यह केवल शृङ्गारपरक पधों का संकलन है। इसमें ११ प्रकरणों में ११४५ वर्णनात्मक पद्य हैं। भंडारकर शोधसंस्थान में संरक्षित इसकी पांडुलिपि १६१३ वि.सं. (१५५६ ई.) की है, जिसके लिपिकार यांत्रिक राम हैं। स्टर्नबाख का अनुमान है कि याज्ञिक राम तथा इस संग्रह के निर्माता कुलीन राम एक ही व्यक्ति हैं और उनका समय सोलहवीं शताब्दी ई. का मध्य भाग है। इस संग्रह में अन्य सुभाषितसंग्रहों की भाँति पद्यों के साथ कवियों का नाम नहीं दिया गया है तथा मेघदूत, कुमारसम्भव, रुद्रटकृत शृङ्गारतिलक आदि प्रबन्धों से तो स्फुट पद्यों के स्थान पर प्रकरण के प्रकरण उद्धृत कर दिये गये हैं। शिकारा पान