०८ १६-२० रूपअननुबोधादिसुत्तपञ्चकम्

६२२-६२६. सावत्थिनिदानम्। एकमन्तं निसिन्नो खो वच्छगोत्तो परिब्बाजको भगवन्तं एतदवोच – को नु खो, भो गोतम, हेतु, को पच्चयो…पे॰… रूपे खो, वच्छ, अननुबोधा…पे॰… रूपनिरोधगामिनिया पटिपदाय अननुबोधा…पे॰…।
सावत्थिनिदानम्। वेदनाय खो, वच्छ…पे॰…।
सावत्थिनिदानम्। सञ्ञाय खो, वच्छ…पे॰…।
सावत्थिनिदानम्। सङ्खारेसु खो, वच्छ…पे॰…।
सावत्थिनिदानम्। विञ्ञाणे खो, वच्छ अननुबोधा…पे॰… विञ्ञाणनिरोधगामिनिया पटिपदाय अननुबोधा। वीसतिमम्।