अनुवाद (हिन्दी)
प्रातःस्मरणीय गोस्वामी श्रीतुलसीदासजी महाराजका यह छोटा-सा ग्रन्थ ‘बरवै रामायण’ है। बरवै रामायणके ६९ छन्दोंको देखनेसे स्पष्ट हो जाता है कि गोस्वामी तुलसीदासजीकी यह स्फुट रचना है और छन्दोंको क्रम देनेका काम पीछे किसी ने किया है। बालकाण्डके छन्दोंमें पहिले श्रीजानकीजीका वर्णन करके जानकी-विवाहकी चर्चाके पश्चात् श्रीरामके शैश्वका वर्णन करनेवाले छन्दोंको रखनेकी अपेक्षा श्रीरामके शैशवका वर्णन करके तब श्रीजानकीजीका वर्णन एवं उनके मिलनकी चर्चा करनेका क्रम अधिक युक्तियुक्त जान पड़ता है। अतः श्रीगोस्वामीजीकी अनुभवयुक्त अमृतमयी वाणीका अध्ययन करके लाभ उठावें।