जीवन्धरस्वामी का चरित लोकोत्तर घटनाओं से पूर्ण है अतः उसके अंकन में विविध लेखकों ने अपना गौरव समझा है। एतदर्थ द्रष्टव्यः-जीवन्धरचम्पू’- डॉ. उपाध्ये व हीरालाल लिखित अंग्रेजी प्रस्तावना-ज्ञानपीठ प्रकाशन। जीवन्धर के चरित के प्रख्यापक निम्नलिखित ग्रन्थ उपलब्ध हैं : १. गद्यचिन्तामणि-वादीभसिंह सूरिविरचित गद्यकाव्य। २. क्षत्रचूड़ामणि-अनुष्टुप् छन्दोगत काव्य। गद्य-खण्ड ३. जीवन्धरचरित-गुणभद्राचार्यरचित उत्तरपुराण ७५वें पर्व का एक भाग। ४. जीवकचिन्तामणि-तिरुतक्कदेवरविरचित तमिलभाषा का एक प्रसिद्ध काव्य। ५. जीवन्धरचरिउ-पुष्पदन्त कविरचित अपभ्रंश काव्य अपभ्रंश महापुराण की ६६वीं सन्धि । ६. जीवन्धरचम्पू-महाकवि हरिश्चन्द्ररचित गद्यपद्यमय संस्कृत चम्पूग्रन्थ। ७. जीवन्धरचरित-अपभ्रंश भाषामय रइधू कवि द्वारा रचित १३ सन्धियों का ग्रन्थ। ८. जीवन्धरचरिते-वासव के पुत्र भास्कर लिखित कन्नड भाषा १८ अध्यायों वाला १००० श्लोकों का एक ग्रन्थ। ६. जीवन्धरसंगत्य-कन्नड भाषा। १०. जीवन्धर-षट्पदी-कन्नड भाषा। ११. जीवन्धरचरित-शुभचन्द्र के पाण्डव पुराणान्तर्गत एक अंश (संस्कृत)। १२. जीवन्धरचरिते-ब्रह्मकवि का कन्नड भाषात्मक ग्रन्थ । १३. जीवन्धरचरित-कवि नथमल द्वारा हिन्दी छन्दोबद्ध रचना।