‘सुभाषितसुधानिधि’ के सारे पद्य एक ही रचनाकार-सायण के हैं तथा संपादक डॉ. के. कृष्णमूर्ति ने इसका समय चौदहवीं शताब्दी माना है, परन्तु लुडविक स्टर्नबाख का मत है कि सूक्तिरत्नहार तथा सुभाषितसुधानिधि मूलतः एक ही संकलन हैं और सूक्तिरत्नहार ही मौलिक है, जिसमें यत्र-तत्र किंचित् परिवर्तन करते हुए सुभाषितसुधानिधि तैयार किया गया है। ‘सूक्तिरत्नहार’ के निर्माणकर्ता सूर्यकलिंगराज राजा कुलशेखर के मंत्री कहे गये हैं, जिसका शासनकाल १३२५ वि.सं. से १३६५ वि.सं. (१२६८ से १३०८ ई.) के बीच है। स्टर्नबाख का यह भी अनुमान है कि वास्तविक संकलनकार सायण ही हैं, सूर्यकलिंगराज का नाम संकलनकार के रूप में उनकी प्रतिष्ठावृद्धि की दृष्टि से जोड़ दिया गया। दोनों संग्रहों का पर्वो और पद्धतियों में विभाजन एक सा है तथा अधिकांश पद्य भी समान हैं।