०१ निवेदन

अनुवाद (हिन्दी)

प्रातःस्मरणीय गोस्वामी श्रीतुलसीदासजी महाराजका यह छोटा-सा ग्रन्थ ‘वैराग्य-संदीपनी’ है। इसमें कुल ६२ छन्द (दोहे-चौपाई-सोरठे) हैं। जिनमें तीन प्रकाश हैं। पहले ७ छन्दोंमें मंगलाचरण, भगवान् श्रीरामकी वन्दना, उनके स्वरूपका निरूपण और ‘वैराग्य-संदीपनी’ ग्रन्थकी प्रशंसा है। फिर २६ छन्दोंमें ‘संत-स्वभाव-वर्णनरूप’ प्रथम प्रकाश है। दूसरा प्रकाश ‘संत-महिमा-वर्णन’ ९ छन्दोंका और तीसरा ‘शान्ति-वर्णन’ २० छन्दोंका है। ग्रन्थ बहुत छोटा होनेपर भी बड़ा ही उपादेय है। मेरा सबसे सादर अनुरोध है कि वे श्रीगोस्वामीजीकी अनुभवयुक्त अमृतमयी वाणीका अध्ययन करके लाभ उठावें।
हनुमानप्रसाद पोद्दार