१२ प्रस्तावरत्नाकर

इस संकलन की पूर्ति हरिदास कवि द्वारा १६२४ वि.सं. (१५५७ ई.) में की गयी। हरिदास खारागढ़ के राजा वरवीरशाहि के शासनकाल में रहे थे। उनके पिता पुरुषोत्तम विद्वान् तथा कुलीन ब्राह्मण थे। ‘प्रस्तावरत्नाकर’ में इक्कीस परिच्छेद हैं, जिनमें चतुर्थ अन्योक्ति परिच्छेद दुर्लभ और संग्राह्य अन्योक्तियों के प्रस्तुतीकरण की दृष्टि से महत्त्व का है। छो यह सुभाषितसंग्रह अभी तक अप्रकाशित है तथा इसकी हस्तलिखित प्रति हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग के संग्रहालय में है। नाम मा माली माई शा मानसिक तनाव की ता शालिनि कि कि शिकाकाई . १. संस्कृत साहित्य में अन्योक्ति, पृ. १४३-४४ हामी निगाह | DAIशालामा सीप सिकि सुभाषितसंग्रह तथा सुभाषितकवि वि जल ती फीश ५१५