RAghavAchAryaH

  1. 8 सितम्बर 1952 को उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिलान्तर्गत विरखेड़ा ग्राम में जन्म ।
  2. श्रीराम संस्कृत महाविद्यालय जानकीकुण्ड, चित्रकूट (उ.प्र.) में संस्कृत व्याकरण का प्रारम्भिक अध्ययन।
  3. 1970 से 1981 तक वाराणसी में वेदान्त विषय का अध्ययन, भारत के मूर्धन्य विद्वान श्रद्धेय श्री श्रीराम पाण्डेय एवं श्री पारसनाथ द्विवेदी जी के चरणों में बैठकर किया।
  4. सन् 1981 में वेदान्त विभाग में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर सम्पूर्णानंद विश्वविद्यालय, वाराणसी से स्वर्ण पदक त्रय प्राप्त किये।
  5. सन् 1981 में अखिल भारतीय संस्कृत वाक्पटुता प्रतियोगिता में वेदान्त विषय में अखिल भारतीय स्वर्ण पदक प्राप्त किया।
  6. सन् 1983 में जगद्‌गुरू श्री शालिग्रामाचार्य जी महाराज ‘अग्रपीठाधीश रैवासाधाम से विरक्त दीक्षा ग्रहण की ।
  7. आपने 25 फरवरी 1984 को रैवासापीठ के पीठाधिपति के पद को सुशोभित किया।
  8. देश में लुप्त होती वेदाध्ययन की परम्परा को पुनर्जीवित करने के लिए आपने रैवासापीठ में वेद विद्यालय एवं संस्कृत विद्यालय की स्थापना की ।
  9. विशाल गौशाला की स्थापना कर पंचगव्य उत्पादों के माध्यम से गोवंश को स्वावलम्बी बनाने का श्रेष्ठ प्रयास निरन्तर कर रहे है।
  10. धर्म जागरण के कार्यक्रमों में अखिल भारतीय स्तर पर प्रवास कर सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार कर रहे है।
  11. विश्वहिन्दु परिषद् में केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल सदस्य एवं विश्व हिन्दु परिषद् में रामजन्म भूमि उच्चाधिकार समिति सदस्य के दायित्व का निर्वहन।
  12. पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में राजस्थान संस्कृत अकादमी के अध्यक्ष पद के दायित्व का निर्वहन करते हुये पूरे प्रदेश में वेदाश्रमों की स्थापना की। आज राजस्थान प्रदेश में 1000 से अधिक विप्र बटुक अध्ययनरत है ।
  13. रैवासा वेद विद्यालय के 2 दर्जन से अधिक विद्यार्थी भारतीय सेना में धर्मगुरू (RT JCO) के पद पर अपनी सेवाएँ दे रहे है तथा भारत के विभिन्न महानगरों में वैदिक कर्मकाण्ड के माध्यम से भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म का सम्पोषण कर रहे है। निःशुल्क नेत्र शिविरों के आयोजनों का संचालन आपके द्वारा होता रहा है।
  14. आप के सहयोग से रैवासा पीठ के भक्तों द्वारा प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय का निर्माण करवा कर राजस्थान सरकार को सुपुर्द किया। राज सहयोग एवं श्रीजानकीनाथ बड़ा मंदिर ट्रस्ट के सहयोग से रैवासा ग्रामवासियों के लिए पीने के पानी की एक लाख ली. क्षमता वाली टंकी का निर्माण करवा कर ग्राम पंचायत रैवासा को सुपुर्द किया।