- १- दुर्योधन और अर्जुनका श्रीकृष्णसे युद्धके लिये सहायता माँगना
- २- नहुषका स्वर्गसे पतन
- ३- आकाशचारी भगवान् सूर्यदेव
- ४- विदुर और धृतराष्ट्र
- ५- प्रह्लादजीका न्याय
- ६- आत्रेय मुनि और साध्यगण
- ७- श्रीसनत्सुजात और महाराज धृतराष्ट्र
- ८- धृतराष्ट्रकी सभामें संजय पाण्डवोंका संदेश सुना रहे हैं
- ९- भीमसेनका बल बखानते हुए धृतराष्ट्रका विलाप
- १०- धृतराष्ट्रके द्वारा श्रीकृष्णका स्वागत
- ११- श्रीकृष्णका कौरव-सभामें प्रवेश
- १४- ययातिका स्वर्गारोहण
- १५- दुर्योधनको गान्धारीकी फटकार
- १६- भगवान् श्रीकृष्ण कर्णको समझा रहे हैं
- १७- पाण्डवोंके डेरेमें बलरामजी
- १८- पाण्डवोंकी विशाल सेना
- १९- भीष्म-दुर्योधन-संवाद
- २०- पाण्डव-सेनापति धृष्टद्युम्न
- २१- भीष्म और परशुरामके युद्धमें नारदजीद्वारा बीच-बचाव
- २२- शरणागत अर्जुन
- २३- पंचमहायज्ञ
- २४- अर्जुनके प्रति भगवान्का विराट्रूप-प्रदर्शन
- २५- भगवान्के द्वारा भक्तका संसारसागरसे उद्धार
- २६- चार अवस्था
- २७- संसार-वृक्ष
- २८- मोह-नाश
- २९- श्रीकृष्ण एवं भाइयोंसहित युधिष्ठिरका भीष्मको प्रणाम करके उनसे युद्धके लिये आज्ञा माँगना
- ३०- भीमसेन और भीष्मका युद्ध
- ३१- अभिमन्युका युद्ध-कौशल
- ३२- भीमसेनके बाणसे मूर्च्छित दुर्योधन
- ३३- अर्जुनका व्यूहबद्ध कौरव-सेनाकी ओर श्रीकृष्णका ध्यान आकृष्ट करना
- ३४- आकाशमें स्थित हुए घटोत्कचकी गर्जना और दुर्योधनके साथ उसका युद्ध
- ३५- भीष्मजीका शिखण्डीसे युद्ध न करनेकी इच्छा प्रकट करना
- ३६- अर्जुनका बाणद्वारा पृथ्वीसे जल प्रकट करके भीष्मजीको पिलाना