५० कालकूटम्

नन्वाश्र1यस्थितिरियं तव कालकूट केनोत्तरोत्तरविशिष्ट2पदो3पदिष्टा।
प्रागर्णवस्य 4हृदये 5वृषलक्ष्मणोऽथ कण्ठेऽधुना वससि वाचि पुनः खलानाम्॥ 79 ॥


  1. आश्रयो निवासस्तत्र स्थितिः. ↩︎

  2. उत्कृष्टम्. ↩︎

  3. स्थानम्. ↩︎

  4. अभ्यन्तरे. ↩︎

  5. सदाशिवस्य. ↩︎