०४ चित्र-सूची

  • १- सुवर्णमय पक्षीके रूपमें देवराज इन्द्रका संन्यासी बने हुए ब्राह्मण-बालकोंको उपदेश
  • २- स्वयं श्रीकृष्ण शोकमग्न युधिष्ठिरको समझा रहे हैं
  • ३- ध्यानमग्न श्रीकृष्णसे युधिष्ठिर प्रश्न कर रहे हैं
  • ४- भगवान् श्रीकृष्णका देवर्षि नारद एवं पाण्डवोंको लेकर शरशय्यास्थित भीष्मके निकट गमन
  • ५- राजासे हीन प्रजाकी ब्रह्माजीसे राजाके लिये प्रार्थना
  • ६- राजा वेनके बाहु-मन्थनसे महाराज पृथुका प्राकट्य
  • ७- राजा क्षेमदर्शी और कालकवृक्षीय मुनि
  • ८- राजर्षि जनक अपने सैनिकोंको स्वर्ग और नरककी बात कह रहे हैं
  • ९- कालकवृक्षीय मुनि राजा जनकका राजकुमार क्षेमदर्शीके साथ मेल करा रहे हैं
  • १०- समुद्र देवताका मूर्तिमती नदियोंके साथ संवाद
  • ११- चूहेकी सहायताके फलस्वरूप चाण्डालके जालसे बिलावकी मुक्ति
  • १२- मरे हुए ब्राह्मण-बालकपर तथा गीध एवं गीदड़पर शंकरजीकी कृपा
  • १३- काश्यप ब्राह्मणके प्रति गीदड़के रूपमें इन्द्रका उपदेश
  • १४- इन्द्रको पहचाननेपर काश्यपद्वारा उनकी पूजा
  • १५- महर्षि भृगुके साथ भरद्वाज मुनिका प्रश्नोत्तर
  • १६- जापक ब्राह्मण एवं महाराज इक्ष्वाकुकी ऊर्ध्वगति
  • १७- प्रजापति मनु एवं महर्षि बृहस्पतिका संवाद
  • १८- भगवान् वराहकी ऋषियोंद्वारा स्तुति
  • १९- महर्षि पञ्चशिखका महाराज जनकको उपदेश
  • २०- देवर्षि एवं देवराजको भगवती लक्ष्मीका दर्शन
  • २१- मुनि जाजलिकी तपस्या
  • २२- चिरकारी शस्त्र त्यागकर अपने पिताको प्रणाम कर रहे हैं
  • २३- सनकादि महर्षियोंकी शुक्राचार्य एवं वृत्रासुरसे भेंट
  • २४- दक्षके यज्ञमें शिवजीका प्राकट्य
  • २५- साध्यगणोंको हंसरूपमें ब्रह्माजीका उपदेश
  • २६- महर्षि वसिष्ठका राजा कराल जनकको उपदेश
  • २७- महर्षि याज्ञवल्क्यके स्मरणसे देवी सरस्वतीका प्राकट्य
  • २८- राजा जनकके द्वार शुकदेवजीका पूजन
  • २९- शुकदेवजीको नारदजीका उपदेश
  • ३०- नर-नारायणका नारदजीके साथ संवाद
  • ३१-(१६ लाइन चित्र फरमोंमें)