Misc Detail प्रथम पृष्ठ ॥ श्रीहरिः॥ श्रीसूरदासजीरचित सूर-विनय-पत्रिका सरलभावार्थसहित त्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव। त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव त्वमेव सर्वं मम देवदेव॥ अनुवादक—सुदर्शन सिंह गीता सेवा ट्रस्ट