०७ ११-१५ रूपअनभिसमयादिसुत्तपञ्चकम्

६१७-६२१. सावत्थिनिदानम्। रूपे खो, वच्छ, अनभिसमया…पे॰… रूपनिरोधगामिनिया पटिपदाय अनभिसमया…पे॰…।
सावत्थिनिदानम्। वेदनाय खो, वच्छ, अनभिसमया…पे॰…।
सावत्थिनिदानम्। सञ्ञाय खो, वच्छ, अनभिसमया…पे॰…।
सावत्थिनिदानम्। सङ्खारेसु खो, वच्छ, अनभिसमया…पे॰…।
सावत्थिनिदानम्। विञ्ञाणे खो, वच्छ, अनभिसमया…पे॰…। पन्नरसमम्।