वामदेव्यम् - वाक् ...{Loading}...
ऋक्
[अस्मिन् निम्ने निधामहे]
25_0169 कया नश्चित्र ...{Loading}...
क꣡या꣢ नश्चि꣣त्र꣡ आ भु꣢꣯वदू꣣ती꣢ स꣣दा꣡वृ꣢धः꣣ स꣡खा꣢। क꣢या꣣ श꣡चि꣢ष्ठया वृ꣣ता꣢ ॥ 25:0169 ॥
विश्वास-शाकल-प्रस्तुतिः ...{Loading}...
कया॑ नश् चि॒त्र (=चयनीयः) आ भु॑वद्
ऊ॒ती (=रक्षणम्/ तर्पणम् [तेन]), स॒दा-वृ॑धः॒ (=वर्धमानः) सखा॑ ।
कया॒ शचि॑ष्ठया (=प्रज्ञावता) वृ॒ता (=वर्तनेन) १
[अन्तरिक्षे सलिलं लेलाय]
साम
(रामानुजार्यः 1974 )
(गोपालार्यः 2015 )
वा([])क् ॥द्वि॥ वा([])गी,ईया।
क([])या,नश्चित्रा, अ([])आ,भूऊवा([])अत्।
ऊ([])ती, सदा वृउ,धा,स् सा,खा([])अ।
क([])या, शचिष्ठा([]),आया,
अवार्ता([])अ।
वा([])क् ॥द्वि॥ वा([])गी,इया,अवाअअ,औहोवाअ।
ए([]),ए।अन्([])तरिक्षेऎ,सलिलं, लेला,याअअ॥७॥