प्रकीर्णम्

अभिलषित-फल-विसर-वितरण-
मुदित-हरि-हर-सकल-सुर-गण-। भुजग-नर-मुनि-विविध-निगदित- स्तुति-विनुत-पद-जल-ज-मधु-रस-॥१

निरत-मधु-कर-दुरित-वश-गत- शरण-विरहित-करुण-रस-युत-। निज-तनय-वरम् अव निखिल-भव- जननि रिपु-दल-जयिनि जय जय॥२