रघुवंश की रचना के द्वारा एक नायक के स्थान पर पूरे वंश को विषय बनाने वाले महाकाव्यों की परम्परा प्रवर्तित हुई। भोज ने तो इसके आधार पर ‘वंशकाव्य’ नामक काव्यकोटि का निर्धारण भी किया तथा इस काव्य विधा के रघुवंश के अतिरिक्त अश्मकवंश, यदुवंश, दिलीपवंश- ये उदाहरण दिये हैं। र आगे चलकर ऐतिहासिक महाकाव्यों की धारा में भी इस प्रकार के अनेक वंशकाव्य लिखे गये।