१५ मातृदत्त कवि का कामसन्देश

‘कामसन्देश’ नामक काव्य की रचना बेलपट्टर के निवासी मातृदत्त कवि ने की है। काव्य की रचना १६वीं शती में की गई है। इस काव्य में ‘महामाघम् उत्सव’ और कोचीन के शासक राजा रामवर्मन, वीरा, अच्युतादि का उल्लेख है। को इस काव्य में सन्देशवाहक के रूप में देवता ‘कामदेव’ को सन्देश देने के लिये चुना गया है। सन्देशवाहक को नायक अपनी प्रियतमा चन्द्रलक्ष्मी के निवास स्थान की ओर भेजता है। कवि मार्ग-वर्णन में प्रसिद्ध स्थलों, मन्दिरों, राज्यों, पर्वतों और नदियों का वर्णन करता है। इन स्थलों में पवित्र स्थल जैसे शिवगंगा, कावेरी, मध्यार्जुन, कुम्भकोणम् श्रीरंगम्, काँकण, सहयपर्वत, अमलशैल, भरतपुल्ला और त्रिचूर का वर्णन है। इस काव्य में कवि ने अनेक प्रसिद्ध व्यक्तियों का भी उल्लेख किया है, जैसे मंगल नामक कालिदास के समकक्ष विद्वान् ब्राह्मण का, कोचीन के शासक राजा रामवर्मन् और लोभी राजा ‘वीरा’ का। पालघाट पार करने के पश्चात् सन्देश-वाहक को केरल के एक नैयर शासक नायक-राजा के प्रदेश में जाने के लिये कहा है। इस काव्य में कालीकट के एक जामोरिन शासक अन्नविक्रम का वर्णन है, जिसने तिस्त्रवा के भगवान् विष्णु के मन्दिर के निकट एक विशाल पाकशाला तथा कक्ष बनवाया था। अन्नविक्रम का १६वीं शती के उत्तरार्द्ध में चैलियम् दुर्ग पर आधिपत्य था। र इस प्रकार ६६, ६९ श्लोकों से युक्त यह रोचक लघु सन्देश-काव्य है।काव्य-खण्ड