०७ सूक्तिरत्नहार

यह सुभाषितसंकलन दक्षिण में तैयार किया गया। इसके निर्माता सूर्यकलिंगराज या सूर्यपंडित कहे गये हैं, यद्यपि संकलनकार कौन थे-इसके विषय में विवाद है। संकलनकाल विक्रम की १४वीं शताब्दी माना गया है। सुभाषितसंग्रह तथा सुभाषितकवि ४५१३ ‘सूक्तिरत्नहार’ में चार पर्वो में कुल २३२७ पद्य संकलित हैं, जो अधिकांशतः नीतिपरक हैं। प्रत्येक पर्व में क्रमशः चार पुरुषार्थों में से एक-एक को विषय बनाया गया है। इसमें लगभग ८१ ग्रन्थों से ५७ ग्रंथकारों के पद्य उद्धृत हैं, जिनमें बहुसंख्य पद्यों का कर्तृत्व विवादास्पद है। उद्धृत कवियों या ग्रन्थकारों में कई ऐसे हैं, जो प्रायः अन्य सुभाषित संग्रहों में उद्धृत नहीं हैं। उद्धृत ग्रन्थों में कौटिल्यकृत अर्थशास्त्र, नीतिद्विषष्टिका, व्याससुभाषितसंग्रह आदि उल्लेख्य हैं तथा ग्रन्थकारों या कवियों में प्रतापरुद्र, रविगुप्त जैसे अल्पज्ञात रचनाकार हैं। माही की शिकार न हि निशिनर