- १- धर्मात्मा शुक और इन्द्रकी बातचीत
- २- महर्षि वसिष्ठका ब्रह्माजीके साथ प्रश्नोत्तर
- ३- भगवान् श्रीकृष्ण एवं विभिन्न महर्षियोंका युधिष्ठिरको उपदेश
- ४- भयभीत कबूतर महाराज शिबिकी गोदमें
- ५- पृथ्वी और श्रीकृष्णका संवाद
- ६- जालके साथ नदीमेंसे निकाले गये महर्षि च्यवन
- ७- महर्षि च्यवनका मूल्यांकन
- ८- इन्द्रका ब्रह्माजीके साथ गौओंके सम्बन्धमें प्रश्नोत्तर
- ९- महर्षि वसिष्ठका राजा सौदाससे गौओंका माहात्म्य-कथन
- १०- भगवती लक्ष्मीकी गौओंसे आश्रयके लिये प्रार्थना
- ११- गृहस्थ-धर्मके सम्बन्धमें श्रीकृष्णका पृथ्वीके साथ संवाद
- १२- बृहस्पतिजीका युधिष्ठिरको उपदेश
- १३- देवलोकमें पतिव्रता शाण्डिली और सुमनाकी बातचीत
- १४- सामनीतिकी विजय
- १५- इन्द्रका भगवान् विष्णुके साथ प्रश्नोतर
- १६- भगवान् श्रीकृष्णकी तपस्या
- १७- भगवान् शंकर श्रीकृष्णका माहात्म्य कह रहे हैं
- १८- भगवान् दत्तात्रेयकी कार्तवीर्यपर कृपा
- १९- शर-शय्यापर पड़े भीष्मकी युधिष्ठिरसे बातचीत
- २०- श्रीकृष्ण और व्यासजीके द्वारा पुत्र-शोकाकुला गंगाजीको सान्त्वना
- २१- महाराज मरुत्तकी देवर्षिसे भेंट
- २२- महाराज मरुत्तका संवर्त मुनिसे संवाद
- २३- ब्रह्माजीका ऋषियोंको उपदेश
- २४- उत्तंक मुनिकी श्रीकृष्णसे विश्वरूप दिखानेके लिये प्रार्थना
- २५- महारानी मदयन्तीका उत्तंकको कुण्डल-दान
- २६- उत्तंकका गुरुपत्नीको कुण्डल अर्पण करना
- २७- भगवान् श्रीकृष्ण अपने माता-पिता आदिको महाभारतका वृत्तान्त सुना रहे हैं
- २८- अश्वमेधयज्ञके लिये छोड़े हुए घोड़ेका अर्जुनके द्वारा अनुगमन
- २९- अर्जुन अपने पुत्र बभ्रुवाहनको छातीसे लगा रहे हैं
- ३०- महाराज युधिष्ठिरके अश्वमेधयज्ञमें एक नेवलेका आगमन
- ३१- महर्षि अगस्त्यकी यज्ञके समय प्रतिज्ञा
- ३२- विदुरका सूक्ष्मशरीरसे युधिष्ठिरमें प्रवेश
- ३३- व्यासजीके द्वारा कौरव-पाण्डवपक्षके मरे हुए सम्बन्धियोंका सेनासहित परलोकसे आवाहन
- ३४- साम्बके पेटसे यदुवंश-विनाशके लिये मूसल पैदा होनेका ऋषियोंद्वारा शाप
- ३५- वसुदेवजी अर्जुनको यादव-विनाशका वृत्तान्त और श्रीकृष्णका संदेश सुना रहे हैं
- ३६- अग्निकी प्रेरणासे अर्जुन अपने गाण्डीव धनुष और अक्षय तरकसको जलमें डाल रहे हैं
- ३७- देवदूतका युधिष्ठिरको मायामय नरकका दर्शन कराना