२५ जम्बू-कवि : चन्द्रदूत

‘मेघदूत’ के अनुकरण पर लिखे गये उपलब्ध सन्देशकाव्यों में जम्बू-कवि द्वारा प्रणीत चन्द्रदूत भी सन्देश-काव्यों में महत्त्वपूर्ण है। जम्बू-कवि का समय दशम शताब्दी का उत्तरार्द्ध - माना जाता है। इनका चन्द्रदूत-काव्य विरह-सन्देश है। यमक की प्रधानता के कारण यह काव्य पाण्डित्य का द्योतक बन गया है। इनके ‘चन्द्रदूत’ की परम्परा पर परवर्ती समय में विनयप्रभु, कृष्णचन्द्र तर्कालंकार, विमलकीर्ति और विनय-विजयगणि आदि ने ‘चन्द्रदूत’ सन्देशकाव्यपरम्परा ३४५ काव्य की रचना की। इनमें ‘चन्द्र’ को दूत के रूप में कल्पित किया है। जम्बू कवि ने ‘जिनशतक’ तथा ‘मुनिचरित’ नामक दो ग्रन्थ भी लिखे हैं। काभित्र