३३ अन्य जैन सन्देशकाव्य

उपर्युक्त सन्देश काव्यों के अतिरिक्त कतिपय अन्य काव्य भी इसी विधा में जैन परम्परा में लिखे गये। इनमें ऊपर उल्लिखित ‘इन्दुदूतम्’ के अतिरिक्त जम्बू कवि का भी ‘इन्दुदूतम्’ जिनरत्नकोष में उल्लिखित है, जिसका अन्य नाम ‘चन्द्रदूतम्’ भी मिलता है। इसमें २३ मालिनी छन्द हैं। कवि का देश-काल अज्ञात है।’ __‘चन्द्रदूतम्’ के रचयिता खरतरगच्छीय मुनि विमलकीर्ति हैं। इस काव्य की रचना १६८१ वि.सं. में हुई। इसमें मेघदूत के प्रत्येक पद्य के अन्तिम चरण की समस्यापूर्ति करते हुए कवि स्वयं चन्द्रमा को दूत बनाकर शत्रुञ्जय तीर्थ में स्थित भगवान् ऋषभदेव को सन्देश भेजता है। ‘मनोदूतम्" के कर्ता का नाम तथा देश-काल अज्ञात है। इसमें ३०० पद्य हैं। इसकी हस्तलिखित प्रति पाटण के ग्रन्थाकार में है। इसी प्रकार के एक अन्य काव्य ‘हंसपादाकदूतम् का उल्लेख मात्र मिलता है। मालासन