‘सूक्तिमुक्तावली’ का संकलन रूपगोस्वामी ने किया। रूपगोस्वामी का समय सोलहवीं शती वि.सं. का पूर्वार्ध है। वे चैतन्यमहाप्रभु के शिष्य तथा उज्ज्वलनीलमणि जैसे काव्यशास्त्रीय ग्रन्थ के प्रणेता के रूप में प्रख्यात हैं। कटायिक अन्य सुभाषितसंग्रहों की भाँति रूपगोस्वामी के इस संकलन में विविध विषय नहीं है। गौडीय भक्ति-संप्रदाय के अनुयायी होने के नाते गोस्वामी जी ने इस संप्रदाय से सम्बद्ध स्तुतिपरक पद्यों का ही संकलन सूक्तिमुक्तावली में किया है। इसमें कुल १२६ कवियों के ३८७ पद्य संकलित हैं। स्वयं संकलनकार के अपने पद्य भी इसमें हैं। संकलित कवियों में अधिकांश की रचनाएं अप्राप्य हैं तथा इतर सुभाषितसंग्रहों में भी इन कवियों को प्रायः स्थान नहीं मिला है। हा एक काली मावान नीट किया कि किर)