०९ निष्कर्ष

इस प्रकार हम देखते हैं कि प्राकृत महाकाव्य की परपंरा में विविधता और संपन्नता है। उपलब्ध प्राकृत महाकाव्यों को हम निम्नलिखित वर्गों में रख सकते हैं (१) प्राचीन आख्यानों पर आधारित जैसे–सेतुबन्ध। (२) ऐतिहासिक विषयवस्तु या समकालिक घटना पर आधारित जैसे-गउडवहो और कुमारपालचरित। (३) प्रेमाख्यानमूलक या रोमांटिक जैसे–विलासबईकहा। (४) शास्त्रकाव्य जैसे-सिरिचिंधकव्व। सेतुबन्धमहाकाव्य ने कालिदास जैसे महाकवियों से प्रभावग्रहण किया है और परवर्ती संस्कृत काव्यरचना को प्रभावित भी किया है। प्राकृत महाकाव्यों पर संस्कृत टीकाओं की रचना होना अपने आप में संस्कृत और प्राकृत के घनिष्ठ संबंध का परिचायक है तथा इससे यह तथ्य भी प्रमाणित होता है कि संस्कृत महाकाव्य की अलंकृत शैली ला का गहरा प्रभाव प्राकृत महाकाव्यों पर पड़ा है। तमिल गार कर १. साहित्यदर्पण ३१४८