०६ शङ्कराचार्य के स्तोत्र

शङ्कराचार्य का समय निर्विवाद रूप से नवम शती माना जाता है। इनका जन्म केरल के कालटी ग्राम (आलवाई रेलवे स्टेशन के समीप) में हुआ था। इनके पिता का नाम शिवगुरु तथा माता का नाम आर्याम्बा था। इनका जीवनकाल ३२ वर्ष-माना जाता है।’ १. आचार्य बलदेव उपाध्याय, संस्कृत सुकवि समीक्षा पृ. ४५२ कृष्णमाचारियर, हिस्ट्री आफ क्लासिकल संस्कृत लिट्रेचर पृ. ३२० –४०० | काव्य-खण्ड कि शङ्कराचार्य ने प्रस्थानत्रयी पर प्रामाणिक भाष्य लिखकर अद्वैतवेदान्त की प्रतिष्ठा की। इसके अतिरिक्त उन्होंने अनेक प्रशस्त स्तोत्रकाव्य की भी रचना की है, जो संस्कृत वाङ्मय की अमूल्य निधि है। यद्यपि इनके नाम से २४० स्तोत्र मिलते हैं किन्तु वाणी विलास प्रेस से प्रकाशित शङ्करग्रन्थावली में इनकी संख्या ६४ है। इन ६४ स्तोत्रों की सूची आचार्य बलदेव उपाध्याय ने ‘शङ्कराचार्य’ और ‘संस्कृत सुकवि समीक्षा’ में दी है। शङ्कराचार्य ने प्रमुख देवताओं की स्तुति में स्तोत्रों की रचना की है। उनके स्तोत्रों के प्रमुख देवता हैं - गणेश, शिव, देवी तथा विष्णु। उनके प्रसिद्ध स्तोत्रों में देव्यपराधक्षमापणस्तोत्र, चर्पटपञ्जरिकास्तोत्र, सौन्दर्यलहरी, आनन्दलहरी और कनकधारास्तव अत्यन्त प्रसिद्ध हैं।