सुब्रायः

ॐ अथ श्रीमध्यामृत-महार्णवः॥

मूलम् : श्रीमत्कविकुलतिलक-त्रिविक्रमपण्डिताचार्यरवर सुपुत्रराद श्रीनारायणपण्डिताचार्यरु

अनुवाद : पण्डित विद्वद्यषण अलॆवूरु सुब्रायाचार्यरु,
दैतवेदान्त शिरोमणि,
उडुपि श्रीकृष्ण मन्दिर, मैसूरु.
प्रकाशन सेवा-
कॆ. ऎस्, अच्युत बल्लाळ, मैसूरु
पुस्तक बिडुगडॆ : दुन्दुभिनाम संवत्सरद मकर मासद ऒम्भत्तने दिन श्री मध्वनवमि पुण्यदिन
23-1-1983

अनुवादकर मातु

जगत्तिनल्लि ऎल्लरू अनिष्ट निवृत्तियागबेकॆन्दू इष्ट प्राप्तियाग बेकॆन्दू बयसुत्तारॆ. अदर साधनगळन्नु मात्र अरितिल्ल त्रैलोक्या चार्यराद आनन्दतीर्थर शास्त्राभ्यास माडि अदरल्लिद्दन्तॆ प्रवर्तिसु वुदरिन्दले नम्म नम्म मनोरथ सिद्धियागुत्तदॆ अदन्नु तिळियदॆ कष्ट पडुत्तारॆ. श्रीमदानन्दतीर्थरॆम्ब हॆसरिन अर्थवन्नु तिळिदु कॊण्डरॆ ऎल्ला सिद्धवागुत्तदॆ मोक्षानन्दवन्नुण्टुमाडुव शास्त्रवन्नु बरॆदु उपकार माडिदवरॆन्दर्थ.
नम्म इष्टसिद्धियागबेकादरॆ आचार्यर शास्त्रवन्नोदबेकु.

आचार्यर शास्त्रक्कू ऊर्ध्वपुण्ड्र धारण, तप्त मुद्राधारण, इवे मॊदलादवुगळिगॆ विशेष प्राशस्त्यवन्नु वन्नु कॊडतक्क
कविकुलतिलक श्री त्रिविक्रमपण्डिताचार्यर सुपुत्र श्री नारायणपण्डिताचार्यरु बरॆद
श्री मध्वामृत महार्णववॆम्ब अपूर्ववाद ग्रन्थवॊन्दिदॆ.
अदन्नु नोडिदरॆ ऎन्तह नास्तिकरिगू आस्तिक बुद्धियू, श्री मध्वमतदल्लि आसक्तियू उण्टागुवुदु.

इदन्नु नम्म सन्मित्रराद हागू श्रीमदाचारर सिद्धान्तदल्लि अत्यन्त आसक्ति इरुव श्री कॆ. ऎस्. अच्युत बल्लाळ महाशयरु कन्नड अर्थसहितवागि मुद्रिसबेकॆन्दु ऒत्ताय माडिद्दरिन्द नन्न अल्प बुद्धिगॆ तोरिदष्टु अर्थवन्नु प्रकाशपडिसिद्देनॆ. पण्डितरु क्षीरनीर न्यायदन्तॆ दोषवन्नु बिट्टु, गुणवन्नु स्वीकरिसि नन्नन्नु कृतार्थनन्नागिसबेकागि प्रार्थिसुत्तेनॆ. श्री बल्लाळरिगॆ आयुरारोग्यगळन्नू, ज्ञान, भक्ति, वैराग्यगळन्नू कॊट्टु उडुपि श्रीकृष्णनु रक्षिसलि ऎन्दु प्रार्थिसि ई ऎरडु मातन्नु उपास्य मूर्तिगॆ समर्पिसुत्तेनॆ. शान्तिः शान्तिः शान्तिः

श्री ऎ. सुब्रायाचार्य, दैतवेदान्त शिरोमणि, मैसूरु

अरिकॆ

विष्णोः सर्वोत्तमत्वं च सर्वदा प्रतिपादय

ऎन्दु घण्टा घोषवागि जगत्तिगॆ सारिद,
श्री जगद्गुरुगळाद मध्वाचार्यरल्लि
भक्ति मत्तु अवर सिद्धान्तगळ मेलॆ निष्ठॆयिन्द प्रतिपादितवागि उळ्ळ त्रिविक्रम पण्डिताचार्यर सुपुत्रराद नारायणपण्डिताचार्यरिन्द विरचितवाद
ई मध्वामृत महार्णव ऎम्ब किरुग्रन्थवन्नु कन्नडदल्लि मुद्रिस बेकॆन्दु श्री हरिवायुगुरुगळ प्रेरणॆयागि
आ प्रकार अदन्नु कन्नडदल्लि श्री अनुवादिसिकॊडुवन्तॆ
मैसूरु श्री कृष्ण मन्दिरद प्रधान अर्चकराद
अलॆवूरु सुब्रायाचार्यरल्लि केळिकॊण्डाग
अवरु सन्तोषदिन्द नन मेलॆ अभिमानविट्टु बरॆदु कॊट्टिद्दारॆ.

हागॆये श्री श्री फलिमारु भण्डारकेरि उभय मठाधीशराद श्री १०८ श्री विद्यामान्य तीर्थरु नन्न मेलॆ अनुग्रहदिन्द कृपॆ इट्टु मुन्नुडियन्नु बरॆदुकॊट्टिद्दक्कागि स्वामिगळ चरणारविन्दगळल्लि अनन्त कोटि प्रणामगळु. हागॆये कन्नडदल्लि अनुवादिसिकॊट्ट अलॆवूरु सुब्रायाचार रिगू हृत्तूर्वक प्रणामगळु. अन्तॆयॆ ई पुस्तकवन्नु मुद्रिसलु प्रत्यक्ष हागू परोक्षवागि सर्व विधदल्लू सहकरिसिद नन्न सहोदर कॆ. ऎस्. रामकृष्ण बल्लाळ मत्तु भावनवराद बि. अर्. सत्यमूर्ति, (पालुदाररु, होटॆल् श्री राघवेन्द्र प्रसन्नः, मैसूरु) इवरिब्ब रिगू सर्व श्रेयस्सन्नू श्रीहरिवायुगुरुसार्वभौमरल्लि प्रार्थिसु तेनॆ. हागू ई पुस्तकवन्नु अन्दवागि मुद्रिसिकॊट्ट सुधा प्रिण्टर्स्न मालिकराद ऎं. रामराव्‌ रवरिगू नन्न कृतज्ञतॆय अभिनन्दनॆगळु.

कॊनॆयदागि वाचकरल्लि ऒन्दु प्रश्नॆ बरबहुदु, एनॆन्दरॆ मुद्रि सलु ऎष्टॆष्टो ग्रन्थगळिद्दरू अवन्नॆल्ला बिट्टु, ई सण्ण ग्रन्थवन्नु मुद्रि सलु कारणवेनु ? ऎम्बुदक्कॆ नन्न उत्तर. अध्यात्म जगत्तिनल्लि सूर्य रॆन्दरॆ श्रीमन्मध्वाचार्यरु, इतर मताचार्यरु सामान्य बॆळकिनन्तॆ.

श्रीमदाचार्यरु इल्लदिद्दरॆ श्री हरिसर्वोत्तमत्वज्ञानवे जगत्तिगॆ इल्लवागुत्तित्तु. इन्तह श्रीमदाचारर बग्गॆ कॆलवर अभिप्रा कूड हीगिदॆ, हिन्दिन धर्मगुरुगळु ऎल्ला नॆल हदमाडिट्टिद्दरु, अदर मेलॆ ‘बित्तनॆ माडिद हागॆ श्रीमदाचार्यरु माडिदरु. हिन्दिन धर्मगुरुगळवरॆल्ला इरदिद्दल्लि श्रीमदाचार्यरु एनु माडुत्तिद्दरु ऎन्दु. इदक्कॆ नन्न उत्तरवेनॆन्दरॆ, हिरण्यकशिपु, रावण, कंस, दुर्योधनादिगळु जगत्तिगॆ बन्दुदरिन्द श्री महाविष्णुवु अवतार माडबेकायितष्टॆ ! हागॆये बौद्धादिगळिन्द हिडिदु श्रीमदाचार्यर वरॆगिन ऎल्ला मतधर्मगळ गुरुगळॆल्ला माडिद्द श्री महाविष्णुतत्वद मेलिन अपचारगळन्नु तॊडॆदुहाकलु श्रीमन्मध्वाचार्यर अवतार वायितु. श्रीमदाचार्यरल्लि अपार भक्ति, अवर सिद्धान्तदल्लि दृढवाद निष्ठॆ, इवुगळिन्दागि रचितवाद ई मुध्यामृत महार्णव ननगॆ अष्टॊन्दु हिडिसितु. अदन्नु कन्नडदल्लि मुद्रिसि सज्ज नतॆय मुन्दिडलु श्रीहरिगुरुगळ प्रेरणॆयायितु. ई पुस्तकद उपयोगवु सज्जन समुदायक्कॆ आदरॆ नन्न श्रम सार्थक.
ई पुस्तकवु मध्वेश कृष्णनिगॆ अर्पितवागलि .

आचार्याः श्रीमदाचार्याः
सन्तु मे जन्म जन्मनि ।

इति सज्जन सेवक, कॆ. ऎस्. अच्युत बल्लाळ मैसूरु माघ शुद्ध नवमि, भानुवार 23-1-1983