‘बुधभूषण’ के संग्रहकार महाराज शंभु (शंभा जी) कहे गये हैं, पर शंभाजी ने स्वयं इसे तैयार किया होगा- इस पर शंका है। इसमें ८८२ उपदेशपरक पद्य हैं, जिन्हें तीन खण्डों में रखा गया है। प्रथम खण्ड के १६४ पद्य विभिन्न प्रख्यात कवियों के हैं, द्वितीय खण्ड के ६३० पद्य अर्थशास्त्रविषयक हैं और कामन्दकीय नीतिसार उनका मुख्य स्रोत है, मत्स्य, विष्णुधर्मोत्तर आदि पुराणों तथा महाभारत के भी पद्य यहाँ हैं, तृतीय खण्ड के ५८ पद्य राजनीति और राजचर्या से संबद्ध हैं। किली मावा किया