२६ सुदर्शनशतक

क्रूरनारायण कवि दाक्षिणात्य तथा विशिष्टाद्वैत मतानुयायी थे। इनका देशकाल अज्ञात है। इन्होने सुदर्शन चक्र की स्तुति में सुदर्शनशतकम् काव्य की रचना की। नग्धराछन्द में सुदर्शन की कान्तिमत्ता तथा प्रभावातिशय का प्रभावपूर्ण वर्णन इस काव्य में है। कवि ने भक्ति-भावातिरेक के द्वारा सुदर्शन के विग्रह, विष्णु के सान्निध्य में उसमें विविधवर्णो की छटाओं की सम्भिन्नता का अलौकिक स्वरूप उपस्थित कर दिया है-शाम श्याम धामप्रसृत्या क्वचन भगवतः क्वापि बभ्रुप्रकृत्या मार शिमा शुभं शेषस्य भासा क्वचन मणिरुचा क्वापि तस्यैव रक्तम्। । छ त नीलं श्रीनेत्रकान्त्या क्वचिदपि मिथुनस्यादिमस्यैव चित्रांक काव्यातन्वानं वितानश्रियमुपचिताच्छर्मवश्चक्रभानम् ।।१५।