इस सुभाषितसंग्रह का निर्माण श्रीधर ने बंगाल में १२६२ वि.सं. (१२०५ ई.) में किया। इसमें बंगाल के कवियों के अनेक लुप्त पद्य सुरक्षित हैं। संकलनकार श्रीधर तथा उनके पिता बटुदास बंगाल के राजा लक्ष्मणसिंह की सभा में थे। ‘सदुक्तिकर्णामृत’ का विभाजन पाँच प्रवाहों में किया गया है। प्रत्येक प्रवाह में कई वीचियाँ हैं, प्रत्येक वीचि में पाँच-पाँच पद्य हैं। पूरे संकलन में ४७६ प्रवाह हैं और कुल २३७० पद्य संकलित हैं। कुल उद्धृत कवियों की संख्या ४८५ है। कवियों में आनन्दवर्धन, उद्भट, उत्पलराज, वराहमिहिर, व्याडि, वामन, वार्तिककार आदि आचार्य कवियों के अज्ञात पद्य श्रीधर ने संगृहीत किये हैं। प्रख्यात महाकवियों के साथ-साथ विद्याकर के ही समान अनेक अज्ञातपाय किन्त प्रतिभाशाली महाकवियों के पद्य भी उन्होंने संजोये हैं। १. विस्तृत विवरण के लिये द्रष्टव्य सुभाषितरत्नकोष : सं. गोखले तथा कोसांबी, भूमिका, पृ. १३-२० तथा संस्कृत साहित्य में अन्योक्ति : डा. राजेन्द्रमित्र, पृ. २२४-२६ । काव्य-खण्ड