विश्वास-प्रस्तुतिः
स्याम गौर दोउ मूरति लछिमन राम।
इन तें भइ सित कीरति अति अभिराम॥ ३४॥
मूल
स्याम गौर दोउ मूरति लछिमन राम।
इन तें भइ सित कीरति अति अभिराम॥ ३४॥
अनुवाद (हिन्दी)
(श्रीहनुमान् जी सुग्रीवसे परिचय कराते हुए कहते हैं—) ‘ये साँवले तथा गोरे शरीरवाले दोनों भाई श्रीराम और लक्ष्मण हैं। कीर्ति (की अधिष्ठात्री देवी) भी इनके द्वारा उज्ज्वल तथा अत्यन्त मनोहर हुई है (इनकी कीर्ति तो कीर्तिको भी उज्ज्वल करनेवाली है।)’॥ ३४॥
विश्वास-प्रस्तुतिः
कुजन पाल गुन बर्जित अकुल अनाथ।
कहहु कृपानिधि राउर कस गुन गाथ॥ ३५॥
मूल
कुजन पाल गुन बर्जित अकुल अनाथ।
कहहु कृपानिधि राउर कस गुन गाथ॥ ३५॥
अनुवाद (हिन्दी)
(सुग्रीव श्रीरघुनाथजीसे कहते हैं—) ‘कृपानिधान! आपके गुणोंका कैसे वर्णन करूँ—आप (मेरे-जैसे) दुर्जन, गुणरहित, कुलहीन तथा अनाथका पालन करनेवाले हैं’॥ ३५॥