२४ जैन सन्देशकाव्य

उपर्युक्त शृङ्गारप्रधान सन्देशकाव्यों की धारा सम्प्रदायमुक्त है। मेघदूत इन सभी काव्यों का आदर्श रहा है। जैन सन्देशकाव्यों की भावधारा तथा प्रवृत्ति इनसे सर्वथा भिन्न कही जा सकती है। कालिदास के मेघदूत का अनुकरण तो जैनसन्देशकाव्यों के प्रणेताओं ने किया, पर सन्देशकाव्य की विधा को उन्होंने शृङ्गार के प्राधान्य के स्थान पर धर्मप्रचार. को प्रधानता दी, अनेक जैन सन्देश-काव्यों में तो शृङ्गार रस सर्वथा अनुपस्थित है।