्त? सतिसम्बोज्झङ्गो…पे॰… उपेक्खासम्बोज्झङ्गो – इमे खो, भिक्खवे, सत्त बोज्झङ्गा भाविता बहुलीकता एकन्तनिब्बिदाय विरागाय निरोधाय उपसमाय अभिञ्ञाय सम्बोधाय निब्बानाय संवत्तन्ती’’ति। दसमम्।
गिलानवग्गो दुतियो।
तस्सुद्दानं –
पाणा सूरियूपमा द्वे, गिलाना अपरे तयो।
पारङ्गामी विरद्धो च, अरियो निब्बिदाय चाति॥