अनुवाद (हिन्दी)
पद, पद-संख्या
अ
अनुवाद (हिन्दी)
अचंभौ इन लोगनिकौ आवै, ४६
अजहूँ सावधान किन होहि, २७५
अदभुत जस-बिस्तार करन कौं, २६६
अदभुत राम नाम के अंक, १५१
अधम की जौ देखौ अधमाई, २२७
अनाथ के नाथ प्रभु कृष्न स्वामी, २६५
अपनी भक्ति देहु भगवान!, २९९
अपनैं जान मैं बहुत करी, १६९
अपुने कौं को न आदर देइ?, २११
अब कैसें पैयत सुख माँगे?, ७०
अब कैं नाथ! मोहि उधारि, १५८
अब तुम नाम गहौ मन नागर!, १५२
अब धौं कहौ, कौन दर जाउँ, २३४
अब मन, मानि धौं राम दुहाई, ११८
अब मेरी राखौ लाज, मुरारी, २७२
अब मैं जानी, देह बुढ़ानी, १०६
अब मैं नाच्यौ बहुत गुपाल!, २००
अब मोहि मज्जत क्यौं न उबारौ, २६०
अब मोहि सरन राखियै नाथ!, २१९
अब वे बिपदाहू न रहीं, १०७
अब सिर परी ठगौरी देव, ५७
अब हौं माया-हाथ बिकानौ, ५५
अब हौं हरि, सरनागत आयौं, २१६
अबिगत-गति कछु कहत न आवै, ३
अबिगत-गति जानी न परै, २४७
अपुनपौ आपुनहीं बिसरॺौ, २८८
अपुनपौ आपुन ही मैं पायौ, २८५
आ
अनुवाद (हिन्दी)
आछौ गात अकारथ गारॺौ, १६०
आजु हौं एक-एक करी टरिहौं!, १८३
इ
अनुवाद (हिन्दी)
इक कौं आनि ठेलत पाँच, २५५
इत-उत देखत जनम गयौ, ५९
इहाँ कपिल सौं माता कह्यौ, २८९
इहिं बिधि कहा घटैगौ तेरौ?, ७६
इहिं राजस को को न बिगोयौ?, ६२
ऐ
अनुवाद (हिन्दी)
ऐसी कब करिहौ गोपाल!, २४४
ऐसी को करी अरु भक्त काजैं, ६
ऐसे और बहुत खल तारे, २५९
ऐसे प्रभु अनाथ के स्वामी, २४५
ऐसैं करत अनेक जन्म गए, २०१
ऐसैहिं जनम बहुत बौरायौ, २८
औ
अनुवाद (हिन्दी)
और न काहुहिं जन की पीर, १८
औसर हारॺौ रे, तैं हारॺौ, १३६
अं
अनुवाद (हिन्दी)
अंत के दिन कौं हैं घनस्याम, ८३
क
अनुवाद (हिन्दी)
कब लगि फिरिहौं दीन बह्यौ, २३१
कबहूँ तुम नाहिंन गहरु कियौ, २५०
करनी करुना-सिंधुकी, मुख कहत न आवै, ५
करि मन, नंद-नंदन-ध्यान, ३०७
करि हरि सौं सनेह मन साँचौ, ८९
करी गोपाल की सब होइ, २७६
कहत हैं आगैं जपिहैं राम, ६६
कहा कमी जाके राम धनी, ३९
कहा गुन बरनौं स्याम, तिहारे, २६
कहा लाइ तैं हरि सौं तोरी?, १०४
कहावत ऐसे त्यागी दानि!, १८४
का न कियौ जन-हित जदुराई, ७
काया हरिकैं काम न आई, ९७
काहू के कुल तन न बिचारत, १३
काहु कैं बैर कहा सरै, ३३
किते दिन हरि-सुमिरन बिनु खोए, ६०
कीजै प्रभु अपने बिरद की लाज, १६४
कृपा अब कीजिऐ, बलि जाउँ, १७७
को-को न तरॺौ हरि-नाम लिऐं, १५०
कौन गति करिहौ मेरी नाथ!, १७४
कौन सुनै यह बात हमारी, २२९
क्यौं तू गोबिंद नाम बिसारौ?, ८७
ग
अनुवाद (हिन्दी)
गरब गोबिंदहिं भावत नाहीं, २८२
गाइ लेहु मेरे गोपालहिं, ८१
गोबिंद गाढ़े दिन के मीत, ३१
गोबिंद प्रीति सबनि की मानत, १४
गोबिंद सौ पति पाइ, ४२
च
अनुवाद (हिन्दी)
चकई री चलि चरन-सरोबर, १३७
चरन-कमल बंदौं हरि-राइ, १
चलि सखि, तिहिं सरोबर जाहिं, १३८
चौपरि जगत मड़े जुग बीते, ६९
ज
अनुवाद (हिन्दी)
जगतपति नाम सुन्यौ हरि, तेरौ, २६१
जग मैं जीवत ही कौ नातौ, १०३
जन की और कौन पति राखै?, १६
जन के उपजत दुख किन काटत?, १६३
जनम गँवायौ ऊआबाई, १२८
जनम-जनम, जब-जब, जिहिं-जिहिं, ४५
जनम तौ ऐसेहिं बीति गयौ, ८५
जनम तौ बादिहिं गयौ सिराइ, २०२
जनम साहिबी करत गयौ, ७३
जनम सिरानौं अटकैं-अटकैं, ९४
जनम सिरानौई सौ लाग्यौ, ८०
जनम सिरानौ ऐसैं-ऐसैं, ९५
जन यह कैसैं कहै गुसाईं, २५४
जब-जब दीननि कठिन परी, १७
जब तैं रसना राम कह्यौ, १४९
जहाँ-जहाँ सुमिरे हरि जिहिं बिधि, ८
जाकौं दीनानाथ निवाजैं, ३६
जाकौं मनमोहन अंग करै, ३७
जाकौ मन लाग्यौ नँदलालहिं, ४३
जाकौं हरि अंगीकार कियौ, ३८
जा दिन मन पंछी उड़ि जैहै , ९२
जा दिन संत पाहुने आवत, २८०
जानिहौं अब बाने की बात, २०६
जापर दीनानाथ ढरै, ३५
जिन-जिनहीं केसव उर गायौ, २५२
जिहिं तन हरि भजिबौ न कियौ, ४९
जे जन सरन भजे बनवारी, २३
जैसैं तुम गज कौ पाउँ छुड़ायौ, २१
जैसैं राखहु तैसैं रहौं, २३०
जो घट अंतर हरि सुमिरै, ८८
जो सुख होत गुपालहि गाऐं, १४४
जौ अपनौ मन हरि सौं राँचै, ३०५
जौ जग और बियौ कोउ पाऊँ, २१२
जौ तू राम-नाम-धन धरतौ, १४५
जौ पै तुमही बिरद बिसारौ, २०४
जौ पै यहै बिचार परी, २६२
जौ प्रभु, मेरे दोष बिचारैं, २२३
जौं मन कबहुँक हरि कौं जाँचै, ४४
जौ लौं मन कामना न छूटै, २९६
जौ लौं सत-सरूप नहिं सूझत, २८७
जौ हम भले बुरे तौ तेरे, २३६
जौ हरि-ब्रत निज उर न धरैगौ, ८२
झ
अनुवाद (हिन्दी)
झूठेही लगि जनम गँवायौ, १०२
ठ
अनुवाद (हिन्दी)
ठकुरायत गिरिधर की साँची, १९
त
अनुवाद (हिन्दी)
तजौ मन, हरि-बिमुखनि कौं संग, १३२
तब तैं गोबिंद क्यौं न सँभारे?, १३४
तब बिलंब नहिं कियौ, २२०
तातैं जानि भजे बनवारी, २९
तातैं तुम्हरौ भरोसौ आवै, २५१
तातैं बिपति-उधारन गायौ, २४३
तातैं सेइयै श्रीजदुराइ, २७९
ताहू सकुच सरन आए, २२१
तिहारे आगैं बहुत नच्यौ, २३९
तिहारौ कृष्ण कहत कहा जात?, ११३
तुम कब मोसौ पतित उधारॺौ, १८१
तुम तजि और कौन पै जाऊँ, २३३
तुम प्रभु, मोसौं बहुत करी, १७०
तुम बिनु भूलोइ-भूलौ डोलत, २४२
तुम बिनु साँकरै को काकौ, २५७
तुम हरि, साँकरे के साथी, २५६
तुम्हरी एक बड़ी ठकुराई, १५४
तुम्हरी कृपा गुपाल गुसाईं, १६८
तुम्हारी भक्ति हमारे प्रान, ३०१
(गोपाल) तुम्हरी माया महाप्रबल, ५२
तुम्हरैं भजन सबहि सिंगार, ४१
तुम्हरौ नाम तजि प्रभु जगदीसर, २१५
तेऊ चाहत कृपा तुम्हारी, २३२
ते दिन बिसरि गए इहाँ आए, १२०
तेरौ तब तिहिं दिन, को हितू, ८४
तौ लगि बेगि हरौ किन पीर, २४६
थ
अनुवाद (हिन्दी)
थोरे जीवन भयौ तन भारौ, १९९
द
अनुवाद (हिन्दी)
दिन दस लेहि गोबिंद गाइ, ११५
दिन द्वै लेहु गोबिंद गाइ, ११६
दीन कौ दयाल सुन्यौ, २५८
दीन जन क्यौं करि आवै सरन?, ५६
दीन-दयाल, पतित-पावन प्रभु, १७८
दीन-नाथ! अब बारि तुम्हारी, १७२
देवहूति कह, भक्ति सो कहियै, २९०
देवहूति यह सुनि पुनि कह्यौ, २९२
द्वै मैं एकौ तौ न भई, १००
ध
अनुवाद (हिन्दी)
धोखैं ही धोखैं डहकायौ, १२६
धोखैं ही धोखैं बहुत बह्यौ, १२७
न
अनुवाद (हिन्दी)
नर तैं जनम पाइ कहा कीनौं?, ७४
नर-देही पाइ चित्त चरन-कमल दीजै, ३०४
नहिं अस जनम बारंबार, ९३
नाथ अनाथनि ही के संगी, २२
नाथ सकौ तौ मोहि उधारौ, १८०
(श्री) नाथ सारंगधर! कृपा करि, २४९
नीकैं गाइ गुपालहि मन रे, ३०२
नैननि निरखि स्याम-स्वरूप, २८६
प
अनुवाद (हिन्दी)
पढौ भाई, राम-मुकुन्द-मुरारि, १४३
पतितपावन जानि सरन आयौ, २४८
(हरि) पतितपावन, दीनबंधु, २२२
पतित-पावन हरि, बिरद तुम्हारो, १८२
पहिलै हौं ही हौ तब एक, २८४
प्रभु कौ देखौ एक सुभाइ, ९
प्रभु जू, यौं कीन्ही हम खेती, २२५
प्रभु जू, हौं तो महा अधर्मी, २२६
प्रभु, तुम दीन के दुःख-हरन, २१३
प्रभु, तेरौ बचन भरोसौ साँचौ, ३२
प्रभु, मेरे गुन-अवगुन न बिचारौ!, १६७
प्रभु मेरे, मोसौ पतित उधारौ, २०५
प्रभु, मैं पीछौ लियौ तुम्हारौ, २६९
प्रभु, हौं बड़ी बेर कौ ठाढ़ौं!, १८६
प्रभु हौं सब पतितनि कौ टीकौ!, १८७
प्रीतम जानि लेहु मन माहीं, ८६
फ
अनुवाद (हिन्दी)
फिरि-फिरि ऐसोई है करत, ६३
ब
अनुवाद (हिन्दी)
बड़ी है राम-नाम की ओट, १४१
बहुरि की कृपाहू कहा कृपाल, २२८
बासुदेव की बड़ी बड़ाई, ४
बिचारत ही लागे दिन जान, १०५
बिनती करत मरत हौं लाज, १५६
बिनती सुनौ दीन की चित दै, ५०
बिरथा जन्म लियौ संसार, ९६
बिरद मनौ बरियाइन छाँड़े, २५३
बिषया जात हरष्यौ गात, २८३
बौरे मन, रहन अटल करि जान्यौ, ११९
बौरे मन, समुझि समुझि कछु चेत, १२२
बंदौ चरन-सरोज तिहारे, २
भ
अनुवाद (हिन्दी)
भक्तनि हित तुम कहा न कियौ?, २७
भक्त-बछल प्रभु! नाम तुम्हारौ, २३७
भक्त सकामी हू जो होइ, २९३
भक्ति कब करिहौ, जनम सिरानौ, १२९
भक्ति-पंथ कौं जो अनुसरै, २९७
भक्ति-पंथ कौं जो अनुसरै, २९८
भक्ति बिना जौं कृपा न करते, २१४
भक्ति बिनु बैल बिराने ह्वैहौ, १३१
भजन बिनु कूकर-सूकर-जैसो, ४७
भजन बिनु जीवत जैसैं प्रेत, ४८
भजहु न मेरे स्याम मुरारी, २६३
भजि मन! नंद-नंदन-चरन, ३०८
भरोसौ नाम कौ भारी, २४१
भवसागर मैं पैरि न लीन्हौ, २४०
भावी काहू सौं न टरै, २७८
भृंगी री, भजि स्याम कमल-पद, १३९
म
अनुवाद (हिन्दी)
मन, तोसौं किती कही समुझाइ, ११७
मन, तोसौं कोटिक बार कही, १२४
मन-बच-क्रम मन, गोबिंद सुधि करि, ११२
मन बस होत नाहिंनै मेरैं, २१७
मन रे, माधव सौं करि प्रीति, १२५
महा प्रभु तुम्हैं बिरद की लाज, १६५
माधौ जू, जौ जन तैं बिगरै, १७१
माधौ जू, तुम कत जिय बिसरॺौ?, २०३
माधौ जू, मन माया बस कीन्हौ, ५४
माधौ जू, मन सबही बिधि पोच, १६१
माधौ जू, मन हठ कठिन परॺौ, १५९
माधौ जू, मोतैं और न पापी, १८९
माधौ जू, मोहि काहे की लाज, १९७
माधौ जू, यह मेरी इक गाइ, ६५
माधौ जू, सो अपराधी हौं, १९८
माधौ जू, हौं पतित-सिरोमनि, २०७
माधौ, नैकु हटकौ गाइ, ६४
माया देखत ही जु गई, ५८
मेरी कौन गति ब्रजनाथ?, १७५
मेरी तौ गति-पति तुम, २३५
मेरी बेर क्यौं रहे सोचि?, २१०
मेरी सुधि लीजौ हो, ब्रजराज, २७०
मेरैं हृदय नाहिं आवत हौ, २६८
मेरौ मन अनत कहाँ सुख पावै, ३००
मेरौ मन मति-हीन गुसाईं, १६२
मैं तौ अपनी कही बड़ाई, २१८
मो सम कौन कुटिल खल कामी, १९५
मोसौं पतित न और गुसाईं, १९४
मोसौं पतित न और हरे, २०९
मोसौं बात सकुच तजि कहियै, १८५
मोहन के मुख ऊपर वारी, ३०
मोहि प्रभु तुम सौं होड़ परी, १७९
य
अनुवाद (हिन्दी)
यह आसा पापिनी दहै, ६१
यहई मन! आनंद-अवधि सब, ७७
यह सब मेरीयै आइ कुमति, १०१
र
अनुवाद (हिन्दी)
रह्यौ मन! सुमिरन कौ पछितायौ, ७५
राम न सुमिरॺौ! एक घरी, ७९
(मन) राम-नाम सुमिरन बिनु, १३०
राम भक्तवत्सल निज बानौं, १२
रे मन, अजहूँ क्यों न सम्हारै, ७२
रे मन, आपु कौं पहिचानि, ७८
रे मन, गोबिंद के ह्वै रहियै, ७१
रे मन, छाँड़ि बिषय कौ रँचिबौ, ६८
रे मन, जग पर जानि ठगायौ, ६७
रे मन, जनम अकारथ खोइसि, १३३
रे मन, निपट निलज अनीति, १२१
रे मन मूरख, जनम गँवायौ, १३५
रे मन, राम सौं करि हेत, १११
रे मन, समुझि सोचि-बिचारि, १०९
रे मन, सुमिरि हरि हरि हरि!, १०८
रे सठ, बिन गोबिंद सुख नाहीं, १२३
स
अनुवाद (हिन्दी)
सकल तजि, भजि मन! चरन मुरारि, २७४
सब तजि भजिऐ नंद-कुमार, ३०३
सबनि सनेहौ छाँड़ि दयौ, ९९
सरन आए की प्रभु, लाज धरिऐ, १६६
सरन गए को को न उबारॺौ, १५
सबै दिन एकै-से नहिं जात, २८१
सबै दिन गए बिषय के हेत, ९८
सुवा, चलि ता बन कौ रस पीजै, १४०
सोइ कछु कीजै दीन-दयाल!, १७६
सोइ भलौ जो रामहि गावै, १४२
सोइ रसना, जो हरि-गुन गावै, १४८
सो कहा जु मैं न कियौ, १७३
संतनि की संगति नित करै, २९१
स्याम गरीबनि हूँ के गाहक, २०
स्याम-बलराम कौं, सदा गाऊँ, ३०६
स्याम-भजन बिनु कौन बड़ाई?, २५
ह
अनुवाद (हिन्दी)
हमारी तुम कौं लाज हरी, २२४
हमारे निर्धन के धन राम, १५३
हमारे प्रभु, औगुन चित न धरौ, २७१
हरिकी सरन महँ तू आउ, ११४
हरिके जनकी अति ठकुराई, ४०
हरि के जन सब तैं अधिकारी, ३४
हरि जू की आरती बनी, ३०९
हरि जू, तुम तैं कहा न होइ?, १५५
हरि जू, मोसौ पतित न आन, २०८
हरि जू, हौं यातैं दुख-पात्र, २६७
हरि, तुव माया को न बिगोयौ?, ५१
हरि, तेरौ भजन कियौ न जाइ, ५३
हरि तैं बिमुख होइ नर जोइ, २९४
हरि बिनु अपनौ को संसार?, ९०
हरि बिनु कोऊ काम न आयौ, २७३
हरि बिनु मीत नहीं कोउ तेरे, ९१
हरि-रस तौऽब जाइ कहुँ लहियै, २९५
हरि सौं ठाकुर और न जन कौं, १०
हरि सौं मीत न देख्यौ कोई, ११
हरि हरि हरि सुमिरौ सब कोइ, १४७
हरि, हौं महा अधम संसारी, २३८
हरि, हौं महापतित, अभिमानी, १९६
हरि, हौं सब पतितनि को नायक, १९३
हरि हौं सब पतितनि कौ राउ, १९२
हरि, हौं सब पतितनि कौ राजा, १९१
हरि, हौं सब पतितनि पतितेस, १९०
हारी जानि परी हरि! मेरी, २६४
हृदय की कबहुँ न जरनि घटी, १५७
है हरि नाम कौ आधार, १४६
है हरि-भजन कौ परमान, २४
होउ मन, राम-नाम कौ गाहक, ११०
होत सो, जो रघुनाथ ठटै, २७७
हौं तौ पतित-सिरोमनि, माधौ!, १८८