गोरक्षा

गाय से विशेष पैसा नहीं कमाया जा सकता
वर्त्तमान जो दूध घी का पैसा मिलता है उससे।
उसमें भी जब सामने भैंस का विकल्प है जो कि दूध देना बन्द करने पर भी पैसा देकर जाती है, कटने के लिये बिकती है, उसके बच्चे भी कटने के लिये बिकते हैं। ग्रामीण लोग न तो पैसे से न दयाभाव न कार्यकुशलता से इतने धनी हैं कि आर्थिक हानि सहते हुये भी गाय रखें। कोई कोई लाखों में एक मिल जाता है। इस समस्या का समाधान एक तो दूध का मूल्य बढाना, अच्छे डाॅक्टरों की व्यवस्था करना तथा सबसे महत्त्वपूर्ण, गोचर भूमि से अतिक्रमण हटाना, यही है।

स्वस्थ व पूरा जीवन जीने वाली एक गाय औसतन २० वर्ष जीते हुये १२-१३ वर्ष ही दूध देती है। प्रायः ७-८ वर्ष बिना कमाते हुये उसे खिलाना, उसके सन्तति को खिलाना, अत्यन्त कठिन है। न तो डाॅक्टरों की व्यवस्था होगी, न भूमि मुक्त होगी, दोनों सरकारी काम हैं, हमारे जैसे लोग बीज बचाये रखने का यत्न करते रहेंगे। कभी अच्छा समय आया अथ वा राजनेताओं को गूदाप्राप्ति हुयी तो शायद बीज से महारण्य सिद्ध होगा।

यही स्थिति वेद की है।