Text with Short Commentary in Sanskrit कथामुखम् I- मित्रभेदे Page 1 [प्रस्तावनाकथा] वर्धमानवृत्तान्तः
- कीलोत्पाटिवानरकथा
- शृगालदुन्दुभिकथा 3. दन्तिलगोरम्भकथा 4. देवशर्मपरिव्राजककथा 5. कौलिकरथकारकथा 6. वायसदम्पतीकथा 3 7 18 22 29 37 43
- बककुलीरककथा
- भासुरकाख्यसिंहकथा 44 46
- मन्दविसर्पिणीनामयूकाकथा
- चण्डरवनामशृगालकथा 53 55
- मदोत्कटसिंहकथा
- टिट्टिभदम्पतीकथा 59 65
- कम्बुग्रीवाख्यकूमंकथा
- कुञ्जरचटकदम्पतीकथा 66
- अनागतविधातादिमत्स्यत्त्रयकथा 67 69
- वज्रदंष्ट्रनामसिंहकथा 76
- वानरयूथकथा
- शमीवृक्षस्थचटकदम्पतीकथा
- धर्मबुद्धिपापबुद्धिकथा
- कृष्णसर्पकथा
- जीर्णधननामवणिक्पुत्रकथा 82 83 84 8888 87 viii II मित्रसंप्राप्तौ [प्रस्तावनाकथा] लघुपतनकचित्रग्रीववृत्तान्तः 97
- हिरण्यकताम्रचूडकथा 108 2 तिलचूर्णविक्रयकथा
- शबरशूकरकथा 110 111
- सागर दत्तकथा 116
- सोमिलककथा 121
- तीक्ष्णविषाणाख्यवृषभकथा 123 III काकोलूकीये [प्रस्तावनाकथा] मेघवर्णारिमर्दनवृत्तान्तः 134
- चतुर्दन्तनाममहागजकथा 145
- शशकपिञ्जलकथा 147
- मित्रशमं ब्राह्मणकथा
- अतिदर्पनामसर्पकथा
- ब्राह्मणसर्पकथा
- हैमहंसकथा
- कपोतलुब्धककथा
- द्रोणाख्यब्राह्मणकथा
- देवशक्तिकथा
- सिम्मुककथा
- खरनखरकथा
- मन्दविषनामसर्पकथा 152 154 157 158 159 163 165 167 168 173
- यज्ञदत्तब्राह्मणकथा 174 IV लब्धप्रणाशे [प्रस्तावनाकथा] वानरमकरवृत्तान्तः 189
- गङ्गदत्तप्रियदर्शनकथा
- करालकेसरकथा 194 198 ix
- युधिष्ठिराख्य कुम्भकारकथा 4. सिंहदम्पतीकथा
- शुद्धपटनामरजककथा
- महाधन ईश्वरनामभाण्डपतिकथा
- रथकारकथा
- शालङ्कायनकथा 201 202 204 205 205 208
- भ्रातृतयकथा 210
- कामातुरकथा 213
- हालिक दम्पतीकथा 215
- पक्षिदम्पतीकथा 217
- ब्राह्मणकथा 218
- नन्दनृपतिकथा 220
- मन्दमतिनामरथकारकथा 221
- महाचतुर काख्यशृगालकथा 223
- चित्राङ्गनामसारमेयकथा 225 V अपरीक्षितकारके [प्रस्तावनाकथा] मणिभद्रश्रेष्ठिवृत्तान्तः 228
- देवशर्मब्राह्मणकथा 231
- लोभाविष्टचक्रधर कथा 232
- सिंहकारक मूर्ख ब्राह्मणकथा
- मूर्ख पण्डितकथा
- मत्स्य मण्डूककथा 236 237 239
- उद्धत्ताख्यगर्दभकथा 240
- मन्थरकनामकौलिककथा 242
- भावकृपणनाम ब्राह्मणकथा 244
- चन्द्रभूपतिकथा 245
- भद्रसेननामराज्ञः कथा
- मधुसेननामनरपतिकथा 250 251
- चण्डकर्मनामराक्षसकथा X
- भारण्डनामपक्षिकथा
- ब्रह्मदत्तनामब्राह्मणकथा Notes with Translation of Difficult Verses and Prose Passages Tantra I ( मित्रभेदम् ) Tantra II (मित्रसप्राप्तिकम् ) Tantra III (काकोलूकीयम्) Tantra IV ( लब्धप्रणाशम् ) 252 255 255 261 345 388 Tantra V (अपरीक्षितकारकम् ) 441 475