१. कुक्कुळसुत्तम्
१३६. सावत्थिनिदानम्। ‘‘रूपं, भिक्खवे, कुक्कुळं, वेदना कुक्कुळा, सञ्ञा कुक्कुळा, सङ्खारा कुक्कुळा, विञ्ञाणं कुक्कुळम्। एवं पस्सं, भिक्खवे, सुतवा अरियसावको रूपस्मिम्पि निब्बिन्दति, वेदनायपि निब्बिन्दति, सञ्ञायपि निब्बिन्दति, सङ्खारेसुपि निब्बिन्दति, विञ्ञाणस्मिम्पि निब्बिन्दति। निब्बिन्दं विरज्जति; विरागा विमुच्चति। विमुत्तस्मिं विमुत्तमिति ञाणं होति। ‘खीणा जाति, वुसितं ब्रह्मचरियं, कतं करणीयं, नापरं इत्थत्ताया’ति पजानाती’’ति। पठमम्।
२. अनिच्चसुत्तम्
१३७. सावत्थिनिदानम्। ‘‘यं, भिक्खवे, अनिच्चं; तत्र वो छन्दो पहातब्बो। किञ्च, भिक्खवे, अनिच्चं? रूपं , भिक्खवे, अनिच्चं; तत्र वो छन्दो पहातब्बो। वेदना अनिच्चा…पे॰… सञ्ञा… सङ्खारा… विञ्ञाणं अनिच्चं; तत्र वो छन्दो पहातब्बो। यं, भिक्खवे, अनिच्चं; तत्र वो छन्दो पहातब्बो’’ति। दुतियम्।
३. दुतियअनिच्चसुत्तम्
१३८. सावत्थिनिदानम्। ‘‘यं, भिक्खवे, अनिच्चं; तत्र वो रागो पहातब्बो। किञ्च, भिक्खवे, अनिच्चं? रूपं, भिक्खवे, अनिच्चं; तत्र वो रागो पहातब्बो। वेदना अनिच्चा… सञ्ञा… सङ्खारा… विञ्ञाणं अनिच्चं; तत्र वो रागो पहातब्बो। यं, भिक्खवे, अनिच्चं; तत्र वो रागो पहातब्बो’’ति। ततियम्।
४. ततियअनिच्चसुत्तम्
१३९. सावत्थिनिदानम्। ‘‘यं, भिक्खवे, अनिच्चं; तत्र वो छन्दरागो पहातब्बो । किञ्च, भिक्खवे, अनिच्चं? रूपं, भिक्खवे, अनिच्चं, तत्र वो छन्दरागो पहातब्बो। वेदना अनिच्चा… सञ्ञा… सङ्खारा… विञ्ञाणं अनिच्चं; तत्र वो छन्दरागो पहातब्बो। यं, भिक्खवे, अनिच्चं; तत्र वो छन्दरागो पहातब्बो’’ति। चतुत्थम्।
५. दुक्खसुत्तम्
१४०. सावत्थिनिदानम्। ‘‘यं, भिक्खवे, दुक्खं; तत्र वो छन्दो पहातब्बो…पे॰… यं, भिक्खवे, दुक्खं; तत्र वो छन्दो पहातब्बो’’ति। पञ्चमम्।
६. दुतियदुक्खसुत्तम्
१४१. सावत्थिनिदानम्। ‘‘यं, भिक्खवे, दुक्खं; तत्र वो रागो पहातब्बो…पे॰… यं, भिक्खवे, दुक्खं; तत्र वो रागो पहातब्बो’’ति। छट्ठम्।
७. ततियदुक्खसुत्तम्
१४२. सावत्थिनिदानम्। ‘‘यं, भिक्खवे, दुक्खं; तत्र वो छन्दरागो पहातब्बो…पे॰… यं, भिक्खवे, दुक्खं; तत्र वो छन्दरागो पहातब्बो’’ति। सत्तमम्।
८. अनत्तसुत्तम्
१४३. सावत्थिनिदानम्। ‘‘यो, भिक्खवे, अनत्ता; तत्र वो छन्दो पहातब्बो। को च, भिक्खवे, अनत्ता? रूपं, भिक्खवे, अनत्ता; तत्र वो छन्दो पहातब्बो। वेदना अनत्ता… सञ्ञा… सङ्खारा… विञ्ञाणं अनत्ता; तत्र वो छन्दो पहातब्बो। यो, भिक्खवे, अनत्ता; तत्र वो छन्दो पहातब्बो’’ति। अट्ठमम्।
९. दुतियअनत्तसुत्तम्
१४४. सावत्थिनिदानम्। ‘‘यो, भिक्खवे, अनत्ता; तत्र वो रागो पहातब्बो । को च, भिक्खवे, अनत्ता? रूपं, भिक्खवे, अनत्ता; तत्र वो रागो पहातब्बो। वेदना अनत्ता… सञ्ञा… सङ्खारा… विञ्ञाणं अनत्ता; तत्र वो रागो पहातब्बो। यो, भिक्खवे, अनत्ता; तत्र वो रागो पहातब्बो’’ति। नवमम्।
१०. ततियअनत्तसुत्तम्
१४५. सावत्थिनिदानम्। ‘‘यो, भिक्खवे, अनत्ता; तत्र वो छन्दरागो पहातब्बो। को च, भिक्खवे, अनत्ता? रूपं, भिक्खवे, अनत्ता; तत्र वो छन्दरागो पहातब्बो। वेदना अनत्ता… सञ्ञा… सङ्खारा… विञ्ञाणं अनत्ता; तत्र वो छन्दरागो पहातब्बो। यो , भिक्खवे, अनत्ता; तत्र वो छन्दरागो पहातब्बो’’ति। दसमम्।
११. निब्बिदाबहुलसुत्तम्
१४६. सावत्थिनिदानम्। ‘‘सद्धापब्बजितस्स, भिक्खवे, कुलपुत्तस्स अयमनुधम्मो होति – यं रूपे निब्बिदाबहुलो [निब्बिदाबहुलं (स्या॰ कं॰ पी॰ क॰)] विहरेय्य। वेदनाय…पे॰… सञ्ञाय… सङ्खारेसु… विञ्ञाणे निब्बिदाबहुलो विहरेय्य। यो रूपे निब्बिदाबहुलो विहरन्तो, वेदनाय… सञ्ञाय… सङ्खारेसु… विञ्ञाणे निब्बिदाबहुलो विहरन्तो रूपं परिजानाति, वेदनं… सञ्ञं… सङ्खारे… विञ्ञाणं परिजानाति; सो रूपं परिजानं वेदनं परिजानं सञ्ञं परिजानं सङ्खारे परिजानं विञ्ञाणं परिजानं परिमुच्चति रूपम्हा, परिमुच्चति वेदनाय, परिमुच्चति सञ्ञाय, परिमुच्चति सङ्खारेहि, परिमुच्चति विञ्ञाणम्हा, परिमुच्चति जातिया जराय मरणेन सोकेहि परिदेवेहि दुक्खेहि दोमनस्सेहि उपायासेहि; ‘परिमुच्चति दुक्खस्मा’ति वदामी’’ति। एकादसमम्।
१२. अनिच्चानुपस्सीसुत्तम्
१४७. सावत्थिनिदानम्। ‘‘सद्धापब्बजितस्स, भिक्खवे, कुलपुत्तस्स अयमनुधम्मो होति – यं रूपे अनिच्चानुपस्सी विहरेय्य। वेदनाय… सञ्ञाय… सङ्खारेसु… विञ्ञाणे अनिच्चानुपस्सी विहरेय्य…पे॰… ‘परिमुच्चति दुक्खस्मा’ति वदामी’’ति। द्वादसमम्।
१३. दुक्खानुपस्सीसुत्तम्
१४८. सावत्थिनिदानम्। ‘‘सद्धापब्बजितस्स, भिक्खवे, कुलपुत्तस्स अयमनुधम्मो होति – यं रूपे दुक्खानुपस्सी विहरेय्य। वेदनाय… सञ्ञाय… सङ्खारेसु… विञ्ञाणे दुक्खानुपस्सी विहरेय्य…पे॰… ‘परिमुच्चति दुक्खस्मा’ति वदामी’’ति। तेरसमम्।
१४. अनत्तानुपस्सीसुत्तम्
१४९. सावत्थिनिदानम्। ‘‘सद्धापब्बजितस्स, भिक्खवे, कुलपुत्तस्स अयमनुधम्मो होति – यं रूपे अनत्तानुपस्सी विहरेय्य। वेदनाय… सञ्ञाय… सङ्खारेसु… विञ्ञाणे अनत्तानुपस्सी विहरेय्य। (सो रूपे) अनत्तानुपस्सी विहरन्तो, वेदनाय… सञ्ञाय… सङ्खारेसु… विञ्ञाणे अनत्तानुपस्सी विहरन्तो रूपं परिजानाति, वेदनं…पे॰… सञ्ञं… सङ्खारे… विञ्ञाणं परिजानाति। सो रूपं परिजानं वेदनं परिजानं सञ्ञं परिजानं सङ्खारे परिजानं विञ्ञाणं परिजानं परिमुच्चति रूपम्हा, परिमुच्चति वेदनाय, परिमुच्चति सञ्ञाय, परिमुच्चति सङ्खारेहि, परिमुच्चति विञ्ञाणम्हा , परिमुच्चति जातिया जराय मरणेन सोकेहि परिदेवेहि दुक्खेहि दोमनस्सेहि उपायासेहि; ‘परिमुच्चति दुक्खस्मा’ति वदामी’’ति। चुद्दसमम्।
कुक्कुळवग्गो चुद्दसमो।
तस्सुद्दानं –
कुक्कुळा तयो अनिच्चेन, दुक्खेन अपरे तयो।
अनत्तेन तयो वुत्ता, कुलपुत्तेन द्वे दुकाति॥