०२ झूलना

विश्वास-प्रस्तुति पंचमुख-छमुख-भृगुमुख्य भट-असुर-सुर, सर्व-सरि-समर समरत्थ सूरो। बाँकुरो बीर बिरुदैत बिरुदावली, बेद बंदी बदत पैजपूरो॥ जासु गुनगाथ रघुनाथ कह, जासु बल, बिपुल-जल-भरित जग-जलधि झूरो। दुवन-दल-दमनको कौन तुलसीस है पवनको पूत रजपूत रूरो॥ ३॥
मूल

पंचमुख-छमुख-भृगुमुख्य भट-असुर-सुर,
सर्व-सरि-समर समरत्थ सूरो।
बाँकुरो बीर बिरुदैत बिरुदावली,
बेद बंदी बदत पैजपूरो॥
जासु गुनगाथ रघुनाथ कह, जासु बल,
बिपुल-जल-भरित जग-जलधि झूरो।
दुवन-दल-दमनको कौन तुलसीस है
पवनको पूत रजपूत रूरो॥ ३॥

अनुवाद (हिन्दी)

भावार्थ—शिव, स्वामिकार्तिक, परशुराम, दैत्य और देवतावृन्द सबके युद्धरूपी नदीसे पार जानेमें योग्य योद्धा हैं। वेदरूपी वन्दीजन कहते हैं—आप पूरी प्रतिज्ञावाले चतुर योद्धा, बड़े कीर्तिमान् और यशस्वी हैं। जिनके गुणोंकी कथाको रघुनाथजीने श्रीमुखसे कहा तथा जिनके अतिशय पराक्रमसे अपार जलसे भरा हुआ संसार-समुद्र सूख गया। तुलसीके स्वामी सुन्दर राजपूत (पवनकुमार)-के बिना राक्षसोंके दलका नाश करनेवाला दूसरा कौन है? (कोई नहीं)॥ ३॥