‘सुभाषितहारावली’ के संग्रहकर्ता हरिकवि हैं। नारायण के पुत्र हरिकवि मूलतः दाक्षिणात्य ब्राह्मण थे। वे आरम्भ में सूरत में निवास करते रहे, अनंतर शंभाजी की राजसभा में आश्रित हुए। इनका दूसरा नाम भानुभट्ट था। हरिकवि का समय सत्रहवीं शताब्दी वि.सं. का उत्तरार्थ कहा जा सकता है। इनकी तीन रचनाएं मिलती हैं - शम्भुचरितम्, हैहयेन्द्रचरितम् तथा यह संकलन । सुभाषितहारावली में विभिन्न प्रकरणों पर कुल २०४८ पद्य संकलित हैं। कुल १५० कवियों ने इस संग्रह में स्थान पाया है, जिनमें संग्रहकार स्वयं भी हैं। हरिकवि ने ४४ स्वरचित पद्य इस संग्रह में सत्रिविष्ट किये हैं, जिनसे इनकी उत्तम काव्यनिर्माणक्षमता प्रमाणित होती है। अरसीठक्कुर, सोमव.वि, भानुकर आदि कतिपय ऐसे कवियों के पद्य भी कवि ने उद्धृत किये हैं, जिनकी रचनाएं अन्यत्र अप्राप्य हैं। FROPED का हिसार जिल्लाका मिछा- 15 सुभाषितसंग्रह तथा सुभाषितकवि शाल ५१७ पिया नाशीका मा