विश्वास-प्रस्तुतिः
बिबिध बाहिनी बिलसति सहित अनंत।
जलधि सरिस को कहै राम भगवंत॥ ४२॥
मूल
बिबिध बाहिनी बिलसति सहित अनंत।
जलधि सरिस को कहै राम भगवंत॥ ४२॥
अनुवाद (हिन्दी)
श्रीलक्ष्मणजीके साथ (वानर-भालुओंकी) नाना प्रकारकी सेना शोभा पा रही है। (वह इतनी विशाल है कि दूसरे समुद्रके समान प्रतीत होती है।) किंतु (जिसमें लक्ष्मणके रूपमें साक्षात् भगवान् अनन्त विराजमान थे और जो स्वयं भगवान् श्रीरामकी सेना थी) उसे (प्राकृत) समुद्रके समान कौन कहे। (समुद्र तो ससीम है, असीम भगवान् की सेना भी असीम ही होनी चाहिये।)॥ ४२॥