०२ दूसरी विधि

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अनुवाद (हिन्दी)

ऊपर ये तीन चक्र दिये हैं, जिनमेंसे प्रत्येकमें सात अंक हैं। तीनों चक्रोंमें एक-एक बार अँगुली रखो। प्रथम चक्रमें जिस अंकपर अँगुली पड़े, वह सर्गकी संख्या है, द्वितीय चक्रमें जिस अंकपर अँगुली पड़े, वह सप्तककी संख्या है और तृतीय चक्रमें जिस अंकपर अँगुली पड़े, वह दोहेकी संख्या है।
उदाहरणके लिये प्रथम चक्रमें ४ पर, द्वितीयमें ६ पर और तृतीयमें ७ पर अँगुली पड़ी। अब ग्रन्थमें चतुर्थ सगर्के छठे सप्तकका सातवाँ दोहा देखा। वह दोहा है—

विश्वास-प्रस्तुति सनमाने आने सदन पूजे अति अनुराग। तुलसी मंगल सगुन सुभ भूरि भलाई भाग॥
मूल

सनमाने आने सदन पूजे अति अनुराग।
तुलसी मंगल सगुन सुभ भूरि भलाई भाग॥

अनुवाद (हिन्दी)

इसका तात्पर्य है कि यदि किसी मंगल-विषयमें प्रश्न है तो फल शुभ होगा।

विषय (हिन्दी)

विशेष बात

अनुवाद (हिन्दी)

एक दिनमें तीनसे अधिक प्रश्न नहीं करना चाहिये और एक प्रश्न केवल एक बार ही करना चाहिये। प्रश्न जिस प्रकारका है, दोहा उसी प्रकारका निकले तो कार्यमें सफलता समझनी चाहिये। दोहेमें अशुभकी सूचना हो तो वह कार्य सफल नहीं होगा या उससे कष्ट होगा, यह समझना चाहिये। किंतु आप जिस विषयमें प्रश्न कर रहे हैं, दोहा उस विषयका न निकलकर उससे सर्वथा भिन्न विषयका निकले तो फल संदिग्ध समझना चाहिये। जैसे आपका प्रश्न तो है कि युद्ध या मुकदमेमें विजय होगी या नहीं और दोहा निकलता है—

विश्वास-प्रस्तुति एक बितान बिबाहि सब सुवन सुमंगल रूप।. तुलसी सहित समाज सुख सुकृत सिंधु दोउ भूप॥
मूल

एक बितान बिबाहि सब सुवन सुमंगल रूप।.
तुलसी सहित समाज सुख सुकृत सिंधु दोउ भूप॥

अनुवाद (हिन्दी)

ऐसी दशामें दोहा परम मंगलसूचक होनेपर भी प्रश्नसे सम्बन्धित न होनेके कारण प्रश्नका परिणाम संदिग्ध है, यह सूचना देता है।

भागसूचना

रामाज्ञा-प्रश्न